भारतीय करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी के अलावा किस-किसकी तस्वीर छपती हैं...?

आइए, आज आपको बताते हैं - किस नोट पर कौन-सा स्मारक छापा गया है, और उसका क्या महत्व और खासियत है.

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यहां आप जानेंगे, किस भारतीय नोट पर कौन-सा स्मारक छापा गया है, और उसका क्या महत्व और खासियत है...
नई दिल्ली:

भारतीय रिज़र्व बैंक, यानी RBI द्वारा जारी किए जाने वाले करेंसी नोटों पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीरों को हमेशा प्रकाशित किया जाता है, और कुछ ही दिन पहले उन्हीं नोटों पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अब भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की तस्वीरें प्रकाशित करने की मांग उठाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजनैतिक हलकों में हंगामा खड़ा कर दिया था, जिसे लेकर BJP ने भी आम आदमी पार्टी (AAP) पर लगातार पलटवार किए.

लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है, देश में प्रचलित हर करेंसी नोट पर राष्ट्रपिता, यानी बापू के अलावा एक और तस्वीर हमेशा ही होती है, जो हर मूल्य के नोट पर अलग होती है. जी हां, भारत में इस वक्त चल रहे 10 रुपये, 20 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये और 2000 रुपये के नोटों पर सामने की तरफ (OBVERSE SIDE) हमेशा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दिखाई देते हैं, लेकिन हर नोट पर पीछे की तरफ (REVERSE SIDE) एक अलग ही स्मारक नज़र आता है.

आइए, आज आपको बताते हैं - किस नोट पर कौन-सा स्मारक छापा गया है, और उसका क्या महत्व और खासियत है.

10 रुपये के नोट पर दिखता है कोणार्क का सूर्य मंदिर

भारतीय पूर्वी तट पर स्थित राज्य ओडिशा के पुरी जिले में 13वीं सदी में बनाया गया सूर्य मंदिर (कोणार्क) पूर्वी गंगवंश के राजा नरसिंह देव प्रथम की देन बताया जाता है. वर्ष 1984 में UNESCO ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दे दी थी. हिन्दुओं में बेहद प्रसिद्ध इस मंदिर में प्रतिवर्ष फरवरी में चंद्रभाग मेला लगता है, जहां हज़ारों श्रद्धालु एकत्र होते हैं.

20 रुपये के नोट पर दिखाई देती हैं एलोरा की गुफाएं

महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित एलोरा में बासॉल्ट चट्टानों से काटकर बनाई गई 100 से भी ज़्यादा गुफाएं हैं, जिनमें 34 में ही जनता को जाने की इजाज़त है. राष्ट्रकुट वंश के काल में एलोरा स्थित हिन्दू और बौद्ध गुफाओं को तैयार किया गया, जबकि बाद यादव वंश के काल में यहां जैन गुफाओं का निर्माण किया गया. इसे भारतीय पुरातत्व विभाग का भी संरक्षण हासिल है, और इसे UNESCO ने भी विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दे रखी है.

50 रुपये के नोट पर दिखाई देता है हम्पी का पत्थर-निर्मित रथ

कर्नाटक के हम्पी स्थित विठ्ठल मंदिर परिसर में पत्थर से बना विशाल रथ वास्तव में गरुड़ को समर्पित मंदिर है, जिसे वर्ष 1986 में ही UNESCO ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी थी.

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100 रुपये के नोट पर दिखती है रानी की वाव

11वीं सदी में बनी रानी की वाव भी UNESCO विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है. गुजरात के पाटन गांव में सरस्वती नदी के किनारे बनी यह वाव (बावड़ी) सोलंकी साम्राज्य के समय तैयार की गई थी. बावड़ी में बहुत-सी कलाकृतियां भी बनी हैं, जो भगवान विष्णु से जुड़ी हैं. इस धरोहर को सबसे पुराने बावड़ियों में से एक माना जाता है. इसमें नक्काशीदार खंभों और दीवारों पर 800 से अधिक मूर्तियां उकेरी गई हैं, जो भगवान विष्णु के 10 अवतारों पर आधारित हैं.

200 रुपये के नोट पर दिखता है सांची का स्‍तूप

मध्य प्रदेश स्थित बौद्ध धर्म की ऐतिहासिक धरोहर है सांची का स्तूप, जिसे 'अशोक महान' कहे जाने वाले सम्राट अशोक ने ही बनवाया था. बताया जाता है कि ईसापूर्व तीसरी शताब्दी के दौरान हुए भीषण कलिंग युद्ध के बाद जब उन्होंने शांति का प्रचार करने का निर्णय लिया, तभी उन्होंने यह स्तूप बनवाया था. भारतवर्ष की सबसे पुरानी प्रस्तर रचनाओं में शुमार किए जाने वाले स्तूप को वर्ष 1989 में UNESCO ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया.

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500 रुपये के नोट पर दिखता है ऐतिहासिक लाल किला

मुगलकाल में बनवाए गए लालकिले से सभी परिचित हैं, जिसकी प्राचीर पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराकर हर वर्ष देश के प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते आ रहे हैं. मुगल बादशाह शाहजहां के काल में लाल रंग की ईंटों से निर्मित इस किले को देखने के लिए हज़ारों की तादाद में पर्यटक भी पहुंचते हैं.

2000 रुपये के नोट पर दिखता है मंगलयान

'मंगलयान' के नाम से मशहूर Mars Orbitor Mission को देश की अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ी छलांग माना जाता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वर्ष 2014 में मंगलयान को भेजा था, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह तक पहुंचा था. इससे पहले, कभी कोई देश पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक नहीं पहुंच पाया था, और ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला एशिया का तो पहला ही देश है भारत.

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