WFI को निलंबित करने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं, फैसले को अदालत में देंगे चुनौती: संजय सिंह

संजय सिंह ने कहा, "डब्ल्यूएफआई एक स्वायत्त संस्था है और सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. हम सरकार से बात करेंगे और अगर सरकार निलंबन वापस नहीं लेती है तो हम कानूनी राय लेंगे और अदालत का रूख करेंगे."

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
संजय सिंह ने बजरंग पूनिया पर भी सड़क पर पद्मश्री छोड़ने को लेकर कटाक्ष किया. (फाइल)
नई दिल्ली :

भारतीय कुश्ती महासंघ (Indian Wrestling Federation) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह (Sanjay Singh) ने गुरुवार को कहा कि खेल मंत्रालय (Sports Ministry) ने कुश्ती की राष्ट्रीय संस्था को निलंबित करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और वे सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे. खेल मंत्रालय ने रविवार को डब्ल्यूएफआई को चुनाव के तीन दिन बाद निलंबित कर दिया था कि उसने अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप की घोषणा समेत कुछ फैसले करने में अपने ही संविधान का उल्लघंन किया था. संजय ने हालांकि कहा कि सरकार डब्ल्यूएफआई का पक्ष सुने बिना उनकी स्वायत्त और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई संस्था को निलंबित नहीं कर सकती. 

संजय ने कहा, ‘‘हमने लोकतांत्रिक तरीके से डब्ल्यूएफआई के चुनाव जीते. जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश निर्वाचन अधिकारी थे, इसमें भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) और यूनाईटेड विश्व कुश्ती (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के भी पर्यवेक्षक थे. चुनावों में 22 राज्य इकाईयों (25 राज्य संघ में से तीन अनुपस्थित थे) ने हिस्सा लिया था, 47 वोट मिले थे जिसमें से मुझे 40 मिले थे.''

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद अगर हमें निलंबित कर दिया जाता है तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी संस्था को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया गया जो न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है जबकि भारतीय संविधान के अंतर्गत हर कोई इसका हकदार होता है.''

Advertisement

डब्ल्यूएफआई के लिए अगला कदम क्या होता तो उन्होंने कहा, ‘‘डब्ल्यूएफआई एक स्वायत्त संस्था है और सरकार ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. हम सरकार से बात करेंगे और अगर सरकार निलंबन वापस नहीं लेती है तो हम कानूनी राय लेंगे और अदालत का रूख करेंगे.''

Advertisement

संजय ने कहा कि क्योंकि डब्ल्यूएफआई निलंबन का विरोध कर रहा है तो वह आईओए द्वारा गठित तीन सदस्यीय तदर्थ समिति को स्वीकार नहीं करते. बुधवार को आईओए ने डब्ल्यूएफआई का कामकाज देखने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. 

Advertisement

संजय ने साथ ही कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया से मिलने के लिए हरियाणा के अखाड़े में पहुंचने से स्पष्ट हो गया कि तिकड़ी (बजरंग, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक) राजनीति कर रही है. 

Advertisement

डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय ने कहा, ‘‘साफ है कि उन्हें (बजरंग, विनेश और साक्षी) कांग्रेस और वामपंथी दलों का समर्थन प्राप्त है। ये तीनों इन राजनीतिक दलों के हिसाब से चल रहे हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘आप मुझे कोई चौथा पहलवान बतायें जो डब्ल्यूएफआई का विरोध कर रहा हो. ये तीनों नहीं चाहते कि जूनियर पहलवान आगे बढ़ें, ये जूनियर पहलवानों का अधिकार छीनना चाहते हैं.''

उन्होंने कहा, ‘‘बजरंग हांगझोउ एशियाड में ट्रायल्स में हिस्सा लिये बिना गया था और वह 0-10 से हारकर वापस आया. ये कुश्ती नहीं कर रहे, ये राजनीति कर रहे हैं. अगर आप कुश्ती के बारे में चिंतित हो तो आगे आओ, रास्ता आपके लिये साफ हैं, लेकिन अगर आप राजनीति करना चाहते हो तो खुले में करो.''

संजय सिंह ने बजरंग पूनिया पर कसा तंज 

संजय ने बजरंग के पद्मश्री फुटपाथ पर छोड़कर जाने के बारे में कहा, ‘‘यह निजी मामला हो सकता है, लेकिन खेल रत्न से देश की भावनायें जुड़ी हैं, यह एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे समाज का होता है. पद्मश्री ऐसी चीज नहीं है जो सड़क पर रख दिया जाये.''संजय के डब्ल्यूएफआई प्रमुख चुने जाने के बाद साक्षी ने कुश्ती से संन्यास ले लिया था जबकि बजरंग ने अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला किया था. विनेश ने भी अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार वापस कर दिया था. 

प्रतिबंध हटाने के लिए लिखा था पत्र 

उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने यूडब्ल्यूडब्ल्यू को डब्ल्यूएफआई से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध करते हुए पत्र लिया था और उन्हें अंतरराष्ट्रीय संस्था से अनुकूल फैसला आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने यूडब्ल्यूडब्ल्यू को पत्र लिखकर डब्ल्यूएफआई पर लगा प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था क्योंकि चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से कराये गये थे. यूरोप में अभी कार्यालय में छुट्टी चल रही है जिससे इसमें कुछ दिन लग सकते हैं.''

'कोरम बुलाकर किया था चैंपियनशिप कराने का फैसला'

संजय ने यह भी दावा किया कि अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप की तारीख और स्थल की घोषणा करते हुए किसी भी तरह संविधान का उल्लंघन नहीं किया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘जब हमने अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कराने का फैसला किया तो पूरा कोरम मौजूद था. चुनाव के दिन ही आम सभा बैठक हुई थी, हम दिल्ली में एक होटल में गये थे और फैसला लिया था. अगर इस साल राष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं कराई गई तो युवा पहलवानों के भविष्य पर असर पड़ता जो अब हो ही गया है. वे अब अधिक उम्र के हो जायेंगे. हर कोई स्थल को लेकर भी सहमत था.''

हमने WFI के संविधान का पालन किया : संजय सिंह 

यह पूछने पर कि डब्ल्यूएफआई के नवनियुक्त महासचिव प्रेम चंद लोचाब को इस फैसले में शामिल क्यों नहीं किया गया तो उन्होंने कहा, ‘‘हमने महासचिव को हमारे साथ होटल जाने केा कहा था लेकिन वह नहीं आये. मैं नहीं जानता कि वह क्या चाहते हैं. हमने पूरी तरह से डब्ल्यूएफआई के संविधान का पालन किया अगर हमने कुछ गलत किया था तो सरकार को हमारा काम रोकने के बजाय हमसे जवाब मांगना चाहिए था. डब्ल्यूएफआई स्वायत्त संस्था है और हमें डब्ल्यूएफआई संविधान के अंतर्गत लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया था.''

ये भी पढ़ें :

* "रेसलिंग छोड़ राजनीति कर रहे हैं प्रदर्शनकारी पहलवान" : WFI के निलंबित अध्यक्ष संजय सिंह
* कुश्ती फेडरेशन को निलंबित किए जाने के बाद एड हॉक समिति का किया गया गठन
* पहलवान लौटाएंगे अपने पुरस्कार! बजरंग पूनिया से मिले राहुल गांधी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Lucknow Breaking: दीवार काटकर 30 लॉकर तोड़े... जानिए कैसे रची गई थी साजिश?
Topics mentioned in this article