जम्मू कश्मीर के पहलगाम में बेसरन घाटी में आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकियों के खिलाफ जो कदम उठाए, उससे पाकिस्तान थर्रा उठा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ अभी तक भारत की जवाबी कार्रवाई के सबूत दुनिया के सामने पेश कर रहा है. ये बताने की कोशिश कर रहा है कि वो पीड़ित है, लेकिन जब कोई फायदा होता नहीं दिख रहा, तो वो बिलबिलाता हुआ नजर आ रहा है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अब शिमला समझौते 'डेड डॉक्यूमेंट' बताकर एक नई गीदड़भभकी दी है. हालांकि, इसके बाद ही उन्होंने सफाई भी पेश कर दी कि द्विपक्षीय समझौतों को रद्द करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है शिमला समझौता.
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को शिमला में हुआ एक महत्वपूर्ण समझौता था. इस समझौते पर भारत की ओर से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने साइन किये थे. शिमला समझौता के टेबल से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध हुआ, जिसके बाद एक नए देश 'बांग्लादेश' की नींव रखी गई थी.
तब पूर्वी पाकिस्तान में पाक सेना का अत्याचार काफी बढ़ गया था, वहां हिंदुओं और मुसलमानों पर हमले किये जा रहे थे. ऐसे में लाखों लोग भारत में शरण लेने आ गए थे. ऐसे में भारत को न चाहते हुए भी पूर्वी पाकिस्तान में लोगों को बचाने के लिए हाथ बढ़ाना पड़ा था. इसके बाद भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच जंग हुई, जिसमें पाक को बड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा. इस दौरान पाकिस्तान के लगभग 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने हथियार डाल दिये थे. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को शांति स्थापित करने के लिए समझौते की टेबल पर शिमला में बुलाया.
शिमला समझौते की मुख्य शर्तें...
- शिमला समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान ने यह स्वीकार किया कि वे अपने सभी मतभेदों और विवादों को आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाएंगे. इनमें किसी तीसरे पक्ष या देश का कोई भी दखल नहीं होगा. इस शर्त से भारत ने कश्मीर मुद्दे को भी दोनों देशों तक ही सीमित कर दिया था.
- पाकिस्तान भले ही भारतीय सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन करता रहता है, लेकिन शिमला समझौते के तहत उसने यह सहमति जताई थी कि वो किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए बल का प्रयोग नहीं करेगा और सभी मुद्दों को बिना हथियार के शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे.
- भारत और पाकिस्तान के बीच आज हम जिस लाइन ऑफ कंट्रोल यानी LOC का जिक्र करते हैं, वह शिमला समझौते के बाद ही निधार्रित की गई थी. ये रेखा भारत और पाकिस्तान के क्षेत्र को परिभाषित करते हैं.
- 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के लगभग 93 हजार सैनिकों को बंदी बना लिया था. ऐसे में अगर भारत चाहता तो, पाकिस्तान पर कई प्रतिबंध लगा सकता था. लेकिन भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया और शिमला में समझौता किया कि युद्धबंदियों और कब्जाई जमीन को वापस किया जाएगा.
क्यों चर्चा में आया शिमला समझौता?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को रद्द करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. यह बात मीडिया की एक खबर में कही गई है. एक दिन पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया था कि 1972 का शिमला समझौता अपनी शुचिता खो चुका है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने केवल शिमला समझौते को समाप्त करने की धमकी दी थी, लेकिन ऐतिहासिक समझौते को रद्द करने के लिए बाद में कोई कदम नहीं उठाया गया. विदेश कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार को बताया कि भारत की हालिया कार्रवाइयों और बयानों ने आंतरिक चर्चाओं को बढ़ावा दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने नयी दिल्ली के साथ अपने किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने के लिए कोई औपचारिक या निर्णायक कदम नहीं उठाया है. अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल, किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है.' उन्होंने संकेत दिया कि शिमला समझौते सहित मौजूदा द्विपक्षीय समझौते प्रभावी बने हुए हैं.