Explainer: क्या है दिल्ली शराब नीति मामला, अरविंद केजरीवाल की पार्टी से कैसे जुड़ा है?

दिल्ली सरकार नवंबर 2021 में राजधानी के शराब (Delhi Liquor Policy) विक्रेताओं के लिए एक नई नीति लेकर आई थी. नई नीति के तहत सरकारी दुकानों की बजाय शराब के स्टोर बेचने के लिए निजी पार्टियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने की परमिशन दी गई थी.

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क्या है दिल्ली शराब नीति घोटाला.

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले (Delhi Liquor Policy) में आज ईडी ने पूछताछ के लिए तलब किया था, हालांकि दिल्ली सीएम आज पेश नहीं हुए. पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इसी मामले में पहले से हीजेल में हैं. हाईकोर्ट मनीश सिसोदिया जमानत याचिका खारिज कर दी थी. आम आदमी पार्टी के साांसद सांसद संजय सिंह को भी पिछले महीने इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था. यहां जानना जरूरी है कि आखिर दिल्ली शराब नीति घोटाला है क्या?

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क्या है दिल्ली शराब नीति मामला?

दिल्ली सरकार नवंबर 2021 में राजधानी के शराब विक्रेताओं के लिए एक नई नीति लेकर आई थी. नई नीति के तहत सरकारी दुकानों की बजाय शराब के स्टोर बेचने के लिए निजी पार्टियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने की परमिशन दी गई. दिल्ली सरकार का कहना था कि नई नीति लाने से शराब की कालाबाजारी रुकेगी, दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा और ग्राहकों को फायदा होगा.  केजरीवाल सरकार की नई नीति में शराब की दुकानों को आधी रात के बाद भी खुले रहने की परमिशन दी गई. शराब विक्रेताओं को बिना किसी लिमिट के डिस्काउंट देने की भी परमिशन दी गई.  

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नई नीति आने के बाद कई निजी शराब दुकानों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई और दिल्ली सरकार ने कलेक्शन में 27 प्रतिशत की वृद्धि का दावा किया.दिल्ली में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति की आलोचना करते हुए दिल्ली सरकार पर "शराब संस्कृति" को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. बीजेपी ने कहा कि शराब की कई दुकानें रिहायशी इलाकों में खोली गई हैं. 

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कैसे शुरू हुई परेशानी?

दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने जुलाई 2022 में एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि नई शराब नीति में कई नियमों का उल्लंघन किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार की शराब नीति ने विक्रेताओं को "अनुचित लाभ" दिया. मुख्य सचिव ने कोरोना महामारी के दौरान शराब लाइसेंस फीस में 144 करोड़ की छूट देने की भी बात कही. दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआई से इस मामले को देखने को कहा. इसके बाद आम आदमी पार्टी बीजेपी पर हमलावर हो गई. वहीं केजरीवाल सरकार ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. इसके तुरंत बाद दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति वापस ले ली. इसकी वजह से 400 से ज्यादा नए खुले स्टोर बंद हो गए. नई नीति लागू होने तक शराब की बिक्री पर फिर से सरकार का कंट्रोल हो गया. 

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शराब नीति मामले में किस-किस पर शिकंजा

अगस्त 2022 में सीबीआई ने  दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी की. मनी ट्रेल की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय भी जांच में शामिल हुआ. ईडी का केस मनीश सिसोदिया और 14 अन्य के खिलाफ सीबीआई द्वारा दर्ज की गई पहली एफआईआर पर आधारित था. जांच एजेंसियों ने आरोप लगाया कि साउथ का एक ग्रुप भी इसमें शामिल है. इस कथित ग्रुप का हिस्सा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव की बेटी के कविता और वाईएसआरसीपी सांसद एम श्रीनिवासुलु रेड्डी और अरबिंदो फार्मा के सरथ रेड्डी भी थे.

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 ईडी ने आरोप लगाया कि "साउथ ग्रुप" और आम आदमी पार्टी के बीच एकडील हुई थी, जिसके तहत साउथ ग्रुप ने AAP को गोवा चुनाव अभियान के लिए पैसा दिया. ईडी ने आरोप लगाया कि "साउथ ग्रुप" को दिल्ली में अपने कंट्रोल वाले शराब कारोबार के जरिए यह पैसा वसूलना था. AAP पर नई नीति के तहत लाइसेंस देते समय इन शराब नेटवर्कों का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया था.

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