यूपी चुनाव में भले ही करीब 6 माह बाकी हों, लेकिन अभी से अब्बाजान, चचाजान (Abbajan, Chachajan) के बहाने घमासान छिड़ गया है. ताजा बवाल भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (BKU Leader Rakesh Tikait) के बयान पर मचा है, जिन्होंने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM chief Asaduddin Owaisi)को इशारों-इशारों में 'बीजेपी का चचाजान' बता डाला. एआईएमआईएम ने टिकैत के इस बयान का करारा जवाब दिया है. ओवैसी की पार्टी के प्रवक्ता सैय्यद असीम वकार ने कहा कि टिकैत का एक बयान आया है, जिसमें वो ओवैसी साहब को बीजेपी की बी टीम बता रहे हैं और ओवैसी साहब को बीजेपी का चचाजान बता रहे हैं. लेकिन मुजफ्फरनगर दंगे (Muzaffarnagar Riots) के वक्त वो कहां छिपे बैठे थे.
वकार ने कहा, राकेश टिकैत कितने सेक्युलर हैं, ये उन्हें और उनके लोगों को बखूबी मालूम है. 2017 और 2019 के चुनाव में टिकैत बीजेपी को जिताने के लिए काम कर रहे थे और उनके लिए वोट मांग रहे थे. टिकैत मुसलमानों के कंधे पर बैठकर राजनीतिक दूरी तय करना चाह रहे हैं. आज आप मंच पर चढ़कर जाटों की तरफ से अल्लाह हू अकबर का नारा बुलंद कर रहे हैं, लेकिन जब मुजफ्फरनगर का दंगा हुआ था तो वो टिकैत कहां छिपकर बैठे थे. उस वक्त आपके के लोग नारे लगाते हुए इस नरसंहार में शामिल थे.
वकार के मुताबिक, टिकैत ने तब कोई अमन चैन की अपील नहीं की थी. आज आप टिकैत हमें बीजेपी की बी और सी टीम बता रहे हैं. कांग्रेस ने भी टिकैत के इस बयान का समर्थन किया है. कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने कहा है कि बीजेपी का समर्थन करने के लिए ओवैसी जगह-जगह पहुंच रहे हैं.
गौरतलब है कि बागपत की एक सभा में 14 सितंबर को टिकैत ने कहा था कि बीजेपी के चचाजान असदुद्दीन ओवैसी यूपी में घुस आए हैं. अगर ओवैसी बीजेपी के खिलाफ भी बोलेंगे तो भी उनके खिलाफ एक भी केस दर्ज नहीं होगा. गौरतलब है कि 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर महापंचायत के वक्त राकेश टिकैत ने मंच से हिन्दू मुस्लिम एकता की बात कही थी और बीजेपी को हराने के लिए सभी से एकजुट होने को कहा था.
टिकैत यूपी के अलग-अलग शहरों में जाकर बीजेपी के खिलाफ बिगुल फूंक रहे हैं. उन्होंने जगह-जगह किसानों की महापंचायत कराने का फैसला किया है. टिकैत ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने देश बेचो का बोर्ड लगा दिया है. टिकैत ने आऱोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी कर देंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ. अगर 2022 तक किसानों से किया गया वादा पूरा नहीं किया गया तो हम लोगों के बीच जाकर कहेंगे कि इस सरकार ने कुछ नहीं किया, इसलिए उसे वोट नहीं देना चाहिए.