मोदी आए और काशी में BJP बम बम हो गई, 1991 से अब तक के डेटा से समझिए पूरी कहानी

Varanasi seat पर 1991 और 1996 के चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बाद 1998,1999 और 2004 के चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. पीएम मोदी के वाराणसी में एंट्री के बाद वोट प्रतिशत भारी बढ़ोतरी हुई.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का वाराणसी शहर संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक माना जाता रहा है. सांस्कृतिक तौर पर पूरे भारत ही नहीं दुनिया भर में इसकी पहचान रही है. राजनीतिक तौर पर यह सीट बीजेपी का गढ़ बन चुका है. 1991 से लेकर 2019 के बीच हुए 8 लोकसभा चुनावों में से 7 बार भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) को इस सीट पर जीत मिली है. 2004 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने यह सीट बीजेपी से छीन लिया था. 2009 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर बीजेपी की वापसी करवा दी. हालांकि काशी की इस सीट पर बीजेपी के पक्ष में रिकॉर्ड मतदान की शुरुआत पीएम मोदी की एंट्री के साथ हुई. 

पीएम मोदी की एंट्री के साथ डबल हो गए वोट शेयर
वाराणसी सीट पर 2009 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी को 30.5 प्रतिशत वोट मिले थे. उन्होंने कांग्रेस नेता राजेश मिश्रा को चुनाव में हराया था. साल 2014 के चुनाव में पीएम मोदी ने गुजरात की वडोदरा और उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. यह चुनाव बेहद रोचक हुआ था. इस चुनाव में यह उम्मीद की जा रही थी वाराणसी सीट पर नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर मिलेगी. 

पीएम मोदी के खिलाफ 2014 के चुनाव में टक्कर देने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल वाराणसी पहुंचे थे. हालांकि पीएम मोदी को इस सीट पर 2014 के चुनाव में 56.4 प्रतिशत वोट मिले जो पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 26 प्रतिशत अधिक थे.  2019 के चुनाव में एक बार फिर पीएम मोदी ने वाराणसी से ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया. इस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी और बसपा गठबंधन की उम्मीदवार शालिनी यादव को पराजित किया था. इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 63.6 प्रतिशत रहा था. 2014 की तुलना में बीजेपी को लगभग 7 प्रतिशत अधिक वोट मिले थे. 

श्रीश चंद्र दीक्षित ने वाराणसी को बनाया था बीजेपी का गढ़
1991 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के पूर्व डीजीपी रहे श्रीश चंद्र दीक्षित को उम्मीदवार बनाया था. उग्र हिंदुत्व की राजनीति करने वाले श्रीश चंद्र दीक्षित इस चुनाव में जीतने में सफल रहे थे. उन्हें 41.1 प्रतिशत वोट मिले थे. साल 1996 में बीजेपी की तरफ से शंकर प्रसाद जयसवाल उम्मीदवार बनाए गए थे उन्हें इस चुनाव में 1991 की तुलना में अधिक वोट मिले थे.  शंकर प्रसाद जयसवाल को 44.6 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. 

Advertisement

लगातार तीन चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में हुई थी गिरावट
वाराणसी सीट पर 1991 और 1996 के चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बाद 1998,1999 और 2004 के चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में बड़ी गिरावट देखने को मिली. 1996 में मिली 44 प्रतिशत वोट गिरकर 2004 के चुनाव में महज 23.6 प्रतिशत रह गया. बीजेपी को इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार से हार का भी सामना करना पड़ा. 

Advertisement

वाराणसी सीट पर कांग्रेस, वाम, लोकदल के बाद बीजेपी का बना गढ़
वाराणसी की सीट पर शुरुआती चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद यह सीट माकपा के खाते में चला गया. हालांकि बाद में कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी कर ली. वाराणसी सीट पर लोकदल और जनता दल को एक-एक बार जीत मिली है. समाजवादी पार्टी और बसपा के उम्मीदवार कभी भी इस सीट पर चुनाव जीतने में सफल नहीं रहे हैं. 

Advertisement

कई दिग्गज इस सीट का कर चुके हैं प्रतिनिधित्व, मोदी को मिली रिकॉड जीत
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में वाराणसी का अलग ही महत्व रहा है. मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले भूतपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, कांग्रेस के दिग्गज कमलापति त्रिपाठी, दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री और केंद्रीय मंत्री रहे BJP के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य व वरिष्ठतम नेताओं में से एक मुरली मनोहर जोशी भी यहां से सांसद रह चुके हैं. वर्ष 1957 और 1962 में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह इस सीट से जीते थे, लेकिन 1967 में CPM के सत्यनारायण सिंह ने यहां कब्ज़ा कर लिया. उसके बाद 1971 में कांग्रेस ने राजाराम शास्त्री के ज़रिये इस सीट पर फिर कब्ज़ा जमाया.

Advertisement
साल 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में एमरजेंसी के चलते कांग्रेस-विरोधी लहर पूरे देश में थी. भारतीय लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़े चंद्रशेखर वाराणसी के सांसद बनने में सफल रहे थे. 

1980 में कांग्रेस की वापसी हुई, और कमलापति त्रिपाठी ने इस सीट पर कब्ज़ा किया, और फिर 1984 में भी कांग्रेस के ही श्यामलाल यादव ने वाराणसी से जीत हासिल की. 1989 में जनता दल की टिकट से अनिल शास्त्री सांसद बने, और फिर 1991 से चार चुनाव तक यहां BJP का दबदबा बना रहा, और 1991 में श्रीश चंद्र दीक्षित ने इस सीट पर जीत दर्ज कर बीजेपी का गढ़ बना दिया. 

ये भी पढ़ें-: 

Featured Video Of The Day
Russia Ukraine War: यूक्रेन पर ही दागकर रूस ने की नई मिसाइल टेस्टिंग | Vladimir Putin | NDTV India
Topics mentioned in this article