हिमालय की गोद में बढ़ रहा प्रदूषण! क्या दिल्ली-एनसीआर बन जाएगा उत्तराखंड?

उत्तराखंड में बढ़ता Air Pollution अब हिमालयी क्षेत्रों के लिए खतरा बनता जा रहा है. देहरादून का AQI लगातार खराब स्तर पर पहुंच रहा है, जबकि काशीपुर और ऋषिकेश की हवा भी बिगड़ रही है. तेजी से बढ़ता कंस्ट्रक्शन, वाहनों की संख्या, जंगलों की आग और 50 दिनों से बारिश न होने के कारण प्रदूषण बढ़ा है.

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Uttarakhand Air Pollution: हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड को हमेशा साफ हवा, शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. लेकिन अब सवाल उठने लगा है कि क्या उत्तराखंड भी दिल्ली‑एनसीआर की तरह प्रदूषण की चपेट में आता जा रहा है? हाल के आंकड़े और मौसम विशेषज्ञों की चेतावनियां यही इशारा कर रही हैं कि पहाड़ों की हवा भी अब पहले जैसी शुद्ध नहीं रही.

उत्तराखंड में बढ़ता प्रदूषण: क्या पहाड़ भी खतरे में हैं?

बीते कुछ सालों में उत्तराखंड में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है. पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, बड़े पैमाने पर कंक्रीट निर्माण और वाहनों की बढ़ती संख्या ने पहाड़ों की हवा को भी भारी बना दिया है. दिल्ली‑एनसीआर की खराब हवा से बचने के लिए लोग पहाड़ों का रुख करते हैं, लेकिन अब वही पहाड़ प्रदूषण की मार झेल रहे हैं.

देहरादून का AQI लगातार बिगड़ रहा

देहरादून, जो कभी साफ हवा के लिए जाना जाता था, अब खतरनाक स्तर के AQI तक पहुंच चुका है.

  • 18 दिसंबर: 267 AQI
  • 17 दिसंबर: 292 AQI
  • 16 दिसंबर: 213 AQI
  • 15 दिसंबर: 133 AQI
  • 14 दिसंबर: 115 AQI
  • 13 दिसंबर: 101 AQI

उत्तराखंड के दूसरे शहरों की बात करें, जिसमें काशीपुर, ऋषिकेश आता है वहां का भी एयर क्वालिटी इंडेक्स ज्यादा अच्छा नहीं है. इन शहरों की हवा भी धीरे-धीरे खराब होती जा रही है.

वायु प्रदूषण बढ़ने के प्रमुख कारण

  • तेजी से उत्तराखंड में कंस्ट्रक्शन का काम होना है,
  • लगातार वाहनों की संख्या उत्तराखंड में बढ़ रही है
  • फॉरेस्ट फायर सीजन में जंगलों की आग भी वायु प्रदूषण को बढ़ा रही है
  • लगातार जलवायु परिवर्तन हो रहा है बारिश समय पर नहीं हो रही है,
  • पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में अलाव का जालना भी एक कारण

इसके अलावा कई छोटे-बड़े कारण भी है जिससे वायु प्रदूषण हो रहा है. उत्तराखंड में नैनीताल ,मसूरी ,कौसानी, ऋषिकेश ,हरिद्वार, औली, जोशीमठ, जागेश्वर मुक्तेश्वर कैंची धाम रानीखेत रामनगर कॉर्बेट में पर्यटक भारी संख्या में पहुंच रहे हैं.

पर्यटक ज्यादातर अपने वाहनों के साथ इन पर्यटक स्थलों पर आते हैं, इसकी वजह से भी लगातार ज्यादा वहां आने और उनसे निकलने वाला धुआं इस वायु प्रदूषण को और बढ़ा रहा है. उत्तराखंड में वाहनों की संख्या के बात करें तो 25 सालों में 43 लाख वाहन का रजिस्ट्रेशन हुआ है.

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उत्तराखंड में 50 दिनों में बारिश नहीं हुई

इसका एक बड़ा कारण उत्तराखंड में पिछले 50 दिनों में बारिश का नहीं होना है. बारिश नहीं होने से सूखी ठंड पड़ रही है और हवा में धूलकण तैर रहे हैं और उसकी वजह से कोहरा हो रहा है और सांस लेने में  दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसी वजह से देहरादून का AQI काफी बढ़ गया है.  

विशेषज्ञों की चेतावनी: देहरादून की हालत सबसे खराब

दून यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर श्रीधर के अनुसार, देहरादून की हवा ऋषिकेश और काशीपुर से भी ज्यादा खराब है.

  • लंबे समय से बारिश नहीं
  • बड़े पैमाने पर निर्माण
  • वाहनों की बढ़ती संख्या
  • ठंड में अलाव का बढ़ना इन सभी कारणों ने हवा में पार्टिकल्स की मात्रा बढ़ा दी है.

मौसम विभाग की भविष्यवाणी: अभी राहत नहीं

उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक रोहित थपलियाल के अनुसार...

  • 21–22 दिसंबर को ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बारिश/बर्फबारी हो सकती है
  • हरिद्वार और उधम सिंह नगर में घना कोहरा बढ़ेगा
  • तापमान में गिरावट जारी रहेगी
  • पिछले 50 दिनों से बारिश न होने से प्रदूषण और बढ़ा है

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जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र बिगड़ रहा

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. पंकज चौहान बताते हैं कि 

  • तापमान बढ़ने से बर्फबारी का समय बदल गया है
  • जो बर्फ नवंबर‑दिसंबर में गिरनी चाहिए, वह अब मार्च‑अप्रैल में हो रही है
  • ग्लेशियरों पर गिरने वाली बर्फ को जमने का समय नहीं मिल रहा
  • यह बदलाव हिमालयी क्षेत्रों के लिए गंभीर खतरे का संकेत है
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