पूरी तरह से स्वदेशी डॉकिंग तकनीक का उपयोग: 'SpaDex मिशन' पर इसरो प्रमुख

इसरो अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में दो अलग-अलग चीजों को जोड़ने की यह तकनीक ही भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में और चंद्रयान-4 परियोजना में मदद करेगी.

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इसरो कल देगा स्पैडेक्स मिशन को अंजाम.
नई दिल्ली:

भारत अंतरिक्ष यानों को आसमान में ही डॉक (जोड़ने) और अनडॉक (अलग) करने की आवश्यक प्रौद्योगिकी के विकास को प्रदर्शित करने के लिए 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी60 के जरिए स्पैडेक्स (SpaDeX) मिशन को अंजाम देगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि 21 दिसंबर को प्रक्षेपण यान को एकीकृत कर दिया गया तथा उपग्रहों के आगे एकीकरण तथा प्रक्षेपण की तैयारियों के लिए इसे पहले प्रक्षेपण पैड पर ले जाया गया.

क्या होती है डॉकिंग प्रक्रिया

इस मिशन को लेकर इसरो अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने एनडीटीवी से खास बातचीत की और कहा 'जब आपके पास अंतरिक्ष में कई ऑब्जेक्ट होते हैं जिन्हें किसी खास उद्देश्य के लिए एक साथ लाने की आवश्यकता होती है, तो डॉकिंग की आवश्यकता होती है. डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसके मदद से दो अंतरिक्ष ऑब्जेक्ट एक साथ आते हैं और जुड़ते हैं. यह विभिन्न तरीकों का उपयोग करके किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर, चालक दल के मॉड्यूल स्टेशन पर डॉक करते हैं, दबाव को बराबर करते हैं, और लोगों को स्थानांतरित करते हैं.

इसरो डॉकिंग मिशन' के लिए तैयार

डॉकिंग के दौरान, एक 'टारगेट, ऑब्जेक्ट और चैसर' होता है. चैसर लक्ष्य का पीछा करता है, निकटता में आता है, और एक कनेक्शन स्थापित करता है. उन्होंने आगे कहा कि यह क्षमता भविष्य की महत्वाकांक्षाओं के लिए केंद्रीय है, जिसमें भारत का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (एक प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन), मानव अंतरिक्ष उड़ान जैसे  मिशन शामिल हैं. SpaDeX मिशन पूरी तरह से 'स्वदेशी' तकनीक पर निर्भर रहेगा.

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इसरो के मुताबिक स्पैडेक्स मिशन के तहत दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक का वजन लगभग 220 किग्रा) पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किये जाएंगे, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का होगा.

SpaDeX 229 टन वजनी पीएसएलवी रॉकेट से दो छोटे उपग्रहों को प्रक्षेपित करेगा. ये उपग्रह 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्वचालित रूप से डॉकिंग और अनडॉकिंग करेंगे. रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत पृथ्वी की निचली कक्षा में इस चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया का प्रयास करने वाला चौथा देश होगा. डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमताएं भारत को अंतरिक्ष यात्रा करने वाले देशों के एक विशिष्ट समूह में शामिल करेगी. यह प्रयोग उपग्रह की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने और अन्य के लिए आधार तैयार करेगा.

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उन्होंने कहा, SpaDex इसरो के लिए एक रोमांचक कदम है, जो तकनीकी सीमाओं को आगे बढ़ाने में टीम की दृढ़ता और विशेषज्ञता को प्रदर्शित करता है." डॉ. सोमनाथ ने कहा, "इस मिशन की सफलता भारत को न केवल उपग्रहों को लॉन्च करने में बल्कि जटिल अंतरिक्ष अभियानों को संचालित करने में भी एक प्रमुख राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगी.

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