ममता बनर्जी ने एक सप्ताह में दो बार प्रधानमंत्री को इसको लेकर पत्र लिखा है.
केंद्र सरकार IAS कैडर नियमों में बदलाव करने जा रही है. केंद्र सरकार के इस फैसले के विरोध में कई राज्य सरकारें उतर गई हैं. इनमें ज्यादात्तर गैर भाजपा शासित राज्य हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पहले यह मामला उठाया था और एक सप्ताह के भीतर दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसको लेकर पत्र लिखा है. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी ऐतराज जताया. अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने भी इसका विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. आखिर क्या है IAS कैडर रूल्स संशोधन को लेकर विवाद?
- 12 जनवरी को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा था कि केंद्र सरकार IAS (कैडर) रूल्स, 1954 में बदलाव करना चाहती है. केंद्र ने राज्यों से 25 जनवरी तक इस पर अपनी राय देने को कहा है.
- इसके मुताबिक, राज्य सरकारों के अधिकार को बायपास कर केंद्र किसी भी IAS अफसर को डेपुटेशन पर बुला सकती है.
- अभी तक की व्यवस्था यह थी कि केंद्र में डेपुटेशन के लिए राज्यों के IAS अफसर अपनी इच्छा जाहिर करते थे. इसके बाद राज्य सरकार अपने अफसरों की सूची बनाती थी और फिर उनमें से डेपुटेशन पर भेजा जाता था.
- माना जा रहा है कि केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में इस संशोधन को पेश कर सकती है. एक जनवरी 2021 तक देश में कुल 5,200 आईएएस ऑफिसर थे, जिनमें से 458 केंद्र में नियुक्त थे.
- लेकिन केंद्र सरकार के IAS कैडर नियमें में बदलाव लाने का फैसला कई राज्यों के अधिकारियों को पसंद नहीं आ रहा है, जिसकी वजह से कई राज्य अब ये मांग कर रहे है कि इन नियमों में कोई बदलाव ना किया जाए.
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम को खत लिखते हुए चेताया है कि इस पर फिर से विचार नहीं किया गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।.
- जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ये संघीय ढांचे के खिलाफ है.
- डेपुटेशन को लेकर पहले भी केंद्र और राज्यों में टकराव हो चुका है. मई 2021 में आईएएस अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल में टकराव हुआ था.
- दिसंबर 2020 में बंगाल सरकार ने तीन आईपीएस अधिकारियों को केंद्र में भेजने की बात नहीं मानी थी.
- वहीं साल 2001 में अटल सरकार का आईपीएस अधिकारियों को लेकर तमिलनाडु की जयललिता सरकार से विवाद हुआ था.
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