कर्नाटक: हिजाब पर रोक लगाने वाला कानून कहां हैं? हाईकोर्ट में बच्चों ने पूछा, आज भी होगी सुनवाई 

कामत ने कहा कि हिजाब को संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया गया है और कोई भी कॉलेज निकाय यह निर्णय लेने के लिए सक्षम नहीं है कि सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन को देखते हुए इसे प्रतिबंधित किया जा सकता है या नहीं?

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कामत ने कहा कि हिजाब को संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया गया है.
नई दिल्ली:

कर्नाटक के हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row) में आज भी कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में सुनवाई होगी. इससे पहले कल (सोमवार, 14 फरवरी) सुनवाई के दौरान छात्राओं की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो शैक्षणिक संस्थानों में हेडस्कार्फ़ के उपयोग पर रोक लगाता है. उन्होंने पूछा कि किस कानून का इस्तेमाल कर शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक लगाने का आदेश दिया गया है.कामत ने कहा कि हिजाब को संविधान द्वारा दी गई धार्मिक स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया गया है और कोई भी कॉलेज निकाय यह निर्णय लेने के लिए सक्षम नहीं है कि सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन को देखते हुए इसे प्रतिबंधित किया जा सकता है या नहीं?

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कामत ने कहा कि हिजाब को पवित्र कुरान के इस्लामी ग्रंथ द्वारा अनिवार्य बनाया गया है. लिहाजा,  "हमें किसी अन्य प्राधिकरण के पास जाने की आवश्यकता नहीं है और इसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया गया है." उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियां सिर पर स्कार्फ़ पहनकर किसी को चोट नहीं पहुँचा रही है., उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता पर तभी रोक लगाई जा सकती है जब यह सार्वजनिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करे.

कर्नाटक हाईकोर्ट में छात्राओं के वकील ने कहा- जब केंद्रीय विद्यालय में हिजाब की इजाजत तो राज्य के स्कूलों में क्यों नहीं?

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हिजाब पर बैन के खिलाफ अपील करने वाली छात्रों के वकील देवदत्त कामत ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय भी यूनिफॉर्म के रंग के हिजाब की अनुमति देते हैं, भले ही उनकी भी यूनिफॉर्म है. मुस्लिम लड़कियों को वर्दी के रंग का हेडस्कार्फ पहनने की अनुमति है. जब केंद्रीय विद्यालय में अनुमति है तो राज्य सरकार के स्कूलों में क्यों नहीं है.  इस बीच कर्नाटक सरकार ने 16 फरवरी से प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज खोलने का फैसला किया है. 

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