- चुनाव आयोग ने सोमवार को SIR के दूसरे चरण के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया, इस बार SIR में कागज नहीं दिखाना होगा
- SIR के दूसरे चरण में 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे तथा यह प्रक्रिया चार नवंबर से चार दिसंबर तक चलेगी
- असम में नागरिकता अधिनियम और NRC की वजह से SIR की प्रक्रिया अलग होगी और इसके लिए अलग से तारीख घोषित की जाएगी
चुनाव आयोग ने सोमवार को SIR के दूसरे चरण के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया. इस बार SIR में आपको कागज नहीं दिखाना होगा. आयोग ने बिहार से सीख लेते हुए Enumeration Form के समय देने वाले कागज की प्रक्रिया को बदल दिया है. आयोग ने कहा कि अब फॉर्म भरने के बाद एक महीने के समय में अगर मतदाता का नाम पुराने और नए मतदाता सूची में नहीं मिलता है, तो ही उससे 12 दस्तावेजों की सूची में से कोई एक दस्तावेज देना होगा.
चुनाव आयोग के मुताबिक़, करीब 60 से 70 प्रतिशत लोगों का नाम पुरानी और नई मतदाता सूची के मैपिंग के समय पहचान कर ली गई है. मतदाता ख़ुद भी अपना नाम चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर नाम चेक कर सकता है. अब कागज सिर्फ उन्हीं लोगों को देना होगा, जिनका नाम और उनके माता-पिता का नाम नए और पुराने मतदाता सूची में नहीं है. ऐसे लोगों को कागज देकर अपना नाम शामिल करवाना होगा.
बिहार से 12 राज्यों में SIR क्यों अलग
इस बार बिहार से सीख लेते हुए आधार कार्ड को दस्तावेजों की सूची में जोड़ दिया गया है. साथ ही एक स्कैन करने का ऑप्शन भी दिया गया है. आयोग ने कहा कि अगले साल असम में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां पर NRC होने की वजह से SIR नहीं होगा. उसके लिए अलग से तारीख का ऐलान किया जाएगा. बिहार से यह SIR इसलिए अलग होगा, क्योंकि अब deduplication वाली समस्या नए राज्यो में नहीं होगी. इसके लिए एनडीटीवी के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'हम लोगों से अपील करते हैं कि सिर्फ एक ही जगह से एन्युमेरेशन फॉर्म भरने. दो जगह से भरने वालो के ख़िलाफ़ करवाई हो सकती है.
असम SIR पर क्यों देरी
असम में मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की घोषणा अलग से की जाएगी. असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव संभावित है. असम में नागरिकता अधिनियम का एक अलग प्रावधान लागू होता है. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं. उच्चतम न्यायालय की निगरानी में नागरिकता की जांच का कार्य लगभग पूरा होने वाला है. 24 जून का एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था. ऐसी परिस्थितियों में यह असम पर लागू नहीं होता.असम के लिए अलग से पुनरीक्षण आदेश जारी किए जाएंगे और एसआईआर की एक अलग तिथि घोषित की जाएगी.
SIR कब से कब तक चलेगा
एसआईआर का दूसरा चरण चार नवंबर को गणना प्रक्रिया के साथ शुरू होगा और यह चार दिसंबर तक चलेगा. निर्वाचन आयोग नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी.
SIR 2.0 में कितने करोड़ वोटर
एसआईआर के दूसरे चरण में 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे. गणना प्रक्रिया चार नवंबर से शुरू होगी, जबकि मसौदा मतदाता सूची नौ दिसंबर को और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जाएगा। एसआईआर यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी योग्य मतदाता का नाम छूट न जाए और किसी भी अयोग्य मतदाता का नाम मतदाता सूची में शामिल न हो'
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बंगाल पर क्या कहा
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पश्चिम बंगाल सरकार के साथ किसी भी टकराव की स्थिति बनने से भी इनकार किया. प्रदेश की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने राज्य में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्तियां जताई हैं. कुमार का कहना था, ‘निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के बीच कोई टकराव नहीं है. आयोग एसआईआर प्रक्रिया को अंजाम देकर अपना संवैधानिक कर्तव्य निभा रहा है और राज्य सरकार भी अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करेगी. राज्य सरकारें मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने के लिए आयोग को आवश्यक कर्मी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं.
कटऑफ डेट क्या है?
आयोग एसआईआर कराने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ पहले ही दो बैठकें कर चुका है. कई सीईओ ने अपनी पिछली एसआईआर के बाद की मतदाता सूचियां अपनी वेबसाइटों पर डाल दी हैं. दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम गहन पुनरीक्षण हुआ था. उत्तराखंड में अंतिम एसआईआर 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है. राज्यों में अंतिम एसआईआर उसी तरह से ‘कट-ऑफ' तिथि के रूप में काम करेगी जैसे बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची का उपयोग चुनाव आयोग ने गहन पुनरीक्षण के लिए किया था. अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का अंतिम एसआईआर 2002 और 2004 के बीच था और उन्होंने अपने-अपने राज्यों में हुए अंतिम एसआईआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं का मानचित्रण लगभग पूरा कर लिया है.













