कौन हैं 'दुखु माझी' जिन्हें प्यार से लोग बुलाते हैं 'गाछ दादू', पद्मश्री से होंगे सम्मानित

पश्चिम बंगाल के रहने वाले गाछ दादू को 78 साल की उम्र में पर्यावरण और वनारोपण के क्षेत्र में इन्हें भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री मिला है. पर्यावरण के क्षेत्र में इन्होंने 5 दशक तक सेवा की, जनता को जागरुक किया. इनके योगदान को देखते हुए सरकार ने इन्हें सम्मानित किया है.

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पर्यावरण के क्षेत्र में इन्होंने 5 दशक तक सेवा की.

भारत सरकार ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पुरुलिया के रहने वाले दुखु माझी (Dukhu Majhi) को पद्म श्री (Padm Shri) सम्मान देने की घोषणा की है. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा की गई है.  इन्होंने खाली पश्चिम बंगाल- झारखंड की खाली बंजर जमीन पर अब तक 5 हजार से ज्यादा बरगद, आम और जामुन के पौधे लगाएं हैं. प्यार से लोग इन्हें 'गाछ दादू' भी बोलते हैं. पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए दुखु मांझी को भारत सरकार की तरफ से सम्मान दिया गया है. ये पुरुलिया के सिंदरी गांव के रहने वाले हैं.

पश्चिम बंगाल के रहने वाले गाछ दादू को 78 साल की उम्र में पर्यावरण और वनारोपण के क्षेत्र में इन्हें भारत सरकार की तरफ से पद्मश्री मिला है. पर्यावरण के क्षेत्र में इन्होंने 5 दशक तक सेवा की, जनता को जागरुक किया. इनके योगदान को देखते हुए सरकार ने इन्हें सम्मानित किया है.

कौन हैं गाछ दादू?

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के आदिवासी पर्यावरणविद् को पद्मश्री का ये पुरस्कार बंजर भूमि को फिर से हरा भरा बनाने के लिए विशेष योगदान के लिए दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, गाछ दादू ने 12 साल उम्र से ही वृक्षारोपण का कार्य शुरू कर दिया था. इन्होंने लकड़ी की तस्करी के खिलाफ लोगों को जागरुक करने का भी कार्य किया है.

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