पीएम मोदी सोमवार को फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंच गए हैं. जहां वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ एआई एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता करेंगे. इसके बाद पीएम मोदी अमेरिका (PM Modi US Visit) रवाना होंगे. जहां पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संग मुलाकात करेंगे. पीएम मोदी की ये अमेरिकी दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है. क्योंकि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी नई नीतियों से दुनियाभर में खलबली मची है. ट्रंप के टैरिफ से लेकर अवैध प्रवासियों के खिलाफ हो रही कार्रवाई पर भारत भी चिंतित है. ऐसे में दोनों देशों के बीच किन मुद्दों पर बातचीत होगी. इस पर सभी की नजरें होगी.
प्रवासियों पर भारत-अमेरिका में होगी चर्चा
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री मोदी-अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठक के दौरान अमेरिका द्वारा अवैध भारतीय अप्रवासियों के निर्वासन पर चर्चा की जाएगी. इस पर अमेरिकी कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने कहा, "मुझे यकीन है कि इस पर चर्चा की जाएगी. मेरा विचार है कि जब निर्वासन होता है, तो उसे मानवीय तरीके से किया जाना चाहिए, जहां निर्वासित लोगों के साथ उचित सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, न कि उन्हें परेशान किया जाना चाहिए या अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाना चाहिए. निश्चित रूप से, अमेरिका आने वाले लोगों को कानून का पालन करना चाहिए और कानूनी रूप से आना चाहिए. इसलिए, मुझे उम्मीद है कि यह मुद्दा सुलझ जाएगा."
सैन्य संबंध भी होंगे मजबूत
अमेरिकी कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने कहा, "यह प्रतिबद्धता है कि अमेरिका-भारत संबंध और मजबूत होंगे. यह किसी एक राष्ट्रपति पर निर्भर नहीं करता. मेरी उम्मीद है कि वे पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा सैन्य संबंध और सहयोग को गहरा करने के लिए किए गए काम को आगे बढ़ाएंगे. हम दोनों ही चीन द्वारा क्षेत्रीय विस्तार के लिए पेश की जाने वाली चुनौतियों को पहचानते हैं, चाहे वह अरुणाचल प्रदेश में हो या ताइवान में... हमारे पास वैज्ञानिक अनुसंधान और नवीकरणीय ऊर्जा पर सीमा पार सहयोग का अवसर भी है, और हम भारत कॉकस के साथ मिलकर ऐसा करने के लिए काम करेंगे."
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर भी चर्चा
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर अमेरिकी कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने कहा, "अमेरिका का भारत के साथ व्यापार संतुलन है, चीन के साथ हमारे संबंधों को खराब करने वाली चीजों में से एक है भारी व्यापार घाटा, जहां चीन हमें ये सभी उत्पाद बेच रहा है और हमारे उत्पाद नहीं खरीद रहा है. यूरोप के साथ भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. उनके साथ हमारा व्यापार घाटा है. कनाडा के साथ भी हमारा व्यापार घाटा है. हमें संतुलित व्यापार संबंध की आवश्यकता है. इसलिए मुझे लगता है कि भारत के साथ जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि वे अमेरिका से उतना ही खरीदने के लिए प्रतिबद्ध हों जितना हम उनसे खरीदते हैं."