सेना के जज़्बे को सलाम...उत्तर काशी आपदा में फंस गए 11 साथी, जानिए फिर कैसे संभाल लिया मोर्चा

सेना के सूत्रों के अनुसार, बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने धराली गांव में भारी नुकसान पहुंचाया.

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  • उत्तरकाशी जिले के हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने की घटना में सेना का कैंप भी चपेट में आ गया
  • धराली गांव में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने कई मकान, होटलों को नुकसान पहुंचाया
  • खराब मौसम के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है और हेलीकॉप्टर से सहायता प्रदान नहीं की जा सकी
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नई दिल्ली:

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के हर्षिल क्षेत्र में मंगलवार को हुए विनाशकारी  बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई, जिसकी चपेट में भारतीय सेना का एक शिविर भी आ गया. इस घटना के बाद से नौ जवान लापता हो गए हैं. यह घटना दोपहर 1:45 बजे धराली गांव के पास खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में हुई, जो हर्षिल में सेना के शिविर से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर है.

धराली गांव में भारी नुकसान

सेना के सूत्रों के अनुसार, बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने धराली गांव में भारी नुकसान पहुंचाया. गांव में कई मकान, होटल और दुकानें पानी और मलबे के तेज बहाव में बह गए. इस प्राकृतिक आपदा ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया, और स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना के शिविर को भी प्रभावित किया. सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "हमारा शिविर प्रभावित होने और 11 जवानों के लापता होने की आशंका के बावजूद, हमारी टीम अटूट दृढ़ संकल्प के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है. 

खराब मौसम के कारण हो रही है परेशानी

घटना की सूचना मिलते ही सेना ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और 10 मिनट के भीतर 150 सैनिकों को आपदा स्थल पर भेजा गया.  बचाव दल ने फंसे हुए ग्रामीणों को निकालने और घायलों को हर्षिल में सेना के मेडिकल सुविधा केंद्र में पहुंचाने का काम शुरू किया. हालांकि, दोपहर से देर शाम तक बारिश जारी रहने के कारण बचाव कार्य में बाधा आई. खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टरों को भी तैनात नहीं किया जा सका.  

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को "बेहद दुखद और पीड़ादायक" बताया और कहा कि राहत कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं.  उन्होंने कहा, "राज्य सरकार और सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित सभी टीमें प्रभावित लोगों की मदद के लिए दिन-रात काम कर रही हैं." 

उत्तराखंड के प्रधान सचिव आरके सुदर्शन ने बताया कि इस आपदा में 40 से 50 इमारतों को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने, भारी बारिश, अचानक बाढ़ और हिमस्खलन जैसी चरम मौसमी घटनाएं आम हैं, और जलवायु परिवर्तन के कारण इनका खतरा और बढ़ गया है.

सेना ने अपने बयान में कहा कि स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और वे प्रभावित नागरिकों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. धराली गांव, जो गंगोत्री जाने वाले तीर्थयात्रियों का प्रमुख पड़ाव है, में इस आपदा ने भारी तबाही मचाई है, और कई लोग अभी भी मलबे में फंसे हो सकते हैं. 

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