Waqf Amendment Bill : DMK ने भी वक्फ संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि यह तमिलनाडु के लगभग 50 लाख मुसलमानों और देश भर के 20 करोड़ मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. तमिलनाडु विधानसभा ने 27 मार्च को केंद्र से विधेयक वापस लेने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया है. जेपीसी सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर विचार किए बिना विधेयक पारित किया गया. वहीं राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है. इसके अलावा कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी वक़्फ़ संशोधन बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. अब तक इस मामले में कुल 14 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं हैं.
यहां जानिए किन लोगों या संगठनों ने डाली याचिका
- मोहम्मद जावेद (कांग्रेस सांसद) (पहली याचिका)
- असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM नेता)
- एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (NGO)
- अमानतुल्लाह खान (AAP नेता)
- मौलाना अरशद मदनी (जमीयत उलेमा-ए-हिंद)
- समस्थ केरल जमीयतुल उलेमा
- तैय्यब खान सलमानी (कानून के छात्र)
- अंजुम कादरी (एक्टिविस्ट)
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
- SDPI
- IUML
- ए राजा के माध्यम से DMK
- कांग्रेस पार्टी से सांसद इमरान प्रतापगढ़ी
- RJD की तरफ से सांसद मनोज झा और फैयाज अहमद ने दायर की याचिका
मणिपुर के विधायक भी डालेंगे याचिका
वहीं मणिपुर के विधायक शेख नुरूल हसन ने भी सोमवार को कहा कि वह वक्फ संशोधन कानून 2025 को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे. विधायक ने एक वीडियो संदेश में यह जानकारी दी. नेशनल पीपुल्स पार्टी के विधायक हसन ने वीडियो संदेश में कहा, ‘‘वक्फ संशोधन कानून 2025 मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन करता है. मैं व्यक्तिगत रूप से इसकी आलोचना करता हूं और इस कानून को खारिज करता हूं. मैं इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दूंगा.''
ओवैसी, जावेद, अमानतुल्लाह खान ने याचिकाओं में क्या कहा, यहां जानिए
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के वकील एडवोकेट एमआर शमशाद ने सोमवार को कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शुरू से वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ रहा है. जेपीसी में भी पेश होकर अपनी बात रखी थी. हम इस संशोधन का विरोध कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ये संशोधन भेदभावपूर्ण है और संविधान के आर्टिकल 25 का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही इस एक्ट के जरिए धार्मिक मामले में भी छेड़छाड़ की गई है. सेंट्रल वक्फ काउंसिल वक्फ की मॉनिटरिंग करती है, उसमें मुस्लिम व्यक्ति रखे जाते हैं, लेकिन इस एक्ट के जरिए इसे भी प्रभावित किया गया है. वहीं सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को मुसलमानों के हित का बताया है और वक्फ संशोधन बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल चुकी है.