भारत ने साल 2022 में फिलीपींस के साथ किए गए 375 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत शुक्रवार को फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें सौंपीं. भारतीय वायु सेना ने फिलीपींस के मरीन कॉर्प्स को वैपन सिस्टम पहुंचाने के लिए अपने अमेरिकी सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान को भेजा. भारत ने पहली बार ब्रह्मोस मिसाइलें किसी देश को भेजी हैं.
ब्रह्मोस मिसाइल की डिलीवरी देते हुए भारतीय अधिकारियों ने फिलीपींस मरीन कॉर्प्स के अधिकारियों को मिठाई खिलाई.
मिसाइलों के साथ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सिस्टम के लिए ग्राउंड सिस्टम का एक्सपोर्ट पिछले महीने शुरू हुआ था. यह पहली बार है जब भारत किसी अन्य देश में ब्रह्मोस मिसाइल पहुंचा रहा है.
फिलीपींस ऐसे समय में मिसाइल प्रणालियों की डिलीवरी ले रहा है जब दक्षिण चीन सागर में लगातार झड़पों के कारण उसके और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है. फिलीपींस द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली की तीन बैटरियों को किसी भी खतरे से बचने के लिए अपने तटीय क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा.
मिसाइल प्रोग्राम में भागीदार देशों से कई एप्रूवलों के साथ इस डील को मंजूरी दी गई है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूसी संघ के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया का एक संयुक्त उद्यम है. यह दुनिया के सबसे सफल मिसाइल कार्यक्रमों में से एक माना जाता है. इसे वैश्विक स्तर पर सबसे अग्रणी और सबसे तेज व सटीक हथियार के रूप में मान्यता हासिल है. ब्रह्मोस ने भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारतीय सेना ने 2007 से कई ब्रह्मोस रेजिमेंटों को अपने आर्सेनल से जोड़ा था.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में दो स्टेज वाला ठोस प्रोपेलेंट बूस्टर इंजन लगा है जो इसे सुपरसोनिक गति तक ले जाता है. दूसरी स्टेज में तरल रैमजेट इंजन है जो इसे क्रूज़ फेज में मैक 3 (ध्वनि की गति से 3 गुना) गति के करीब ले जाता है.