- मानसून से उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर और नैनीताल जिलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है.
- राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 5700 करोड़ की विशेष सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है.
- मानसून सीजन में 574 मिमी बारिश हुई, जिससे कई सड़कें, पुल और इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचा है
उत्तराखंड में मानसूनी बारिश से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए 8 सितंबर को केंद्र सरकार की टीम उत्तराखंड जाएगी. भारी बारिश की वजह से उत्तराखंड में कई जिलों में भारी नुकसान हुआ है. राज्य के 6 ऐसे जिले हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है.
मानसून की बारिश से उत्तराखंड में जिन जिलों में भारी नुकसान हुआ है, उनमें उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर और नैनीताल जिले शामिल हैं. मानसून ने यहां भारी कहर बरपाया है.
राज्य में आपदा से वास्तविक क्षति के आकलन के लिए पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट (PDNA) की कार्रवाई की जाएगी. इसी के लिए केंद्र सरकार की टीम राज्य में आ रही है. इस टीम की अगुआई गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव आर प्रसन्ना करेंगे.
उत्तराखंड में इस साल मानसून सीजन में अब तक 574 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है. यह साल 2024 में हुई बारिश से काफी अधिक है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव विनोद सुमन ने बताया कि इस साल उत्तराखंड में रिकॉर्ड बारिश से बहुत सी सड़कें, पुल और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान हुआ है.
सुमन ने बताया कि राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से 5700 करोड़ की विशेष सहायता का अनुरोध किया है. इस साल प्राकृतिक आपदाओं से सभी सरकारी विभागों को लगभग 1944.15 करोड़ रुपये का सीधे तौर पर नुकसान हुआ है.
सबसे ज्यादा 1163.84 करोड़ रुपये का नुकसान लोक निर्माण विभाग और सार्वजनिक सड़कों को हुआ है. सिंचाई विभाग को लगभग 266.65 करोड़, ऊर्जा विभाग को 123.17 करोड़ की क्षति हुई है. अन्य विभागों को भी करोड़ों का नुकसान हुआ है.
सुमन ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए ) के विभागाध्यक्ष राजेंद्र सिंह और सचिव मनीष भारद्वाज ने राज्य को हुई क्षति की भरपाई के लिए हरसंभव आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया है.