उत्तराखंड टनल हादसा: ड्रिलिंग के दौरान जोरदार आवाज के बाद रोका गया रेस्क्यू ऑपरेशन

मजदूरों तक पहुंचने के लिए रेस्क्यू टीम ने अभी तक 25 मीटर तक की ड्रिलिंग की है. मजदूरों को टनल से बाहर निकालने का रास्ता बनाने के लिए ड्रिलिंग मशीन की मदद से 800 मिमी और 900 मिमी व्यास (Diameter) वाले पाइप डाले जाएंगे, जिसके लिए 60 मीटर तक ड्रिलिंग जरूरी है.

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उत्तरकाशी:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल (Uttarakhand Tunnel Collapse)के धंसने के बाद अंदर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए 6 दिन से रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) चल रहा है, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली है. ड्रिलिंग के काम में लगी अमेरिकन हैवी ऑगर्स मशीन के रास्ते में चट्टान आने से दोपहर 12 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन 2 घंटे तक बंद रहा. इसके बाद फिर से शुरू किया गया. करीब 25 मीटर की ड्रलिंग के बाद मशीन नीचे किसी मेटेलिक चीज़ से टकरा गई. इससे तेज आवाज आई. दोपहर 2:45 के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया है. रेस्क्यू अधिकारियों ने एक्सपर्ट की मीटिंग बुलाई है.

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ​​​​ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. ये हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. 4.5 किलोमीटर लंबे टनल का एक हिस्सा ढह गया. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी. इससे मजदूर अंदर फंस गए. ये मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.

आगे टनल का हिस्सा धंसने की आशंका
नेशनल हाईवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ( NHIDCL) के डायरेक्टर अंशु मनीष खालको ने बताया, "दोपहर करीब 2:45 बजे काम के दौरान अधिकारियों और टनल के अंदर काम कर रही टीम को बड़े पैमाने पर कुछ चटकने की आवाज सुनाई दी. आवाज इतनी तेज थी कि रेस्क्यू में लगी टीम में दहशत की स्थिति पैदा हो गई." खालको ने एक बयान में कहा, "इस बात की बड़ी संभावना है कि आगे भी टनल धंस सकती है. लिहाजा ऐहतिहातन हमने फिलहाल के लिए पाइप को धकलने का काम रोक दिया है."
 

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गैस कटर से मेटल वाले हिस्से को काटने की कोशिश
खलखो ने कहा, "गैस कटर का इस्तेमाल करके मेटल वाले हिस्से को काटने की कोशिश की जा रही है. ड्रिलिंग का काम फिलहाल रोक दिया गया है." खलखो ने कहा कि वे इंदौर से एक और मशीन एयरलिफ्ट कर रहे हैं, ये शनिवार सुबह साइट पर पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा, "मलबे में पाइप डालने में छेद करने से ज्यादा समय लगता है. उन्होंने कहा, "हमें ये भी देखना है कि इन पाइपों में कोई दरार न हो."

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नेशनल हाईवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ( NHIDCL) के डायरेक्टर अंशु मनीष खालको ने कहा- "अमेरिकी ऑगर्स मशीन के जरिए 6 फीट लंबे पाइप मलबे में रास्ता बनाते हुए अंदर भेजे जा चुके हैं. रेस्क्यू में थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है."


उन्होंने कहा, "मलबे में पाइप डालने में छेद करने से ज्यादा समय लगता है. खालको ने यह भी कहा, "हमें ये भी देखना है कि इन पाइपों में कोई दरार न हो."

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60 मीटर की टनल धंसने का अनुमान
एक्सपर्ट के मुताबिक, अनुमान लगाया जा रहा है कि 60 मीटर की टनल धंसी है, तो मलबा इतने ही मीटर में फैला होगा. आशंका यह भी जताई जा रही है कि गीला मलबा टनल के अंदर 60 मीटर से ज्यादा इलाके में फैल गया हो. ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन में आगे भी दिक्कत आ सकती है.

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PMO, गृह मंत्रालय और CM की मामले पर नजर
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन पर PMO, गृह मंत्रालय और उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी नजर बनाए हुए हैं. उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए 6 सदस्यीय कमेटी बनाई है. कमेटी ने अपनी जांच शुरू भी कर दी है.

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