मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी विधेयक रखा सदन के पटल पर...
UCC Bill: उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहिता बिल पेश हो गया है. कानून बनने के बाद उत्तराखंड आज़ादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य हो जाएगा. विधानसभा में BJP के पास पूर्ण बहुमत है. ऐसे में इस विधेयक का पास होना तय माना जा रहा है. इससे पहले रविवार को इस विधेयक को कैबिनेट की मंज़ूरी मिली थी.
- यूसीसी के विधेयक को सदन के पटल पर रख दिया गया है. अब दो बजे सदन की कर्यवाही दोबारा शुरू होगी और यूसीसी पर सदन में चर्चा शुरू होगी. सरकार पूरी तरह से तैयार है. विशेषज्ञ समिति के सदस्य मनु गौड़ को भी सदन में बुलाया गया है, ताकि सदन को कानून की तकनीकियां-बारिकियां समझने में मदद मिल सके.
- समान नागरिक संहिता पर ड्राफ़्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है. इसमें क़रीब 2 लाख 33 हज़ार लोगों ने अपने विचार दिए हैं. इसे तैयार करने वाली कमेटी ने कुल 72 बैठकें की थीं. ख़बरों के मुताबिक, UCC के ड्राफ़्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं.
- UCC विधेयक महिला अधिकारों पर केंद्रित है. इसमें बहु-विवाह पर रोक का प्रावधान है. लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है.
- समान नागरिक संहिता बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के लिये रजिस्ट्रेशन को ज़रूरी कर दिया गया है. कानूनी विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे रिश्तों के पंजीकरण से पुरुषों और महिलाओं दोनों को फायदा होगा.
- बिल में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर ही विरासत का अधिकार देने का प्रस्ताव है. अभी तक कई धर्मों के पर्सनल लॉ में लड़कों और लड़कियों समान विरासत का अधिकार नहीं है.
- उत्तराखंड की 4% जनजातियों को क़ानून से बाहर रखने का प्रावधान किया गया है. मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है.
- बिल में शादी का रजिस्ट्रेशन ज़रूरी करने का प्रस्ताव रखा गया है. साथ ही शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाएं नहीं देने का प्रस्ताव भी रखा गया है.
- बिल के में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान करने का प्रस्ताव रखा गया है. मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव बिल में है.
- मुस्लिम समुदाय के भीतर हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्ताव बिल में रखा गया है. इस प्रथा का काफी विरोध होता रहा है.
- पति की मृत्यु पर पत्नी ने दोबारा शादी की, तो मुआवज़े में माता-पिता का भी हक़ होने का प्रस्ताव भी बिल में रखा गया है. पत्नी की मृत्यु होने पर उसके मां-बाप की ज़िम्मेदारी पति पर होगी. पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ, तो बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्ताव भी यूसीसी विधेयक में रखा गया है.
Advertisement
                                                    Advertisement
                                                    Advertisement
                                                    













