"हम साथ आए हैं, इसीलिए 5 साल बाद फिर से शुरू हुई कार्रवाई..": तेजस्वी को CBI के समन पर नीतीश

सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि आरजेडी और जेडीयू के अलग होने के बाद इतने सालों तक ये कार्रवाई रुक गई थी. फिर हम जैसे ही साथ आए, एक बार फिर से छापेमारी शुरू कर दी गई.

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नीतीश कुमार ने कहा कि सीबीआई का जो भी मामला है, उसका जवाब दिया जा रहा है.

पटना:

सीबीआई ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आज अपने दिल्ली दफ्तर में तलब किया है. पूरा लालू परिवार इस मामले में सीबीआई की जांच के घेरे में है. सीबीआई और ईडी की कार्रवाई पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'चूंकि हम एक साथ आए हैं. इसीलिए पांच साल बाद कार्रवाई फिर से शुरू की गई है.'

नीतीश कुमार ने कहा कि 2017 में हम आरजेडी के साथ थे, तब ये कार्रवाई शुरू हुई थी. आरजेडी और जेडीयू के अलग होने के बाद इतने सालों तक ये कार्रवाई रुक गई थी. फिर हम जैसे ही साथ आए, एक बार फिर से छापेमारी शुरू कर दी गई., तो इस पर अब क्या कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि तब ये शुरू हुआ था और मैंने एक्सप्लेन करने के लिए कहा था. फिर उन लोगों की बात मानकर हम साथ चले गए थे. अब जो भी मामला है, उसका जवाब तो दिया ही जा रहा है.

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वहीं पत्रकारों द्वारा गठबंधन बदलने की बात पूछे जाने पर नीतीश कुमार मुस्कुराने लगे. उन्होंने कहा कि गठबंधन बदलने की बात कहां चल रही, ऐसी कोई बात नहीं है. आप चिंता मत कीजिए.

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इधर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने भी तेजस्वी यादव के समर्थन में ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, "नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई. लेकिन 9 अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया और माननीय लालू प्रसाद जी एवं उनके परिजनों के यहां भारी छापेमारी हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया. अरे भाई...! साक्ष्य नहीं भी मिलता तो साक्ष्य दिखाने के लिए पालतू तोतें कुछ भी कर सकते हैं. गाय का सींग भैंस में और भैंस का सींग गाय में जोड़ रहे हैं. अखबार कहता है- 'एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है'... जिसका नौकरी से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन खैर पालतू तोतें अपने मालिक का निर्देश पाकर कुछ भी कर सकते हैं, अघोषित आपातकाल जो है. गर्भवती महिला और छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह का निर्मम आचरण देश में पहली बार हुआ है, देश इसको याद रखेगा. दमन चाहे जितना कर लें, 2024 में देश भाजपा मुक्त होगा."

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बीजेपी ने लालू यादव परिवार का समर्थन करने पर जेडीयू पर निशाना साधा है. जेडीयू के एक पुराने ट्वीट का हवाला देते हुए अमित मालवीय ने कहा कि, दिन रात लालू परिवार को कोस-कोसकर सत्ता तक पहुंचे नीतीश कुमार। पूरी राजद भ्रष्टाचार में डूबी है, ये जानते हुए भी गठबंधन किया और बिहार में दोबारा गुंडाराज बहाल कर दिया. अब क्या दलील देंगे?

सीबीआई के समन पर तेजस्वी यादव ने पत्र लिखकर पत्नी की तबीयत का हवाला देते हुए समन टालने की मांग की है. इससे पहले 4 फरवरी को भी तेजस्वी यादव को सीबीआई ने जांच के लिए बुलाया था, लेकिन वह विधानसभा सत्र चलने का हवाला देकर दिल्ली नहीं पहुंचे थे.

कंपनी में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के शेयर
मामला 2006-07 का है, जहां एके इंफोसिस्टम नाम की एक कंपनी ने 6-7 जमीनें रजिस्ट्री कराईं थीं. उस समय रजिस्ट्री में लगभग 2 करोड़ की कीमत जमीनों की दिखाई गई थी, जबकि मार्केट वैल्यू लगभग 10 करोड़ थी. बाद में इस कंपनी में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने इंट्री कर कर ली थी. वर्तमान में इस कंपनी के आधे शेयर राबड़ी देवी के हैं और आधे तेजस्वी यादव के हैं. अब तक 10 लोग ऐसे चिन्हित हो चुके हैं, जिन्हें रेलवे के ग्रुप डी की उस समय नौकरी मिली और इसके बदले उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री की थी.

जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने का आरोप
लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री के पद पर रहने के दौरान उनके परिवार को तोहफे में भूखंड प्राप्त होने या इसे बेचने के बदले में लोगों को रेलवे में कथित तौर पर नौकरी दिये जाने से संबद्ध है. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने मामले में आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत प्रसाद, उनकी पत्नी एवं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और 14 अन्य के खिलाफ एक आरोप पत्र दाखिल किया था.