तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच का कावेरी जल विवाद इन दिनों फिर से सुर्खियां बटोर रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के चार नंबर कोर्ट में बैठकर निगरानी नहीं कर सकते. हम ये तय नहीं कर सकते कि किस राज्य को कितना पानी मिले. हम निगरानी प्राधिकरण नहीं हैं. तमिलनाडु की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमें कम से कम 7 हजार क्यूसेक पानी चाहिए. CWMA ने 5 हजार क्यूसेक देने को कहा. जबकि कर्नाटक वो भी नहीं दे रहा. इस मामले में कर्नाटक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा, वो तमिलनाडु को 27 सितंबर तक प्रतिदिन 5000 क्यूसेक पानी नहीं दे सकता.
कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के 18 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने के निर्देश देने की मांग की. इस मामले में आज सुनवाई होनी है. कर्नाटक सरकार ने कहा है कि जल वर्ष 2023-24 की शुरुआत खराब रही. कर्नाटक खुद पानी की भारी कमी से जूझ रहा है. कर्नाटक के पास तमिलनाडु के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है. कर्नाटक के जलग्रहण क्षेत्र को पोषण देने वाला दक्षिण पश्चिम मानसून बुरी तरह विफल रहा. जलाशयों में पानी का प्रवाह 53.42%% कम हुआ. कर्नाटक ने CWMA के पिछले 3 निर्देशों पर 19,404 क्यूसेक ज्यादा पानी सुनिश्चित किया है.
कर्नाटक ने पूछा है कि क्या कर्नाटक को सूखे के समय में बेंगलुरु शहर के पीने के पानी सहित फसलों, पीने के पानी की न्यूनतम आवश्यकता का आकलन किए बिना पानी सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है? क्या तमिलनाडु को पानी के अविवेकपूर्ण उपयोग के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए. जैसा कि 29.08.2023 को आयोजित 23वीं बैठक में केंद्र के प्रतिनिधि ने कहा था. इससे पहले कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. कहा कि CWMA ने कर्नाटक को तमिलनाडु राज्य को 15 दिनों के लिए 5000 क्यूसेक पानी देने का निर्देश दिया है.
CWMA ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कर्नाटक राज्य ने निर्देशों का पालन किया है और 26 अगस्त तक 149898 क्यूसेक पानी छोड़ा है. 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल आदेश जारी करने से इनकार किया था और कहा था हम इस मामले के एक्सपर्ट नहीं है. अदालत ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी थी और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी को लेकर रिपोर्ट दाखिल करे प्राधिकरण. केंद्र की ओर से बताया गया कि प्राधिकरण की बैठक होने वाली है. तमिलनाडु सरकार की 24000 क्यूसेक पानी देने के आदेश जारी करने अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा था. हम कोई आदेश कैसे पारित कर सकते हैं. हमारे पास कोई विशेषज्ञता नहीं है. आप अधिकारियों से संपर्क करे. जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा था कि मुद्दा यह है कि अथॉरिटी के आदेश के बावजूद इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है. तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ वकील रोहतगी ने कहा था कि फिलहाल हमारे पास पानी खत्म हो गया है, - इस अदालत का फैसला आने तक पानी छोड़ा जाए. 15 दिन पहले का आदेश समाप्त हो गया है. उन्होंने जो भी कहा है उसे जारी रहने दें, इस बार कम बारिश हुई है. वहीं कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि तमिलनाडु हमें पानी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.
असल में यह पानी की कमी वाला साल है, इस साल 25 फीसदी बारिश कम हुई. जलाशयों में पानी का प्रवाह 42.5% कम रहा. इसमें तमिलनाडु सरकार की अर्जी का विरोध किया, कहा गया है कि तमिलनाडु की मांग पूरी तरह से गलत है. क्योंकि यह एक गलत धारणा पर आधारित है कि सामान्य बारिश का साल है ना कि संकटग्रस्त साल बल्कि इस साल बारिेश 25% कम हुई है. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा दर्ज किए गए अनुसार 09.08.2023 तक और कर्नाटक में चार जलाशयों में पानी 42.5% कम हुआ है. इस साल के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून काफी हद तक विफल रहा है. इसलिए दक्षिण-पश्चिम मानसून की विफलता के कारण कर्नाटक में कावेरी बेसिन में संकट की स्थिति पैदा हो गई है.
इसलिए, कर्नाटक सामान्य वर्ष के लिए निर्धारित मानदंड के अनुसार पानी सुनिश्चित करने के लिए बाध्य नहीं है और ना ही उसे बाध्य किया जा सकता है. कावेरी जल बंटवारा विवाद पर तमिलनाडु सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि कोर्ट कर्नाटक को निर्देश दे कि वो तमिलनाडु को अगस्त के बचे हुए दिनों में 24000 क्यूसेक पानी छोड़े. सितंबर में कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण की सिफारिशों में किए गए सुधार के मुताबिक 36.76 टीएमसी पानी छोड़े. बोर्ड को भी कोर्ट निर्देश दे कि वो इस रिपोर्ट के मुताबिक पहली जून से 31 जुलाई के बीच सिंचाई में हुई कमी की भरपाई के लिए मासिक रूप से निर्धारित कावेरी नदी का जल वितरण सुनिश्चित करे.
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