प. बंगाल में CBI कार्रवाई को लेकर ममता सरकार को SC से राहत, केंद्र की दलील खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुकदमे को सुनवाई के योग्य माना है और इसी के साथ केंद्र की दलील को खारिज कर दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी सरकार को बड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुकदमे को सुनवाई के योग्य माना है और इसी के साथ केंद्र की दलील को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम कानून के अनुसार उसके गुण-दोष के आधार पर आगे बढ़ेंगे. 

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के उस वाद को विचारणीय माना जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य द्वारा सामान्य सहमति वापस लिए जाने के बावजूद सीबीआई मामलों की जांच कर रही है. 

उच्चतम न्यायालय ने कहा, हम कानूनी मुद्दे की जांच करेंगे कि क्या 2018 में आम सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई पश्चिम बंगाल में केस दर्ज कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को खारिज किया कि उसे धारा 131 के मुकदमे में प्रतिवादी नहीं बनाया जा सकता क्योंकि सीबीआई सीधे केंद्र के अधीन नहीं है.

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने कहा, हमने डीएसपीई अधिनियम के प्रावधानों को पढ़ा है (जिसके अनुसार सीबीआई प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अधीन है). न्यायालय प्रथम दृष्टया इस बात से सहमत नहीं है कि सीबीआई ही मामले दर्ज कर रही है, केंद्र नहीं, सीबीआई केंद्र के सीधे नियंत्रण में नहीं है.

पश्चिम बंगाल ने तर्क दिया था कि सीबीआई केंद्र के अधीन आती है. डीएसपीई अधिनियम की धारा 4(2) के अनुसार यह केंद्र के डीओपीटी विभाग के अधीन है. इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा, "जब संसद में सीबीआई पर सवाल पूछा जाता है तो डीओपीटी के प्रभारी केंद्र सरकार के राज्य मंत्री ही सवाल का जवाब देते हैं, सीबीआई नहीं". यहां तक ​​कि सीबीआई की ओर से अदालतों में मामले और हलफनामे भी डीओपीटी द्वारा ही दायर किए जाते हैं."

बता दें कि 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. नवंबर 2018 में ममता सरकार ने सीबीआई जांच पर राज्य की सहमति वापस ले ली थी. अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.

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