पश्चिम बंगाल (West Bengal govt) में बीजेपी विधायक (BJP MLA) की कथित हत्या के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता को पश्चिम बंगाल सरकार के जवाब पर दो हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.फरवरी में अगली सुनवाई होगी. इस मामले में ममता बनर्जी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इन आरोपों से इनकार किया कि कि राज्य मशीनरी अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा वाले लोगों के खिलाफ काम कर रही है. इस आरोप से भी इनकार किया गया है कि लोगों के बीच एक विशेष राजनीतिक पार्टी में शामिल होने या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने से डर पैदा हो गया है.
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यह हलफनामा वकील शशांक शेखर झा की याचिका पर दाखिल किया गया है जिसमें पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता देवेंद्र नाथ रे (Debendra nath Roy) की रहस्यमयी मौत की सीबीआई/एनआईए जांच की मांग की थी. गौरतलब है कि रे 13 जुलाई को एक पेड़ से लटके हुए पाये गये थे. याचिका में इसे राजनीतिक हत्या करार दिया गया है. रे ने आत्महत्या की है और याचिकाकर्ता पर बेवजह आरोप लगाने की बात कहते हुए हलफनामे में कहा गया है कि यह इनकार किया जाता है कि देवेंद्र नाथ रे की मौत एक राजनीतिक हत्या थी या राज्य मशीनरी का उपयोग किया गया था.
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पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) के हलफनामे में आगे इस बात से इनकार किया गया है कि अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा वाले लोगों के खिलाफ किसी भी राज्य की मशीनरी की संलिप्तता है या फिर उसके पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई जांच पर भरोसा करना असंभव है. सरकार ने कहा है कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और ये सोशल मीडिया में आई गलत सूचनाओं पर आधारित है. सरकार ने मामले की जांच सीआईडी को सौंपी है और वो तय प्रक्रिया के मुताबिक जांच कर रही है. दरअसल इस घटना के तुरंत बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मौत को "बेहद चौंकाने वाला और घृणित हत्या" करार दिया था और इसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पार्टी कार्यकर्ताओं की भूमिका संदिग्ध थी. बीजेपी ने दावा किया कि उत्तरा दिनाजपुर की आरक्षित सीट हेमताबाद के विधायक को पहले मार दिया गया और फिर लटका दिया गया.
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