"ग्लोबल साउथ देशों की अपनी आवाज़ हो...", वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में बोले PM नरेंद्र मोदी

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ग्‍लोबल साउथ के देशों द्वारा अधिकांश वैश्विक चुनौतियों को पैदा नहीं किया गया है, लेकिन वे हमें अधिक प्रभावित करती हैं.

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नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. इसकी थीम "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ: मानव-केंद्रित विकास" है. इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 120 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है. पीएम मोदी ने समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "इस शिखर सम्मेलन में आपका स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है. दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हमारे साथ जुड़ने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं. हम एक नए साल की शुरुआत के रूप में मिल रहे हैं, नई उम्मीदें और नई ऊर्जा लेकर आ रहे हैं. 130 करोड़ भारतीयों की ओर से, मैं आप सभी को और आपके देशों को 2023 के सुखद और संतोषप्रद होने की शुभकामनाएं देता हूं."

दो दिनों के इस वर्चुअल समिट के लिए दुनिया के 120 देशों से अधिक को न्यौता भेजा गया. उद्घाटन सत्र में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना समेत 10 देशों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया. अगले दो दिनों तक 8 सत्र होंगे, जिसमें वित्त से लेकर विदेश मामलों तक के सत्र शामिल हैं. इस पूरी चर्चा से निकले नतीजों को दुनिया के अलग-अलग मंचों कर रखा जाएगा, ताकि ग्लोलब साउध और विकासशील देशों की बेहतरी की दिशा में बात आगे बढ़ायी जा सके.

खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई
पीएम मोदी ने इस दौरान खाद्य, ईंधन और उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताई. उन्‍होंने कहा कि हम वैश्विक दक्षिण के भविष्य में सबसे बड़ा दांव है. हमारे देशों में तीन-चौथाई मानवता रहती है. भारत ने हमेशा अपने विकास के अनुभव को वैश्विक दक्षिण के साथ साझा किया है. हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल हैं. 

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दुनिया संकट की स्थिति में...
पीएम मोदी ने कहा कि हमने विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन किया. हम इस सदी में फिर से एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए ऐसा कर  सकते हैं, जो हमारे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करेगी. आपकी आवाज भारत की आवाज है और आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं. ये साल हम सबके लिए कठिन वर्ष है, जिसमें युद्ध, संघर्ष, आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनाव; भोजन, उर्वरक और ईंधन की कीमतों में वृद्धि; जलवायु-परिवर्तन चालित प्राकृतिक आपदाएँ, और; कोविड महामारी का स्थायी आर्थिक प्रभाव जैसी बड़ी समस्‍याएं सामने हैं. यह स्पष्ट है कि दुनिया संकट की स्थिति में है. अस्थिरता की यह स्थिति कब तक रहेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है.

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भारत ने महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को वैक्‍सीन दी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ग्‍लोबल साउथ के देशों द्वारा अधिकांश वैश्विक चुनौतियों को पैदा नहीं किया गया है, लेकिन वे हमें अधिक प्रभावित करती हैं. हमने इसे कोविड महामारी, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और यहां तक ​​कि यूक्रेन संघर्ष के प्रभावों में देखा है. समाधान की खोज में भी हमारी भूमिका या हमारी आवाज़ का कोई महत्व नहीं है. भारत ने हमेशा वैश्विक दक्षिण के अपने भाइयों के साथ अपने विकास संबंधी अनुभव को साझा किया है. हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल हैं. हमने महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को दवाओं और टीकों की आपूर्ति की. भारत हमेशा हमारे साझा भविष्य के निर्धारण में विकासशील देशों की बड़ी भूमिका के पक्ष में रहा है.

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चुनौतियों के बावजूद आ रहा हमारा समय...
पीएम मोदी ने कहा कि विकासशील दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद, मैं आशान्वित हूं कि हमारा समय आ रहा है. समय की मांग सरल, मापनीय और टिकाऊ समाधानों की पहचान करना है, जो हमारे समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को बदल सकते हैं. इस तरह के दृष्टिकोण से, हम कठिन चुनौतियों पर काबू पा लेंगे. फिर चाहे वो गरीबी हो, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा हो या मानव क्षमता निर्माण. पिछली शताब्दी में हमने विदेशी शासन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन किया. हम इस शताब्दी में फिर से ऐसा कर सकते हैं, एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए जो हमारे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करेगी. जहां तक ​​भारत का संबंध है, आपकी आवाज भारत की आवाज है. आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं. अगले दो दिनों में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में 8 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा होगी. मुझे विश्वास है कि ग्लोबल साउथ मिलकर नए और रचनात्मक विचार पैदा कर सकता है. ये विचार जी-20 और अन्य मंचों में हमारी आवाज का आधार बन सकते हैं.

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संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि भारत में हमारी एक प्रार्थना है- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः इसका अर्थ है, ब्रह्मांड की सभी दिशाओं से हमारे पास अच्छे विचार आ सकते हैं. यह वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट हमारे सामूहिक भविष्य के लिए नेक विचार हासिल करने का एक सामूहिक प्रयास है.

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