"इंदिरा गांधी ने मेरे पिता को केंद्रीय सचिव पद से हटा दिया था " : एस जयशंकर

2019 के नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट का हिस्सा बनने के लिए पीएम की ओर से किए गए फोन कॉल पर जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह हैरान करने वाला था.

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जयशंकर ने कहा, जब मुझे कैबिनेट मंत्री बनाया गया तब मैं संसद का सदस्य भी नहीं था.

नई दिल्‍ली:

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि वे नौकरशाहों के परिवार से हैं और 2019 में केंद्रीय मंत्री बनने के रूप में राजनीतिक अवसर उनके पास अप्रत्‍याशित रूप से आया. जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि उनके पिता डॉ. के सुब्रह्मण्यम को तत्‍कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने वर्ष 1980 में सत्‍ता में आने के बाद रक्षा उत्‍पादन सचिव पद से हटा दिया था और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल के दौरान उनके पिता की अनदेखी करके, किसी जूनियर को कैबिनेट सेक्रेटरी बना दिया गया था. न्‍यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्‍यू में जयशंकर ने भारतीय विदेश सेवा (Indian foreign service) से राजनीति तक के अपने सफर की बात की और कहा कि वह हमेशा सर्वश्रेष्ठ अधिकारी बनने और विदेश सचिव के पद पर पहुंचने के इच्छुक थे.

उन्‍होंने कहा कि मैं सर्वश्रेष्‍ठ विदेश सेवा अधिकारी बनना चाहता था.  और मेरी राय में आप जो सबसे अच्छा कर सकते हैं उसके मायने विदेश सचिव के रूप में अपनी सेवा को समाप्‍त करना था. हमारे घर में भी ऐसा माहौल था, मैं इसे दबाव नहीं कहूंगा लेकिन हम सभी इस तथ्‍य से वाकिफ थे कि मेरे पापा एक नौकरशाह थे और सेक्रेटरी बन गए थे लेकिन उन्‍हें सेक्रेटरी पद से हटा दिया गया. मेरी राय में वह उस समय 1979 में जनता सरकार में संभवत: सबसे कम उम्र के सचिव बने थे."जयशंकर ने कहा, "1980 में वे रक्षा उत्‍पादन सचिव थे. इस वर्ष जब इंदिरा गांधी फिर से चुनकर आईं तो वे हटाए जाने वाले पहले सचिव थे. रक्षा महकमे में हर कोई कहेगा कि वे सबसे अधिक जानकार व्‍यक्ति थे." जयशंकर ने कहा कि उनके पिता बहुत ईमानदार व्‍यक्ति थे, हो सकता है कि यह समस्‍या पैदा हुई हो. मुझे नहीं पता." डॉ जयशंकर ने कहा,  "उसके बाद, वह फिर कभी सचिव नहीं बने. राजीव गांधी काल के दौरान उन्हें अपने से 'जूनियर' के लिए हटा दिया गया, जो कैबिनेट सचिव बन गया. यह कुछ ऐसा था जिसे उन्होंने महसूस किया ... हमने शायद ही कभी इसके बारे में बात की, इसलिए जब मेरे बड़े भाई सचिव बने तो उन्हें बहुत गर्व महसूस हुआ." उन्होंने कहा कि पिता के निधन के बाद वे सरकार के सचिव बने. 

2019 के नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट का हिस्सा बनने के लिए पीएम की ओर से किए गए फोन कॉल पर जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह हैरान करने वाला था. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का जिक्र करते हुए  उन्होंने कहा, "यह मेरे दिमाग में नहीं आया था, मुझे नहीं लगता कि यह मेरे आसपास किसी और के दिमाग में भी आया था." उन्‍होंने कहा, "एक बार जब मैंने प्रवेश किया, तो मुझे पूरी ईमानदारी से कहना चाहता हूं कि मैं खुद बेहद अनिश्चिततापूर्ण स्थिति में था.  मैंने अपने पूरे जीवन में राजनेताओं को देखा था. विदेश सेवा में जो चीजें आपको करने को मिलती हैं, उनमें से एक यह है कि आप वास्तव में शायद अन्य सेवाओं की तुलना में बहुत अधिक (महत्‍वपूर्ण) हैं. आप राजनेताओं को करीब से देखते हैं क्योंकि आप उन्हें विदेश में देखते हैं, आप उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं, उन्हें परामर्श दे रहे हैं. वैसे यह देखना एक बात है लेकिन वास्तव में राजनीति में शामिल होना, कैबिनेट सदस्य बनना, राज्यसभा के लिए खड़े होना अलग. जब मुझे चुना गया था, तो मैं संसद का सदस्य भी नहीं था."

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1977 में भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service)ज्‍वॉइन करने वाले जयशंकर ने कहा, "मेरी पार्टी और अन्य पार्टियों] दोनों में लोग क्या कर रहे हैं,  वे इसे बहुत ध्यान से देखते हैं." वह गुजरात से राज्यसभा में बीजेपी सांसद हैं. कैबिनेट मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि यह चार साल बेहद दिलचस्प रहे हैं. 

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