यूपी बीजेपी का नया अध्यक्ष कौन! लिस्ट पहुंच गई दिल्ली! क्या बात हुई, क्या मुलाकात हुई, पूरी इनसाइड स्टोरी पढ़िए

सामाजिक समीकरण के हिसाब से यूपी बीजेपी का नया अध्यक्ष कौन होगा ! वो ब्राह्मण हो सकता है. या फिर किसी पिछड़े वर्ग के नेता को ये ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. जितने मुँह, उतनी बातें.

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  • विनोद तावड़े दिल्ली लौटे, लखनऊ में बीजेपी नेताओं से मिले।
  • यूपी विधानसभा चुनाव में नए प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी होगी।
  • पार्टी का पिछला लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
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लखनऊ:

विनोद तावड़े दिल्ली लौटे गए है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव दो दिनों के दौरे पर लखनऊ थे. इस दौरान उन्होंने पार्टी के कई नेताओं से मुलाक़ात की. यूपी बीजेपी का नया अध्यक्ष कौन ! विनोद तावड़े इसी मिशन पर लखनऊ गए थे. ठीक दो साल बाद यूपी में विधानसभा के चुनाव होने हैं. मतलब बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष पर चुनाव की ज़िम्मेदारी भी होगी. पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बहुत ख़राब रहा था. बीजेपी की सीटों की संख्या 62 से घट कर 33 हो गई. इस तरह से बीजेपी को 29 सीटों का नुक़सान हुआ. ख़राब नतीजों के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए इस्तीफ़े की पेशकश की भी की थी.

यूपी में बीजेपी कई गुटों में बँटी हुई है. संगठन और सरकार में भी सब कुछ ठीक नहीं है. बीजेपी के सहयोगी दलों की भी नाराज़गी है. ऐसे में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष पर कांटों का ताज होगा. सबको साथ लेकर चलने की चुनौती होगी. हर हाल में विधानसभा चुनाव जीतना तो पहला एजेंडा है. बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चिंता अपने सामाजिक समीकरण को बचाए रखने की है. पीडीए के नारे के साथ समाजवादी पार्टी इसे तोड़ने में जुटी है. मायावती और उनकी पार्टी बीएसपी भी लगातार कमजोर होती जा रही है. विपक्ष के वोटों में बंटवारे से बीजेपी को फ़ायदा होता रहा है. पार्टी की चिंता मायावती से टूट रहे दलित वोटरों को अपने पास करने की है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने गैर यादव पिछड़े और ग़ैर जाटव दलितों को अपना बेस वोट बनाया. पर पिछले लोकसभा चुनाव में ये सोशल इंजीनियरिंग बिखर गया. ऐसे में यूपी में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को एक साथ कई फ़्रंट पर काम करना होगा.

सामाजिक समीकरण के हिसाब से यूपी बीजेपी का नया अध्यक्ष कौन होगा ! वो ब्राह्मण हो सकता है. या फिर किसी पिछड़े वर्ग के नेता को ये ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. जितने मुँह, उतनी बातें. ये भी कहा जा रहा है कि इस बार किसी दलित नेता पर पार्टी नेतृत्व दांव चल सकता है. सूत्र तो ये भी बताते हैं कि अभी प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए या नहीं, ये भी तय नहीं है. वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी के समर्थकों का यही दावा है. वैसे परंपरा तो ये रही है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए एक ही अध्यक्ष नहीं रहते हैं.

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बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े एक ख़ास मिशन पर लखनऊ आए थे. उनका ये दौरा अचानक बना था. इस दौरान उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की. फिर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से भी मिले. दूसरे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से तावड़े की भेंट नहीं हो पाई. क्योंकि वे प्रयागराज में थे. यूपी में पार्टी के संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह के साथ भी उनकी लंबी बैठक हुई. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी से भी तावड़े ने राय मशविरा किया. इन सबसे मिल कर विनोद तावड़े ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए दो नाम मांगे. अब किस नेता ने कौन सा नाम सुझाया ! अभी ये राज ही है. सूत्र बताते हैं कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को इन सभी नामों के बारे में बताया जाएगा.

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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को बीजेपी की तरफ़ से यूपी का चुनाव अधिकारी बनाया गया है. उन्होंने अब तक यूपी का दौरा नहीं किया है. पर उससे पहले राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े पहले दौर का काम कर चुके हैं. पार्टी के संगठन महामंत्री बी एल संतोष भी पिछले हफ़्ते लखनऊ आए थे. बताया जाता है कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर उनकी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत हुई है. प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए कई नेता दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं. अपने अपने लिए लॉबिंग कर रहे हैं. एक नेता ने दो मंदिरों में मनोकामना पूरी करने के लिए पूजा भी करा चुके हैं.

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