रूस का सर्वोच्च सम्मान पाने वाले पहले भारतीय बने पीएम मोदी, जानें दुनिया में और किसे मिला 

रूस और भारत के संबंध दशकों से बेहद अच्छे रहे हैं. मगर अब यह दोस्ती और मजबूत हो गई है. यही कारण है कि रूस ने अपने सर्वोच्च पुरस्कार से पीएम मोदी को सम्मानित किया है. जानें क्या है यह पुरस्कार...

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राष्ट्पति पुतिन ने पीएम मोदी को खुद इस सम्मान से नवाजा.

​रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया है. नरेंद्र मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. ​क्रेमलिन के सेंट एंड्रयू हॉल में एक विशेष समारोह में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नरेंद्र मोदी को भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की दिशा में असाधारण सेवाओं के लिए इस सम्मान से नवाजा है. रूस के इस सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार का नाम है ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल. पीएम मोदी को यह पुरस्कार देने की घोषणा 2019 में ही कर दी गई थी.

सम्मान पाकर ये बोले पीएम मोदी

पुरस्कार स्वीकार करते समय प्रधानमंत्री ने इसे भारत के लोगों और भारत-रूस के बीच दोस्ती के पारंपरिक संबंधों को समर्पित किया. उन्होंने आगे कहा कि यह मान्यता दोनों देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को उजागर करती है. उन्होंने समारोह में पुरस्कार प्राप्त करने के बाद एक्स पर लिखा, ‘‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोसल पुरस्कार प्राप्त करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मैं इसे भारत की जनता को समर्पित करता हूं.''

सम्मान का क्या है महत्व

वर्ष 1698 में यीशू के प्रथम प्रचारक और रूस के संरक्षक संत सेंट एंड्रयू के सम्मान में जार पीटर द ग्रेट द्वारा स्थापित ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोसल' रूस का सर्वोच्च राजकीय सम्मान है. यह एक ही वर्ग में प्रदान किया जाता था और केवल सबसे उत्कृष्ट नागरिक या सैन्य योग्यता के लिए प्रदान किया जाता था. इसका उपयोग सदियों से रूस में औपचारिक आयोजनों के लिए किया जाता रहा है.

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अब तक कितने लोगों को मिला

कुल मिलाकर, यह 1917 से पहले 1,000 से अधिक लोगों को दिया गया था. उनमें से लगभग आधे विदेशी नागरिक थे. 1917 की अक्टूबर क्रांति के बाद इसे देना बंद कर दिया गया. 1 जुलाई 1998 को राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन के आदेश से ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल को रूस के सर्वोच्च राज्य पुरस्कार के रूप में बहाल किया गया था.

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दुनिया के किन नेताओं को मिला

1998 से अब तक कुल 26 लोगों को ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया गया है. फेडरेशन काउंसिल की अध्यक्ष वेलेंटीना मतवियेंको, तातारस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मिंटिमर शैमीव, रूसी विज्ञान अकादमी के सदस्य दिमित्री लिकचेव, हथियार डिजाइनर मिखाइल कलाश्निकोव और हर्बर्ट एफ़्रेमोव, लेखक अलेक्जेंडर सोल्झेनित्सिन (जिन्होंने पुरस्कार स्वीकार करने से इनकार कर दिया), सर्गेई मिखालकोव और डेनियल ग्रैनिन, कवि रसूल गमजातोव, कवि और प्रचारक फाजू अलीयेवा, मॉस्को के कुलपति और ऑल रशिया एलेक्सी II, रूसी संवैधानिक न्यायालय के अध्यक्ष वालेरी जोर्किन, रूसी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व -चेयरमैन व्याचेस्लाव लेबेदेव, डॉक्टर वालेरी शुमाकोव और बोरिस पेत्रोव्स्की, गायिका ल्यूडमिला ज़ायकिना और इरीना आर्किपोवा, बैले मास्टर यूरी ग्रिगोरोविच, यूएसएसआर के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव, संगीतकार एलेक्जेंड्रा पखमुटोवा, मॉस्को और ऑल रशिया के पैट्रिआर्क किरिल को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. पूर्व रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु को तलवारों के साथ ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया गया है. विदेशी राजनीतिक हस्तियों में अजरबैजान के पूर्व राष्ट्रपति हेदर अलीयेव, कजाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को पीएम नरेंद्र मोदी से पहले यह सम्मान मिला है. 

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