गार्ड ऑफ ऑनर (Guard of Honor) एक सम्मान होता है, जो किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के आगमन पर दिया जाता है. जब किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भारत आते हैं तो उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया जाता है. इसके अलावा भी कई VVIP मेहमानों को भी यह सम्मान दिया जाता है. आसान भाषा में कहें तो भारतीय सशस्त्र सेना VVIP के सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर का आयोजन करती है. ये VVIP देश या विदेश दोनों जगहों से हो सकते हैं.
कौन देता है गार्ड ऑफ ऑनर
साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश की तीनों सेनाओं को मिलाकर एक खास टुकड़ी बनाई गई थी. इसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना के 100 जवानों को शामिल किया गया. इसको ट्राई सर्विस ऑफ गार्ड कहा जाता है. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. इसको राष्ट्रपति भवन या केंद्रीय सचिवालय में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अन्य VVIP की यात्राओं के दौरान तैनात किया जाता है.
कैसे दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर
सलामी के वक्त मुख्य अतिथि एक डायस पर खड़े होते हैं. गार्ड का कमांडर उनके पास आता है और निरीक्षण करने के लिए कहता है. कमांडर विशिष्ट अतिथि से कहता है, "श्रीमान, महोदय, सम्मान गार्ड आपके निरीक्षण के लिए हाजिर है."
इसके बाद VVIP गारद का निरीक्षण करता है. वह इंस्पेक्शन लाइन पर कदम बढाता है. जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता है, सभी गार्ड उसकी ओर चेहरा घुमाते हैं. इस दौरान कमांडर उसकी दाईं ओर चलता है. निरीक्षण खत्म होने के बाद गार्ड कमांडर VVIP को सैल्यूट करते हैं. जब तक VVIP वहां मौजूद रहता है, तब तक गार्ड ना तो उस जगह को छोड़ता है और ना ही विश्राम की मुद्रा में आता है. भारत के राष्ट्रपति को 150 सैनिक और भारत के प्रधानमंत्री को 100 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं. भारत के उपराष्ट्रपति के लिए भी 100 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं. बाकी अन्य VVIP को 50 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं.
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