एस जयशंकर ने बताए विदेशमंत्री के दो जरूरी काम, आप भी जानें

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद और सीमा मुद्दों को लेकर पिछले आठ सालों में भारत के रवैये में काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भारत आतंकवाद का शिकार रहा है, लेकिन अब इस बारे में हमारा दृष्टिकोण बदल गया है.

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एस जयशंकर ने बताया कि वे क्या काम करते हैं....

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को युवाओं को विदेश से जुड़े मामलों में सक्रियता के साथ रुचि लेने के लिए प्रोत्साहित किया, क्योंकि इससे भारत को भविष्य के लिए तैयार होने में मदद मिलेगी. गुजरात के अहमदाबाद में मोदी युग में भारतीय विदेश नीति पर एक कार्यक्रम के दौरान जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि लोग जानें कि एक विदेश मंत्री क्या करता है और विदेश नीति आज सभी को कैसे प्रभावित करती है?

उन्होंने हिंदी में कहा कि मैं चाहूंगा कि आप समझें कि मैं क्या करता हूं. एक विदेशमंत्री के दो बड़े काम होते हैं. पहला भारत को दुनिया से परिचित करना और दुनिया में देश के बारे में अधिक समझ प्रदान करना व दूसरा ये समझाना कि भारत में क्या नया हो रहा है. एस जयशंकर ने ये भी कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले आठ सालों में बहुत कुछ बदल गया है.

इस कार्यक्रम में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आज जो कुछ भी कहीं भी होता है, वह दुनिया भर में सभी को प्रभावित करता है. आज दुनिया के बारे में हमने जो धारणाएं बनाई हैं, वे टूट चुकी हैं. दुनिया में कहीं भी जो कुछ भी होता है, उसका प्रभाव हर जगह महसूस किया जाता है. यूक्रेन में युद्ध और कोविड महामारी दिखाती है कि दुनिया का हम पर क्या प्रभाव है. इसने हमें सिखाया है कि किसी विशेष देश पर निर्भर नहीं होना है. हमें ग्लोबल वर्कप्लेस और ग्लोबल मार्केट को बढ़ाना होगा.

विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले 20-30 वर्षों में जब दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ रही थी, भारत पिछड़ गया था लेकिन आज भारत में आई-फोन का निर्माण हो रहा है. अमेरिका और चीन के बदलते स्वरूप का जिक्र करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि बदलती दुनिया में दो सबसे महत्वपूर्ण घटनाएं 'राइजिंग चाइना' और 'चेंजिंग यूएस' हैं. पहला जिस तरह से चीन आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य रूप से आगे बढ़ा है. दूसरा, जिस तरह से अमेरिका ने अपने संबंधों और साझेदारियों को लेकर बदलाव किया है.

विदेशमंत्री ने आगे कहा कि आतंकवाद और सीमा मुद्दों को लेकर पिछले आठ सालों में भारत के रवैये में काफी बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि भारत आतंकवाद का शिकार रहा है, लेकिन अब इस बारे में हमारा दृष्टिकोण बदल गया है. आप इसकी तुलना 2008 में मुंबई, उरी और पुलवामा में हुई घटनाओं से कर सकते हैं. आप देख सकते हैं कि हमारी सरकार अपनी नीतियों को लेकर कितनी आश्वस्त है.

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