तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े ताजा मामले और पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी का जिक्र करने वाला एक पत्र, विश्व भारती प्रशासन और ममता बनर्जी सरकार के बीच विवाद की ताजा वजह बन गया है. सीएम ममता बनर्जी द्वारा शांति निकेतन में रवींद्रनाथ टैगोर के नाम का उल्लेख नहीं करने वाली एक पट्टिका पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री को विश्व भारती से पूरी तरह से असंबंधित मुद्दों पर राजनीतिक बयानों से भरा हुआ कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती का पत्र लिखा गया है.
कहा जाता है कि ये पत्र केंद्र सरकार से 'ब्राउनी पॉइंट' हासिल करने का एक प्रयास था, क्योंकि बिद्युत चक्रवर्ती सेवा विस्तार की मांग कर रहे हैं. इस पर तृणमूल कांग्रेस ने भी पलटवार किया है.
ममता बनर्जी ने 28 अक्टूबर को एक ट्वीट कर कहा, "गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन - विश्व भारती को एक विश्व धरोहर स्थल (अब यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त) बनाया, लेकिन वहां के वर्तमान संस्थागत अधिकारियों ने इस मौके पर स्मारक पट्टिकाओं लगाई, जिसमें कुलपति का नाम भी लिखा है, लेकिन गुरुदेव का नाम नहीं! ये टैगोर का अपमान करता है और हमारे राष्ट्र के संस्थापकों के उपनिवेशवाद विरोधी विरासत-निर्माण प्रयासों को कमतर करता है. केंद्र सरकार को उचित सलाह दी जाएगी कि वह इस आत्ममुग्ध प्रदर्शन को तुरंत दूर करे और गुरुदेव को वह श्रद्धांजलि दे, जो देश को उनके प्रति चाहिए."
वहीं कुलपति ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "पट्टिका तैयार करते समय हमें एएसआई के निर्देशों का पालन करना होगा और हम ऐसा कर रहे हैं, जिसका परिणाम जल्द ही दिखाई देगा."
लेकिन वो यहीं नहीं रुके. चक्रवर्ती ने कहा, "मैडम, कृपया उदार बनें. आप अपने वफादारों के मुख्यमंत्री हैं, तो उतने ही अन्य लोगों के भी. हमेशा आपके चापलूस नहीं हो सकते. आपके दल के एक राज्यसभा सदस्य ने भी ये मान्यता हासिल करने की कोशिश की."
चक्रवर्ती ने उन्हें ये भी याद दिलाने की कोशिश की कि कैसे पूर्व तृणमूल मंत्री जेलों में बंद हैं और महुआ मोइत्रा के बारे में, जिनकी संसद की आचार समिति द्वारा एक व्यवसायी को उपहार के बदले में उनकी ओर से प्रश्न तैयार करने की अनुमति देने के आरोप में जांच की जा रही है.
पत्र में लिखा, "आपके दो वरिष्ठ मंत्री जेल में हैं. आपके कुछ विश्वस्त सहयोगी (यहां तक कि बीरभूम से भी) जेल में हैं, जिनमें दिल्ली की तिहाड़ जेल भी शामिल है. आपके सबसे मुखर संसद सदस्य पर उन गतिविधियों का आरोप लगाया जा रहा है, जिनकी ओर संसदीय आचार समिति जांच कर रही है.''
अपने पत्र में, चक्रवर्ती ने विश्वविद्यालय से गुजरने वाली एक सड़क का मुद्दा भी उठाया, लेकिन वो सरकार के कब्जे में है. उन्होंने कहा, "हमारे साथ आमने-सामने बातचीत से आपको कहानी का दूसरा पहलू देखने का मौका मिलेगा."
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और विश्वविद्यालय के बीच संपत्ति विवाद को लेकर कुलपति पहले भी मुख्यमंत्री से भिड़ चुके थे.