क्या है जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबी गुम हो जाने का रहस्य?

जगन्नाथ रत्न भंडार (Jagannath Temple) की चाबी पिछले 6 साल से गायब है. भीतरी रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था. उस दौरान उन गहनों की लिस्ट भी बनाई गई थी, जो भंडार में रखे गए हैं. इसके बाद रत्न भंडार का ये हिस्सा कभी खोला ही नहीं गया.

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जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबी गुम जाने का रहस्य.
पुरी, ओडिशा:

हिंदू धर्म के चार धामों में से एक माने जाने वाले ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर (Odisha Jagannath Temple) के भक्त दुनियाभर में फैले हुए हैं. कहा जाता है कि जो एक बार भगवान जगन्नाथ की छवि को देख लेता है, उसे मोक्ष मिल जाता है. ओडिशा के इस मंदिर को कलिंग वास्तुकला के आधार पर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था. मंदिर में जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान हैं. बात अगर जगन्नाथ के रत्न भंडार (Jagannath Ratna Bhandar) की करें तो यहां पर तीनों देवों के जेवरात रखे हुए हैं. भक्त जो भी गहने अपने आराध्य को चढ़ाते हैं, उनको रत्न भंडार में रखा जाता है. पुराने समय में भी राजाओं और भक्तों की तरफ से आराध्य को अर्पण किए गए गहने इसी रत्नभंडार में रखे गए हैं. इनकी कीमत आज अरबों-खरबों में बताई जाती है.

क्या है रत्न भंडार की चाबी खो जाने का रहस्य

जगन्नाथ रत्न भंडार के भीतरी और बाहरी दो हिस्से हैं. बाहरी रत्न भंडार वह जगह है, जहां पर देवों को अक्सर ही पहनाए जाने वाले जेवर रखे जाते हैं. वहीं भीतरी भंडार में उन गहनों को सहेजकर रखा जाता है, जिनको भगवान को पहनाया नहीं जाता है. रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा तो खुला है लेकिन भीतरी हिस्सा सालों से बंद है. इसकी चाबी भी पिछले 6 साल से गायब है.

भीतरी रत्न भंडार को आखिरी बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था. उस दौरान उन गहनों की लिस्ट भी बनाई गई थी, जो भंडार में रखे गए हैं. इसके बाद रत्न भंडार का ये हिस्सा कभी खोला ही नहीं गया. अब तो इसकी चाबी भी नहीं मिल रही है. 

रत्न भंडार की चाबी पर राजनीतिक रार

  • जगन्नाथ रत्न भंडार की चाबी इन दिनों राजनीतिक मुद्दा बन हुई है. बीजेपी ने पिछले साल ओडिशा हाई कोर्ट में इसे लेकर एक पीआईएल दाखिल की थी.
  • PIL में कोर्ट से रत्न भंडार को खुलवाए जाने के लिए हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
  • मामले में CBI जांच की मांग भी बीजेपी की तरफ से की गई थी.
  • ओडिशा के कानून मंत्री ने ये कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की थी कि रत्न भंडार की चाबी गुम हुई है या नहीं, उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
  • हालांकि रत्न भंडार खोले जाने को लेकर ये कोई पहली पीआईएल नहीं थी. इससे पहले भी भंडार खोलने की मांग को लेकर जनहित याचिकाएं दाखिल होती रहीं.
  • साल 2018 में ओडिशा हाई कोर्ट ने रत्न भंडार खोलने का आदेश दिया था, जिससे खजाने की जांच की जा सके. लेकिन चाबी गायब होने की वजह से ये संभव नहीं हो सका.
  • इस साल फरवरी में राज्य के कानून मंत्री ने कहा था कि रत्न भंडार के खजाने को जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान यानी कि 7 जुलाई को खोला जाएगा. 
     

कहां बना है भगवान जगन्नाथ का रत्न भंडार?

जगन्नाथ जी के जिस रत्न भंडार पर बहस छिड़ी हुई है, वह भंडार भगवान जगन्नाथ के चरणों के नीचे बना है. यहां पर न सिर्फ तीनों देवों के गहने बल्कि कीमती बर्तन भी रखे हैं. जानकारी के मुताबिक जब से इस मंदिर का निर्माण हुआ है, तब ये ही ये गहने और बर्तन रत्नभंडार में रखे हैं. उस दौर के राजाओं ने अपने आराध्य को भारी मात्रा में गहने भेंट किए थे. महाराजा रणजीत सिंह और अमृतसर के राजा हरमिंदर साहिब ने भगवान जगन्नाथ को खूब सोना दान किया था. ये सब खजाना रत्न भंडार में रखा हुआ है. कहा जाता है कि खजाना मंदिर में बने दो तहखानों में रखा हुआ है. उन्हीं तहखानों को खोले जाने की मांग की जा रही है. 

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कैसे खुलता है भगवान जगन्नाथ का रत्नभंडार?

ओडिशा के जगन्नाथपुरी मंदिर की चाबी पुरी के कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है. भंडार को खोलने के लिए पहले राज्य सरकार से परमिशन लेनी होती है. साल 2018 में हाई कोर्ट ने ASI सर्वे के आधार पर रत्न भंडार खोलने का निर्देश दिया था. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद ओडिशा सरकार ने अप्रैल 2018 में जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोलने का आदेश दिया था. चाबी गुम होने की वजह से रत्न भंडार खोला ही नहीं जा सका था. तब से आज तक चाबियां गुम होने का रहस्य उजागर नहीं हो सका है. हालांकि इसे लेकर जांच भी बैठी लेकिन रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई. 

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