रेस्क्यू में रुकावटें, मौसम-अंधेरा बड़ी बाधा, बारिश का रेड अलर्ट... उत्तराखंड में आज की रात भारी

Uttarakhand Cloudburst: भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने एनडीटीवी को बताया कि हमने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. वहां कल सुबह 8:30 बजे तक अति भारी से भारी बारिश का पूर्वानुमान है.

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  • उत्तरकाशी जिले के धराली में बादल फटने से खीर गंगा नदी में आई भयंकर बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई है.
  • भारी बारिश और भूस्खलन के कारण प्रदेश के कई सड़क मार्ग बंद हो गए हैं, जिससे राहत कार्यों में बाधा आई है.
  • मौसम विभाग ने उत्तराखंड के अधिकतर जिलों में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी करते हुए सतर्क रहने की सलाह दी है.
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नई दिल्ली:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में बादल फटने से खीर गंगा नदी में आए सैलाब ने भारी तबाही मचाई है. पानी कुछ ही देर में बड़े-बड़े होटलों और मकानों को अपने साथ बहा ले गया. गंगोत्री धाम के रास्ते का ये खूबसूरत इलाका पलक झपकते ही मलबे की ढेर में तब्दील हो गया. इस आपदा ने 2013 की केदारनाथ और 2021 की ऋषिगंगा आपदा की भयावह यादें ताजा कर दीं. इस त्रासदी में कई लोगों के जान गंवाने, मलबे में दबने और लापता होने की खबर है. राहत और बचाव के काम चल रहे हैं, लेकिन भौगोलिक चुनौती और मौसम की चेतावनी धराली के लिए मुश्किलें कई गुना बढ़ा कर रही हैं.

आपदा की सूचना मिलते ही मौके पर सबसे पहले सेना पहुंची और तुरंत राहत और बचाव कार्यों में जुट गई. जानकारी के अनुसार, सेना का हर्षिल कैंप घटनास्थल से केवल चार किलोमीटर दूर है और इस कारण सेना के करीब 150 जवान केवल 10 मिनट में ही वहां पहुंच गए और 20 लोगों को बचा लिया. कई जगह सेना के जवानों ने रस्सी के सहारे लोगों को खींचकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.

सेना द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो में हर जगह मलबा दिखाई दे रहा है. सेना के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को आपदाग्रस्त धराली से फिलहाल दूर रहने को कहा गया है.

बचाव दल राहत के काम में जुटे

एसडीआरएफ के सूत्रों ने बताया कि उनकी 50 जवानों की विशेषज्ञ टीम भी अपने आवश्यक उपकरणों जैसे ‘विक्टिम लोकेटिंग कैमरा', ‘थमैल इमेजिंग कैमरा', ‘कटिंग टूल्स', ‘रोटरी हैमर' के साथ राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई है.

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हालांकि शाम तक बारिश जारी रही जिसके कारण राहत एवं बचाव कार्यों में बाधा आई. इसके अलावा, राज्यभर में भूस्खलन के कारण सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण भी राहत कार्य में अड़चनें आ रही है और बचावकर्मियों को आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचने में कठिनाई हो रही है.

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धराली गंगोत्री धाम से करीब 20 किलोमीटर पहले पड़ता है और यात्रा का प्रमुख पड़ाव है. दोपहर बाद की इस घटना में कम से कम आधा गांव मलबे और कीचड़ में दब गया. बाढ़ के पानी के तज बहाव और मलबे के कारण तीन-चार मंजिला मकानों सहित आसपास की इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं.

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धराली के अलावा हर्षिल में सेना के कैंप के पास भी बादल फटने की घटना

बताया जा रहा है कि खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से यह विनाशकारी बाढ़ आई. आपदा से प्रभावित धराली अकेला स्थान नहीं था. राज्य आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि तेज गति से आया सैलाब एक ही पहाड़ी के दो अलग-अलग छोर से बहा, एक धराली की ओर दूसरा सुक्की गांव की ओर. धराली के अलावा, हर्षिल में सेना के कैंप के पास भी एक और बादल फटने की घटना हुई है. हालांकि, उसमें हुए नुकसान के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है.

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वहीं उत्तराखंड के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि 40 से 50 इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं. उन्होंने बताया कि खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर की सेवाएं भी नहीं ली जा सकीं. लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि धराली बाजार का एक बड़ा हिस्सा आपदा में बह गया है.

अपने जीवन में ऐसा भयावह दृश्य कभी नहीं देखा- प्रत्यक्षदर्शी

धराली के पास स्थित मुखबा गांव के लोग भी इस ह्रदयविदारक दृश्य को देखकर दहल गए. गांव के ही 60 साल के एक प्रत्यक्षदर्शी सुभाष चंद्र सेमवाल ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा भयावह दृश्य कभी नहीं देखा. उन्होंने कहा कि दोपहर बाद जब वह आराम करने जा रहे थे कि तभी उन्हें तेज गति से पानी और पत्थरों के बहने की आवाज सुनाई दी, जिसे सुनकर वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य बाहर निकल आए. जब हमने खीरगंगा में भारी मात्रा में पानी बहकर नीचे की ओर आते देखा तो हम सब पहले तो घबरा गए, फिर हमने धराली बाजार में रहने वाले लोगों को सतर्क करने के लिए सीटियां बजायीं और चिल्ला-चिल्लाकर उन्हें वहां से भागने को कहा.

सेमवाल ने कहा कि उन लोगों की आवाज सुनकर कई लोग होटल से निकलकर भागे भी, लेकिन बाढ़ का वेग इतना तेज था कि देखते ही देखते वे सब उसमें समा गए और सब कुछ वहीं दफन हो गया.

सैलाब के कई खौफनाक वीडियो आए सामने

सोशल मीडिया पर एक वीडियो में पानी की ऊंची लहरें उठती दिखाई दे रही हैं जिनकी चपेट में आकर मकान, होटल और अन्य इमारतें ढहती हुई दिख रही हैं. एक अन्य वीडियो में कुछ लोग तेजी से आ रहे पानी के बहाव से अपनी जान बचाने का प्रयास करते हुए दिख रहे हैं, लेकिन पानी की लहरें उन्हें अपनी चपेट में ले लेती हैं.

एक अन्य वीडियो में लोग अपने रिश्तेदारों का कुशलक्षेम जानने के लिए उन्हें फोन करते दिख रहे हैं. वीडियो में एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुना गया, “सब कुछ खत्म हो गया.”

बुधवार सुबह 8:30 बजे तक भारी बारिश का रेड अलर्ट 

आईएमडी ने बुधवार सुबह 8:30 बजे तक उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने एनडीटीवी को बताया कि हमने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. वहां कल सुबह 8:30 बजे तक अति भारी से भारी बारिश का पूर्वानुमान है. 4 अगस्त के लिए भी हमने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया था.

उन्होंने बताया कि मानसून सक्रिय है, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के ऊपर बादल बन रहे हैं. इस कंडीशन में हिमालय क्षेत्र में ज्यादा बारिश होती है. हमारी नागरिकों को हिदायत है कि वह पहाड़ों में ना जाएं. वहां भारी बारिश हो रही है. जहां हमने रेड अलर्ट जारी किया है वहां लोगों को नहीं जाना चाहिए. वहीं जो स्थानीय लोग हैं उन्हें बेहद सतर्क रहना होगा, क्योंकि यह क्षेत्र संवेदनशील है. साथ ही जहां भूस्खलन संवेदनशील क्षेत्र है वहां भी रहने वाले लोगों को बेहद सतर्क रहना होगा.

प्रदेश के 13 में से 11 जिलों में भारी बारिश का पूर्वानुमान

उत्तराखंड में कई जगहों पर पिछले 48 घंटों से रुक-रुककर लगातार बारिश हो रही है, जिसकी वजह से गंगा, यमुना सहित सभी नदी-नाले उफान पर हैं और भूस्खलन से सड़कें बाधित हो गई हैं. मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में प्रदेश के 13 में से 11 जिलों में भारी बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त करते हुए जलभराव होने और बाढ़ का खतरा पैदा होने की चेतावनी जारी की है.

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले 24 घंटों में प्रदेश में कई स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गयी. नरेंद्रनगर में 172.5 मिमी, देहरादून में 132, कोटद्वार में 122, रोशनाबाद में 95 मिमी, लक्सर में 85, ऋषिकेश में 81.8 मिमी, काशीपुर में 70 और भगवानपुर में 58 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई. हरिद्वार में बारिश के कारण हर की पौड़ी के पास भीमगोडा रोड पर पहाड़ी से भूस्खलन होने से भारी मात्रा में मलबा आ गया है जिससे हर की पौड़ी मार्ग बाधित हो गया.

भूस्खलन की वजह से 5 एनएच और 7 एसएच सहित 150 से ज्यादा सड़कें बंद

प्रदेश में पांच राष्ट्रीय राजमार्ग और सात राज्य राजमार्गों सहित कुल 163 सड़कें भूस्खलन होने के कारण यातायात के लिए बंद हो गयी हैं. उत्तरकाशी जिले में स्याणाचट्टी के पास ऋषिकेश-यमुनोत्री राजमार्ग का 25 मीटर हिस्सा भूधंसाव के कारण पिछले दो दिनों से बाधित है, जबकि नैनीताल-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग बल्दियाखान के पास मलबे से अवरूद्ध है. बैजनाथ-खरसाली राष्ट्रीय राजमार्ग बागेश्वर जिले में रामगंगा पुल के समीप मलबा आने से बाधित है. प्रशासन ने फिलहाल लोगों से नदियों के किनारों से दूर रहने की अपील जारी की है. इन क्षेत्रों में पुलिसकर्मी लगातार गश्त पर हैं.

मौसम विभाग द्वारा जारी ताजा पूर्वानुमान में अगले 24 घंटों में प्रदेश के अल्मोड़ा, चमोली, देहरादून, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, नैनीताल, पिथौरागढ़, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और चंपावत जिलों के कुछ स्थानों में भारी बारिश होने तथा उसके कारण जलभराव की स्थिति या बाढ़ के खतरे की आशंका व्यक्त की गयी है. इसे देखते हुए राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र द्वारा सभी जिलाधिकारियों को सतर्कता बरतने और 24 घंटे अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं.