कौन हैं चंपई सोरेन, जो हेमंत सोरेन की जगह बनेंगे झारखंड के सीएम

चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान लंबी लड़ाई लड़ी थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई बार विभाजन के बाद भी वो शिबू सोरेन के साथ डटे रहे थे. पहली बार साल 2005 में वो विधायक बने और बाद में लगातार जीतते रहे हैं.

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  • चंपई सोरेन झारखंड के अगले सीएम होंगे
  • सोरेन परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं चंपई
  • 1991 में पहली बार निर्दलीय चुनाव जीते थे चंपई सोरेन
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नई दिल्ली:

झारखंड की राजनीति में हलचल तेज है. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की तरफ से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की आशंका के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरायकेला विधानसभा सीट से विधायक चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना है और चंपई सोरेन राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे. चंपई सोरेन ((Champai Soren) अभी हेमंत सोरेन सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और सोरेन परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं. उनके पास परिवहन, आदिवासी कल्याण जैसे मंत्रालय है. चंपई सोरेन की गिनती बेहद ईमानदार नेता में होती रही है.

झारखंड आंदोलनकारी रह चुके हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य आंदोलन में लंबी लड़ाई लड़ी थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई बार विभाजन के बाद भी वो शिबू सोरेन के साथ डटे रहें थे. पहली बार साल 1991 में वो विधायक बने थे.1991 में उन्होंने निर्दलीय जीत दर्ज की थी बाद में वो जेएमएम में शामिल हो गए. साल 2000 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 2005 के बाद से वो लगातार जीतते रहे हैं. पहली बार बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार में वो मंत्री बने थे. बाद में वो हेमंत सोरेन के पहले कार्यकाल में भी मंत्री बने. साल 2019 के चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम की अच्छी जीत में भी उनका बड़ा योगदान माना जाता है.

कोरोना के दौरान जमकर किया काम
कोरोना संकट के दौरान चंपई सोरेन की जमकर चर्चा हुई. सोशल मीडिया के माध्यम से ही उन्होंने अन्य राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों की मदद की थी. बाद के दिनों में भी झारखंड के किसी भी समस्या के समाधान के लिए लोग चंपई सोरेन के पास फरियाद लगाते रहे हैं. हेमंत सोरेन के कैबिनेट में भी उन्हें संकट मोचक के तौर पर देखा जाता रहा है. 

संथाल आदिवासी हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन भी शिबू सोरेन की ही तरह संथाल आदिवासी है. गौरतलब है कि झारखंड में संथाल आदिवासियों की आबादी सबसे अधिक है. शिबू सोरेन भी संथाल आदिवासी हैं. चंपई सोरेन को पद देकर जेएमएम अपने आधार वोट को बचाने के प्रयास में है. साथ ही अब तक ऐसा माना जाता रहा था कि जेएमएम की राजनीति पर संथाल परगना के क्षेत्र का ही कब्जा् है लेकिन कोल्हान क्षेत्र से आने वाले चंपई सोरेन को पद देकर जेएमएम इस मिथक को तोड़ना चाहती है. 

दसवीं पास हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन की गिनती आंदोलनकारी में होती है. 6 टर्म विधायक रहते हुए उन्होंने अपनी एक मजबूत छवि बनाई है. उनके पिता का नाम सिमल सोरेन है. 69 साल के चंपई ने मैट्रिक तक की शिक्षा प्राप्त की है. बहुत कम उम्र में ही वो झारखंड आंदोलन से जुड़ गए. उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया.

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