उत्तरकाशी टनल हादसा: रेस्क्यू टीम ने वॉकी-टॉकी से जाना 40 मजूदरों का हाल, पाइप से खाने-पानी की सप्लाई

रविवार को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. जो मजदूर सुरक्षित भागने में सफल रहे, वे 400 मीटर के बफर जोन में फंस गए हैं.

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उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक निर्माणाधीन टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse) के धंस जाने से 40 मजदूर फंसे हुए हैं. 12 नवंबर को ये टनल धंस गई थी. 65 घंटे से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन इन मजदूरों को रेस्क्यू नहीं किया जा सकता है. मलबा हटाने के दौरान ऊपर की मिट्टी धंस रही है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है.

रेस्क्यू टीम मंगलवार को वॉकी-टॉकी की मदद से टनल में फंसे मजदूरों से बात कर पाए. इन मजदूरों में से एक ने अपने बेटे से उस पाइप के जरिए कुछ मिनट तक बात भी की, जिसका इस्तेमाल ऑक्सीजन सप्लाई के लिए किया जा रहा था.

फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. खाना-पानी भी दिया जा रहा है. 

रविवार को ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा ढह गया. चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. 
जो मजदूर सुरक्षित भागने में सफल रहे, वे 400 मीटर के बफर जोन में फंस गए हैं. ये बफर जोन 200 मीटर चट्टानी मलबे के नीचे है. 

रेस्क्यू टीम ने शुरुआत में एक कागजी नोट को पाइप के जरिए पास कराया गया. कागज जब अंदर चला गया, तो वॉकी टॉकी को उसी पाइप से नीचे खिसका दिया गया. क्योंकि चट्टान की दीवार के पीछे से सेलफोन रिसेप्शन नामुमकिन था.

यह अभी तक यह साफ नहीं है कि मजदूरों के रेस्क्यू में कितना समय लगेगा. एनडीआरएफ या एसडीआरएफ ने रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर कोई निर्धारित समय नहीं दिया है.


 

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