West Bengal polls Result: नंदीग्राम में हारने के बाद भी मुख्‍यमंत्री बन सकती हैं ममता बनजीं

ऐसे कुछ सीएम रहे हैं मुख्‍यमंत्री बनते समय अपने राज्‍य की विधानसभा के सदस्‍य नहीं थे. बिहार के नीतीश कुमार तीन दशक से अधिक समय से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है.

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ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट पर हार का सामना करना पड़ा है
कोलकाता:

West bengal Assembly Elections 2021: बीजेपी के आक्रामक प्रचार अभियान को करारा जवाब देते हुए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव (West bengal polls 2021) में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की लगातार तीसरी बार सत्‍ता में वापसी कराई लेकिन इस दौरान उन्‍हें नंदीग्राम की अपनी विधानसभा सीट गंवानी पड़ी. ममता को एक समय उनके विश्‍वस्‍त सहयोगी रहे और अब बीजेपी प्रत्‍याशी शुभेंदु अधिकारी ने हराकर हर किसी को हैरान कर दिया. शुभेंदु ने नंदीग्राम की प्रतिष्‍ठापूर्ण सीट पर शुरुआत से ही ममता के खिलाफ बढ़त बरकरार रखी और आखिर बारीक अंतर से जीत हासिल की. ममता की हार से बेशक तृणमूल कांग्रेस सपोर्टर निराश हैं.यह भी सही है कि 'दीदी' की इस हार ने विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटों पर मिली प्रभावी जीत की खुशी को फीका कर दिया है लेकिन चुनाव में हारने के बाद भी ममता के सीएम बनने की राह में कोई बाधा नहीं है. संवैधानिक व्‍यवस्‍था के अनुसार, अपनी सीट हारने के बाद और विधानसभा की सदस्‍य नहीं होने के बाद भी सीएम बन सकती हैं.

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ऐसे कुछ सीएम रहे हैं मुख्‍यमंत्री बनते समय अपने राज्‍य की विधानसभा के सदस्‍य नहीं थे. बिहार के नीतीश कुमार तीन दशक से अधिक समय से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है. नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में भी वे प्रत्‍याशी नहीं थे. महाराष्‍ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने भी चुनाव नहीं लड़ा है. ये दोनों विधानपरिषद के सदस्‍य हैैं. बिहार और महाराष्‍ट्र में विधानसभा और विधान परिषद के रूप में दो सदन है लेकिन बंगाल में विधान परिषद नहीं है, ऐसी स्थिति में ममता को मुख्‍यमंत्री पद संभालने के बाद छह माह के अंदर विधानसभा सदस्‍य बनना होगी. वे खाली की गई किसी सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर या ऐसी सीट, जहां किसी कारण से चुनाव नहीं हो पाया है, से चुनाव लड़कर और जीत हासिल करके सदन की सदस्‍य बन सकती हैं. संविधान का अनुच्‍छेद 164 कहता है कि एक मंत्री, जो विधायक नहीं है, को छह माह में इस्‍तीफा देना होगा. ममता छह माह की समय सीमा में किसी विधानसभा सीट पर चुनाव लड़कर और जीत हासिल कर सकती हैं.

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नंदीग्राम के परिणाम की आधिकारिक घोषणा के पहले ही ममता ने कल कहा था कि वे लोगों का जो भी फैसला होगा, वे स्‍वीकार करेंगी. उन्‍होंने कहा, 'नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करिए. मैंने नंदीग्राम के लिए संघर्ष करते हुए वहां आंदोलन छेड़ा है. नंदीग्राम के लोग जो भी फैसला करेंगे, मैं स्‍वीकार करूंगी. हमने राज्‍य में जीत हासिल की है.' हालांकि 66 वर्षीय ममता ने कहा कि मैंने सुना है कि कुछ गड़बडि़यां (नंदीग्राम चुनाव में) हुई हैं, मैं इसके खिलाफ कोर्ट जाऊंगी. चुनाव आयोग ने फिर से काउंटिंग की ममता बनर्जी की मांग को ठुकरा दिया है. 

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