धराली में जिंदगी की जंग, रस्सियों से लटककर बनाया जा रहा ब्रिज, हेलीकॉप्टर का गर्जन; कहां तक पहुंचा रेस्क्यू

उत्तराखंड के धराली इलाके में अब तक 500 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू हो चुका है. धराली में बादल फटने के बाद पहाड़ों से आए सैलाब ने तबाही मचाई है. कई घर ध्वस्त हो गए और इस दौरान सैकड़ों लोग इस इलाके में फंसे थे. फिलहाल, युद्धस्तर पर चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए लोगों को बचाया जा रहा है.

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  • धराली और हर्षिल घाटियों में भारतीय सेना, SDRF और BRO की टीमें जी-जान से रेस्क्यू में जुटी है
  • सेना ड्रोन, डॉग स्क्वॉड और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार की मदद से लापता लोगों की खोज तेज
  • SDRF ने रस्सियों और स्टील वायर से अस्थायी मार्ग बनाकर पुल निर्माण कार्य शुरू कराया है
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देहरादून/नई दिल्ली:

धराली और हर्षिल की घाटियों में ज़िंदगी इस वक्त रस्सियों के सहारे लटकी है. ठंडी हवाओं और पहाड़ी मलबे के बीच, भारतीय सेना, SDRF और BRO की टीमें हर सांस को बचाने की कोशिश में जी-जान से जुटी हैं. जहां एक ओर भगीरथी नदी का कटाव रेस्क्यू में परेशानी का सबब बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर पुलों और सड़कों के टूटने से काफी दिक्कतें बढ़ गई है. लेकिन बचानव में जुटी सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसआरएफ की टीम अपनी पूरी ताकत के साथ रेस्क्यू चला रही है. जिस जगह पुल बह गए, वहां वैली पुल बनाए जा रहे हैं, जहां सड़कें भूस्खलन से बंद है, उन्हें खोला जा रहा है.

रेस्क्यू ऑपरेशन: जान बचाने की जद्दोजहद

भारतीय सेना धराली और हर्षिल में डॉग स्क्वॉड, ड्रोन, और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार की मदद से लापता लोगों की तलाश और तेज़ कर दी है. सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और बीआरओ अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ रही है. वहीं SDRF की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य कर रही हैं.

सारी टीमों का प्रयास है कि पुल बनने तक हर मुश्किल स्थिति से निपटा जा सकें, जिसमें एयरफोर्स के चिनूक जैसे हेलीकॉप्टर बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं. आज दोपहर 12 बजे तक के मुताबिक 566 यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि 300 से अधिक लोगों को निकालने का कार्य अभी जारी है.

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घाटी में हेलीकॉप्टरों का गर्जन

लोगों को बाहर निकालने में उत्तराखंड सरकार के अलावा सेना के चिनूक एवं एम-17 हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया जा रहा है. धराली में लगे मलबे के ढेर में लापता लोगों की तलाश के लिए उन्नत उपकरणों को भी चिनूक और एमआई-17 के जरिए हवाई मार्ग से मौके पर पहुंचाया जा रहा है.

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प्रभावित इलाकों में खाद्य तथा अन्य जरूरी सामग्री भी हेलीकॉप्टर के जरिए भेजी जा रही है. एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि विभिन्न जगहों पर सड़कें टूटी होने के कारण बचाव अभियान के लिए हवाई मार्ग पर ही अधिक जोर दिया जा रहा है.

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पुल निर्माण: रस्सियों से शुरू, स्टील तक पहुंचा

गंगनानी से 3 किलोमीटर आगे एक पुल के टूटने से धराली से सड़क संपर्क पूरी तरह टूट गया है. लेकिन SDRF ने कल स्टील वायर और रस्सियों की मदद से नदी पार करने का अस्थायी मार्ग तैयार किया, जिससे BRO को पुल निर्माण का कार्य शुरू करने में मदद मिली.

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आज भी मौके पर SDRF ने BRO और PWD के इंजीनियरों और मज़दूरों को रस्सियों के सहारे नदी पार कराकर निर्माण स्थल तक सुरक्षित पहुंचाया. गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित लिमचा गाड़ पुल के टूटने के बाद, वहां वैली ब्रिज का निर्माण कार्य तेज़ी से किया जा रहा है. BRO की टीमें युद्धस्तर पर काम कर रही हैं ताकि जल्द से जल्द संपर्क बहाल हो सके.

सड़क बहाली: मशीनों की गूंज और उम्मीद की राह

बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भानरेपानी के पास भूस्खलन के कारण सड़क कल से बंद है. चमोली पुलिस के अनुसार, मशीनों से सड़क खोलने का कार्य युद्धस्तर पर तेजी के साथ चल रहा है. इसके अलावा, हर्षिल और धराली के आपदा स्थलों पर भी सड़क बहाली का प्रयास किया जा रहा है.

भगीरथी नदी के किनारे स्थित सोंगाड़ और डबरानी में कटाव को रोकने के लिए भी काम चल रहा है. धराली की घाटियों में रेस्क्यू आसान काम नहीं वो भी तब कुदरत की मार ऐसी पड़ी हो कि इंसान बेबस हो गया हो. रस्सियों से घाटियों में लटककर पुल बनाना, रडार से ज़मीन के नीचे की हलचल पकड़ना, और हर व्यक्ति को सुरक्षित निकालना, ये सब दर्शाता है कि यकीनन प्रकृति चुनौती देती है, तो मानव संकल्प उससे भी बड़ा होता है.

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