हिंसा ने कभी मानवता को जन्म नहीं दिया और शांति ने कभी विभाजन नहीं किया: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

धनखड़ ने कहा कि नैतिक अनिश्चितता के युग में बुद्ध के उपदेश स्थिरता का मार्ग प्रदान करते हैं. उन्होंने लोगों से शांति स्थापित करने के लिए सहिष्णुता, न्याय और साझा प्रतिबद्धता का पालन करने का भी आग्रह किया, जिसका उद्देश्य ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है जहां सभी का विकास हो.

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नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि भगवान बुद्ध का शांति, सद्भाव और सह-अस्तित्व का संदेश नफरत एवं आतंक की ताकतों के खिलाफ है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुद्ध के उपदेश अतीत के अवशेष नहीं हैं, बल्कि लोगों के भविष्य के लिए दिशा सूचक हैं. धनखड़ ने कहा कि नैतिक अनिश्चितता के युग में बुद्ध के उपदेश स्थिरता का मार्ग प्रदान करते हैं. उन्होंने लोगों से शांति स्थापित करने के लिए सहिष्णुता, न्याय और साझा प्रतिबद्धता का पालन करने का भी आग्रह किया, जिसका उद्देश्य ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है जहां सभी का विकास हो.

यहां शांति के लिए एशियाई बौद्ध सम्मेलन की 12वीं महासभा के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत बुद्ध के सिद्धांतों से निर्देशित रहा है. उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई और दुनिया के हर कोने में इसका प्रसार हुआ. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था, ‘‘हम उस देश से हैं जिसने बुद्ध दिया, ‘युद्ध' नहीं.'' धनखड़ ने कहा, ‘‘विश्व आज ऐसी चुनौतियों का सामना कर रहा है जिनके समाधान के लिए ठोस प्रयासों की जरूरत है. चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, संघर्ष हो, आतंकवाद हो या गरीबी हो... ये चुनौतियां एक तरह से मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा हैं तथा इन्हें साझा संकल्प और सहयोगात्मक एवं सामूहिक दृष्टिकोण से ही हल किया जा सकता है.''

उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ती जा रही है, मित्रता, संयम और सभी जीवों के प्रति श्रद्धा का उनका (बुद्ध का) मध्यम मार्ग- ‘‘हमें और हमारी पृथ्‍वी को एक स्थायी मार्ग प्रदान करता है.'' उपराष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध के सिद्धांत सभी हितधारकों को एक साझा मंच पर लाने के लिए आशा की किरण से कम नहीं हैं. धनखड़ ने यह भी कहा, ‘‘हिंसा ने कभी मानवता को जन्म नहीं दिया और शांति ने कभी विभाजन नहीं किया.'' उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान की कलाकृति 5,000 वर्षों के इतिहास को दर्शाती है. उन्होंने इसके भाग-पांच के बारे भी बताया, जहां भगवान बुद्ध के संघ शासन का उल्‍लेख किया गया है.

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धनखड़ ने कहा कि यह ज्ञानोदय के आदर्शों- एक संसदीय प्रणाली, स्वतंत्र न्यायपालिका और शक्ति संतुलन का प्रतीक है जो देश की सर्वोच्च संस्थाओं का मार्गदर्शन करता है. उन्होंने कहा भारत इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि पूरी दुनिया की युवा पीढ़ी भगवान बुद्ध के बारे में अधिक जाने और उनके आदर्शों से प्रेरित हों. धनखड़ ने कहा, ‘‘भारत बौद्ध सर्किट के विकास, बौद्ध विरासत स्थलों तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए संपर्क को बढ़ावा देने, बौद्ध संस्कृति के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्र और भगवान बुद्ध के संदेशों को लोकप्रिय बनाने के लिए सक्रिय है.'' केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि बौद्ध धर्म ने परिवर्तनशील चुनौतियों से गुजर रहे विश्व को शांति और अहिंसा पर आधारित जीवन जीने का एक तरीका दिया है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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