"दो से तीन दिनों के भीतर मजदूरों को सुरक्षित निकाल लेंगे": NDTV से बोले NDMA के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन

एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन ने बताया कि सुरंग के अंदर स्टील की पाइप लगाई जा रही है. ये काम 16-17 तारीख को पूरा हो जाता, लेकिन वहां पर थरथराहट हुई, जिस वजह से मजदूरों की सुरक्षा को देखते हुए काम को रोकना पड़ा.

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नई दिल्ली:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दिवाली की रात निर्माणाधीन टनल धंसने की घटना के 10 दिन बीत चुके हैं. 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सुरंग के पास लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल अता हसनैन ने बताया है कि अब दो से तीन दिनों के भीतर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा.

एनडीटीवी से खास बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन ने कहा कि हादसा 12 नवंबर को हुआ था,  10 से 11 दिन बीत गए हैं. शुरू से हमें पता था कि ऐसे रेस्क्यू एफर्ट्स में वक्त लगेगा. इसीलिए अच्छी बात ये रही कि जब टनल का कॉलेपस हुआ, तो वहां की पावर लाइन डिस्टर्ब नहीं हुई. इससे वहां रोशनी रही. दूसरी बात ये है कि जहां ये टनल कॉलेप्स हुआ है, वहां से दूसरे कोने तक जहां टनल की खुदाई नहीं हुई है. ये तकरीबन दो किलोमीटर का फासला है. इसके अंदर काफी हद तक बिजली और ऑक्सीजन है. पानी भी जा रहा है, क्योंकि 4 इंच की पाइपलाइन बनी हुई है और 6 इंच की एक और पाइपलाइन वहां पहुंच गई है. इसकी वजह से उनके जीवित बचने की संभावना बढ़ गई है.

उन्होंने बताया कि मजदूर अलग-अलग इलाकों के हैं. बहुत सालों से इस तरह के काम में लगे हुए हैं, मजबूत इंसान हैं. सरकार की तरफ से भी हर संभव कोशिश की जा रही है. उनको विटामिन की टेबलेट और पानी खाना सब भेजा जा रहा है.

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एनडीएमए के सदस्य ने बताया कि सरकार की ओर से इन मजदूरों के लिए सब कुछ किया जा रहा है. कोई ऐसा साधन नहीं है, इनके बचाव के लिए जो हमने नहीं अपनाया है. कम्यूनिकेशन करने के लिए लाइन नहीं मिली है, लेकिन कुछ बात करने का जरिया जरूर मिला है. हम परिवार से उनकी बात करवा रहे हैं. परिवार के लिए बस और होटल का इंतजाम किया गया है. साथ ही उनके हौसले की तरफ काफी जोर दिया गया है.

उन्होंने बताया कि मजदूरों को बचाने के लिए पांच जरिया निकाला गया है. हम ऊपर से, दोनों तरफ से और होरिजोंटल भी कोशिश कर रहे हैं. औगर का इस्तेमाल करके एक मीटर का एक छेद बनाया जा रहा है, जिसके अंदर स्टील की पाइप लगाई जा रही है. ये काम 16-17 तारीख को पूरा हो जाता, लेकिन वहां पर थरथराहट हुई, जिस वजह से काम को रोकना पड़ा. जो मजदूर हैं उनकी सुरक्षा को देखते हुए काम को रोकना पड़ा. इंडियन आर्मी के इंजीनियर की मदद ली जा रही है. कुछ घंटे के अंदर औगर का दोबारा इस्तेमाल होने वाला है.

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20-25 एजेंसियां रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी
लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स से भी मदद ली जा रही है. तीन-चार अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट वहां मौजूद भी हैं. ऑनलाइन भी मॉनिटरिंग का काम चल रहा है. जमीन के ऊपर भी 20-25 एजेंसी है, जो एक दूसरे से सामंजस्य बैठाकर अलग-अलग जगह पर काम कर रही है. मिसाल के तौर पर ब्रो सड़क बना रही है. पूरी दुनिया उम्मीद पर जीती है, मैं फौजी हूं. मुझे लगता है सबको अच्छी उम्मीद रखनी चाहिए.

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उन्होंने बताया कि हम जो साधन इस्तेमाल कर रहे हैं, होरिजोंटल काम करने का अगर वो सफल हो गया तो अगले तीन-चार दिन में रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो जाएगा. लेकिन अगर नहीं हुआ तो फिर 10 से 12 दिन और लग सकता है. थोड़ा लॉजिस्टिक का काम ठीक हो जाए तो वर्कर्स काफी दिन तक ठीक रह सकते हैं.

हमेशा इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि टनल में सुरक्षा महत्वपूर्ण है. माइनिंग एफर्ट में मलबा गिरने की संभावना बनी रहती है. इसी को दूर करने के लिए सेना के कोर ऑफ इंजीनियर को बुलाया है और वो इसी की सुरक्षा के लिए कैनोपी का इस्तेमाल कर रहे हैं.
 

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