"बेतुका, अविश्वसनीय..., अधजले नोटों की गड्डियां मिलने पर जज यशवंत वर्मा ने क्‍या कहा, पढ़ें

जज यशवंत वर्मा ने बिक्री कर, माल एवं सेवा कर एवं कंपनी अपील जैसे मामलों की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे. उनका आठ अगस्त, 1992 को एक वकील के रूप में पंजीकरण हुआ था.

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जिस कमरे में नोटों की गड्डियां मिलीं, वह उनके मुख्य आवास से अलग: न्यायाधीश यशवंत वर्मा
नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा ने इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि उनके परिवार ने उस स्टोर रूम में कोई नकदी रखी थी, जिसमें से कथित तौर पर नोटों की कई गड्डियां बरामद की गई थीं. इधर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी पाए जाने के मामले की पूरी आंतरिक जांच रिपोर्ट घटना से जुड़ी तस्वीरों और वीडियो के साथ अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी. इस वीडियों में कई बोरियों में जले हुए नोट नजर आ रहे हैं. 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में होली की रात न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर लगी आग को बुझाने से जुड़े अभियान के वीडियो और फोटोग्राफ भी शामिल हैं, जिसके दौरान नकदी बरामद हुई थी.

'अधजली नोटों की गड्डियां मेरी नहीं...'

न्यायाधीश यशवंत वर्मा का कहना है कि जिस कमरे में नोटों की गड्डियां मिलीं, वह उनके मुख्य आवास से अलग है और कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को नकदी की कथित बरामदगी पर एक लंबे जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि 14 मार्च की देर रात होली के दिन दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास के स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित स्टोर रूम में आग लग गई थी. न्यायाधीश ने लिखा, 'इस कमरे का इस्तेमाल आम तौर पर सभी लोग पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए गए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग) की सामग्री जैसे सामान रखने के लिए करते थे. यह कमरा खुला है और सामने के गेट के साथ-साथ स्टाफ क्वार्टर के पिछले दरवाजे से भी इसमें प्रवेश किया जा सकता है. यह मुख्य आवास से अलग है और निश्चित रूप से मेरे घर का कमरा नहीं है, जैसा कि बताया जा रहा है.'

बेतुका और अविश्वसनीय 

न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि वे और उनकी पत्नी उस दिन मध्य प्रदेश में थे और घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां ही थीं. उन्होंने कहा कि वे 15 मार्च को भोपाल से इंडिगो की फ्लाइट से अपनी पत्नी के साथ दिल्ली लौटे. न्‍यायाधीश ने कहा, 'जब आधी रात के आसपास आग लगी, तो मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने फायरबिग्रेड को सूचित किया और उनकी कॉल विधिवत रिकॉर्ड की गई. आग बुझाने के दौरान, सभी कर्मचारियों और मेरे घर के सदस्यों को सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर घटनास्थल से दूर जाने के लिए कहा गया. आग बुझने के बाद जब वे घटनास्थल पर वापस गए, तो उन्होंने मौके पर कोई नकदी या मुद्रा नहीं देखी.' उन्होंने कहा, 'मैं साफतौर पर कहना चाहता हूं कि मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा उस स्टोररूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई थी और मैं इस बात की कड़ी निंदा करता हूं कि कथित नकदी हमारी थी. यह विचार या सुझाव कि यह नकदी हमारे द्वारा रखी गई थी, पूरी तरह से बेतुका है. यह सोच कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास या आउटहाउस में खुले, आसानी से सुलभ और आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम में नकदी रखेगा, अविश्वसनीय है.'

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न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कथित रूप से बड़ी नकद राशि बरामद होने की घटना के बाद, उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. न्यायमूर्ति वर्मा वर्तमान में बिक्री कर, माल एवं सेवा कर एवं कंपनी अपील जैसे मामलों की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे. उनका आठ अगस्त, 1992 को एक वकील के रूप में पंजीकरण हुआ था. न्यायमूर्ति वर्मा को 13 अक्टूबर, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, उन्होंने एक फरवरी, 2016 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 11 अक्टूबर, 2021 को उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया.

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