पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का दौरा किया था, उस समय उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे वाम समर्थित छात्रों ने उन्हें काले झंडे दिखाए थे. इस घटना के बाद विश्वविद्यालय ने छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनमें से कुछ को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. हालांकि, एक दिन बाद सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए तत्कालीन कुलपति बी बी भट्टाचार्य को छात्रों के साथ नरमी बरतने का सुझाव दिया.सिंह का बृहस्पतिवार रात 92 साल की उम्र में निधन हो गया.
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मनमोहन सिंह जेएनयू परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए गए थे. सिंह के संबोधन के दौरान कुछ छात्रों ने नारेबाजी की और उन्हें काले झंडे दिखाए.
जेएनयू के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सिंह अपना भाषण पूरा कर जब वहां से चले गए तब कुलपति के पास प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से फोन आया था कि वह छात्रों के साथ नरमी बरतें क्योंकि विरोध करना उनका अधिकार है.
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उन्होंने कहा, 'छात्रों को चेतावनी के बाद छोड़ दिया गया.'
जेएनयू पिछले एक दशक में व्यापक विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रहा है और 2016 में देशद्रोह विवाद ने परिसर में बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस छेड़ दी थी.
भट्टाचार्य ने 2016 में एक साक्षात्कार के दौरान इस घटना का जिक्र किया था.
उन्होंने कहा था, 'मनमोहन सिंह ने मुझसे कहा था कि कृपया नरमी बरतें, सर. मैंने कहा कि मुझे कम से कम उन्हें चेतावनी देनी होगी ... लेकिन आज समस्या यह है कि छात्रों के साथ संवाद की लाइन टूट गई है.'
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