30 सिंतबर 2008 की. 25 साल की सौम्या विश्वनाथन (Soumya Vishwanathan) के लिए ये दिन बाकी दिनों की तरह नॉर्मल दिन था. सौम्या 'हेडलाइंस टुडे' में जर्नलिस्ट थीं और उस दिन किसी स्टोरी पर काम करने के लिए देर रात तक ऑफिस में रुकी थीं. देर रात वह काम खत्म कर अपनी कार से घर के लिए निकली थीं. लेकिन सौम्या (Soumya Vishwanathan Murder Case) नहीं जानती थीं कि आखिरी बार कार ड्राइव कर रही हैं. सुबह के करीब साढ़े 3 बजे थे, जब सौम्या की कार सड़क पर पलटी हुई मिली. एक राहगीर ने पुलिस को फोन किया. पुलिस मौके पर पहुंची. शुरुआत में ये एक एक्सीडेंट लगा, लेकिन जब पुलिस ने सौम्या की बॉडी देखी, तो वो हैरान रह गए. सौम्या ड्राइविंग सीट पर गिरी हुई थी, सिर के पीछे गोली का निशान था. जब गाड़ी की हालत देखी, तो पता चला कि केवल ड्राइविंग सीट का कांच टूटा हुआ था, बाकी शीशे ठीक थे, कार के आगे का एक पहिया पंचर था. क्राइम सीन देखकर पुलिस को ये समझने में देर नहीं लगी कि ये हत्या लूट के लिए की गई है. सौम्या को अस्पताल लेकर जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई.
जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस : साकेत की कोर्ट ने पांचों आरोपियों को दोषी करार दिया
सौम्या विश्वनाथन की हत्या के 15 साल बाद आरोपियों को दोषी करार दिया गया. दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले में 5 लोगों को दोषी ठहराया. रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अक्षय कुमार को हत्या और लूट का दोषी ठहराया गया है. अजय सेठी को दूसरों की मदद करने का दोषी ठहराया गया.
उसी सुबह करीब 3.45 बजे, पास के रेस्तरां के एक स्टाफ ने साइकिल से घर जाते हुए एक महिला को कार में देखा. कार की हेडलाइट्स और इंजन चालू थी. उसने कुछ गाड़ियां रोकने की कोशिश की, फिर पुलिस को कॉल किया. सौम्या को एम्स ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि सौम्या ने सुबह करीब 3.15 बजे अपने पिता को फोन किया था और बताया था कि वह घर लौट रही है. आधे घंटे से भी कम समय में उसकी हत्या कर दी गई.
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हत्या की जांच करने वाले एक अधिकारी ने कहा, "हत्यारे घटनास्थल से भाग गए, लेकिन सौम्या जिंदा है या नहीं... ये देखने के लिए वो 20 मिनट बाद वापस लौटे. जब उन्होंने मौके पर पुलिस को देखा, तो भाग गए." पुलिस को सौम्या का फोन और पर्स कार में मिला
दरअसल, इस केस को लेकर दिल्ली पुलिस पर काफी दवाब था. पुलिस जांच पड़ताल में जुट गई. सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए. सौम्या के ऑफिस से निकलने का आखिरी फुटेज पुलिस के हाथ लगा. इसके बाद सौम्या कैसे-कहीं गई, किसने हमला किया, कैसे हमला किया... इन सवालों का जवाब पुलिस को अभी तक नहीं मिला था. करीब 6 महीने तक दिल्ली पुलिस के हाथ सौम्या के हत्यारों का कोई खास सबूत नहीं लग पाया.
पुलिस को 2009 में एक अन्य महिला जिगिशा घोष की हत्या की जांच के दौरान सौम्या विश्वनाथन मर्डर केस के सबूत मिले थे. घोष की 18 मार्च 2009 को लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई थी. इस सिलसिले में रवि कपूर को गिरफ्तार किया गया था. पूछताछ के दौरान उन्होंने कहा कि उन्होंने एक और महिला की हत्या कर दी है.
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कोर्ट के फैसले के बाद सौम्या के माता-पिता माधवी विश्वनाथन और एमके विश्वनाथन की आंखों से आंसू छलक पड़े. मीडिया से बात करते हुए माधवी विश्वनाथन ने कहा, "हमने अपनी बेटी को खो दिया है, लेकिन यह दूसरों के लिए एक सबक के रूप में काम करेगा. वरना दोषियों का साहस बढ़ जाता." कोर्ट का फैसला आने पर सौम्या की मां ने सीनियर पुलिस अफसर एचजीएस धालीवाल को गले लगा लिया. उन्होंने कहा कि वह दोषियों के लिए उम्रकैद की सजा चाहती हैं.