वक्फ बिल के 14 बदलाव क्या हैं, क्या है आगे का रास्ता, संसद में आज पेश होगा विधेयक; यहां जानिए सबकुछ

नए विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और निगरानी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए गए हैं. इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के उपयोग में सुधार लाना है.

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नई दिल्ली:

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल सोमवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बनी जेपीसी की रिपोर्ट पेश करेंगे. इस रिपोर्ट में विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार और साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं. इस रिपोर्ट को हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश किया जाएगा. रिपोर्ट में उन सभी साक्ष्यों का भी रिकॉर्ड शामिल होगा, जो संयुक्त समिति के समक्ष पेश किए गए थे. यह साक्ष्य विधेयक के प्रावधानों के बारे में विचार-विमर्श करने के लिए अहम हैं और इनका उद्देश्य विधेयक के प्रभावी और न्यायसंगत कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना है.

इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संचालन और निगरानी के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुधार प्रस्तावित किए गए हैं. इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के उपयोग में सुधार लाना है. जेपीसी ने विधेयक के बारे में विस्तृत चर्चा की और इस पर विभिन्न पक्षों से साक्ष्य प्राप्त किए. अब यह रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जाएगी और आगे की विधायी प्रक्रिया को गति मिलेगी.

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 में वक्फ अधिनियम, 1995 में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं. हाल ही में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इस विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी है. 

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  • गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी मिलेगी जगह: राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य होगा. पहले यह प्रावधान था कि ये सदस्य पदेन (ex-officio) होंगे, लेकिन अब पदेन सदस्यों को इससे अलग कर दिया गया है.
  • महिला प्रतिनिधित्व: वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 और 14 में संशोधन करके वक्फ बोर्ड की संरचना में महिला प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा, जिससे लिंग विविधता सुनिश्चित हो सके. 
  • सत्यापन प्रक्रियाओं में सुधार: वक्फ संपत्तियों के दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन प्रक्रियाओं को लागू किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और अवैध कब्जों को रोका जा सकेगा. 
  • जिला मजिस्ट्रेट की भूमिका: वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए जिला मजिस्ट्रेटों की भागीदारी बढ़ाई जाएगी, जिससे प्रशासनिक निगरानी में सुधार होगा. 
  • वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कमी: वक्फ बोर्ड की अनियंत्रित शक्तियों को सीमित करने के लिए कुछ प्रावधानों को हटाया जाएगा, जिससे वे बिना आवश्यक जांच के किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित नहीं कर सकेंगे. 
  •  वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण: वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए उनके डिजिटलीकरण की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाएगा. 
  • बेहतर ऑडिट प्रणाली: वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए वक्फ संपत्तियों की ऑडिट प्रणाली में सुधार किए जाएंगे. 
  • अवैध कब्जों की रोकथाम: अवैध रूप से कब्जा की गई वक्फ संपत्तियों को वापस लेने के लिए कानूनी प्रणाली में सुधार किए जाएंगे. 
  • वक्फ बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति: राज्य सरकार को वक्फ बोर्ड के सभी सदस्यों को नामित करने की अनुमति दी जाएगी, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार होगा. 
  • वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों में वृद्धि: वक्फ न्यायाधिकरण की शक्तियों को बढ़ाया जाएगा, जिससे वक्फ से संबंधित विवादों का तेजी से निपटारा हो सके. 
  •  वक्फ संपत्तियों के अनधिकृत हस्तांतरण पर कड़ी कार्रवाई: वक्फ संपत्तियों के अनधिकृत हस्तांतरण के लिए कड़ी सजा के प्रावधान किए जाएंगे. 
  •  मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड के लिए वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जिससे प्रशासनिक कार्यों में सुधार होगा. 
  •  वक्फ संपत्तियों के कंप्यूटरीकरण: वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत किया जाएगा, जिससे डेटा प्रबंधन में सुधार होगा. 
  •  वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव: वक्फ बोर्ड की संरचना में बदलाव करके इसे और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा, जिसमें विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाएगा.

 जेपीसी ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी है रिपोर्ट

इससे पहले, गुरुवार को जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को समिति की रिपोर्ट सौंपी थी. 655 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल किया गया था. विपक्षी सांसदों ने इस रिपोर्ट को असंवैधानिक बताते हुए दावा किया था कि यह कदम वक्फ बोर्ड को बर्बाद कर देगा. वहीं, सत्ता पक्ष के सांसदों के अनुसार, इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में मदद मिलेगी. जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई थी.

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साल 2024 में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रिजीजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक को पेश किया था. बाद में 8 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विधेयक को भेजा गया था. सरकार की ओर से पेश विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है.

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