डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वार, ब्रिक्स और क्वाड के बीच संतुलन साधता भारत, क्या हैं उसके हित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी की यात्रा पर हैं. वहां वो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलेंगे. पीएम मोदी का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब राष्ट्रपति ट्रंप टैरिफ की धमकी दे रहे हैं. वो ब्रिक्स देशों में पर 100 फीसदी टैरिफ की चेतावनी दे रही है. आइए जानते हैं ब्रिक्स और क्वाड में भारत का हित क्या है.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं. इस दौरान उनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दूसरे अन्य नेताओं से होगी. अमेरिका भारत को कितना अधिक दे रहा है, उसका पता पीएम मोदी की इस अमेरिका यात्रा से चलता है. डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की यात्रा करने वाले पीएम मोदी दूसरे प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले केवल बेंजामिन नेतन्याहू ने ही अमेरिका की यात्रा की है. पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा ऐसी समय हो रही है, जब राष्ट्रपति कई देशों पर टैरिफ लगाने की बात कर रहे हैं. वो ब्रिक्स में शामिल देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की चेतावनी दो बार दे चुके हैं. दरअसल ट्रंप ब्रिक्स देशों की डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा शुरू करने की कोशिश के खिलाफ हैं. इसलिए वो टैरिफ की धमकी दे रहे हैं. वहीं वे ब्रिक्स  (BRICS) के मुकाबले क्वाड  (QUAD) को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने इस संगठन को अपने पहले कार्यकाल में सक्रिय किया. इसके जरिए अमेरिका चीन को साधने की कोशिश कर रहा है. भारत ब्रिक्स और क्वाड दोनों का सदस्य है. ऐसे में उसके सामने चुनौती दोनों में संतुलन बनाने की है. आइए देखते हैं कि भारत इन दोनों संगठनों को कैसे साध पाएगा और उसके हित क्या हैं. 

क्वाड और ब्रिक्स का गठन करीब एक ही समय पर हुआ था. भारत शुरू से ही इन दोनों संगठनों का संस्थापक सदस्य है. ये दोनों संगठन इस समय दुनिया के दो प्रमुख बहुदेशीय संगठन हैं. लेकिन इनके उद्देश्यों और लाभों में अंतर है. भारत अपने भू-राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक हितों की वजह से इन दोनों संगठनों में शामिल है. क्वाड में भारत के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. वहीं ब्रिक्स के चार संस्थापक सदस्य हैं. ये है ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका. हाल के वर्षों में ब्रिक्स में कुछ और देशों को भी शामिल किया गया है.

सितंबर 2024 में डेलेवर में आयोजित क्वाड की बैठक में शामिल होते पीएम नरेंद्र मोदी.

क्वाड करता क्या है

क्वाड एक रणनीतिक गठबंधन है.इसका मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त, समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देना है. यह एक तरह से चीन को नियंत्रित करने का काम करता है. अपनी स्थापना के बाद से ही यह संगठन निष्क्रिय हो गया था, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद 2017 में इसे फिर से सक्रिय किया. ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में भी क्वाड को लेकर सक्रियता दिखा रहे हैं. दरअस क्वाड दक्षिण चीन सागर और भारत-चीन सीमा पर चीन की आक्रामक नीतियों के साथ संतुलन बनाने का एक तरीका है. इसका सदस्य होने की वजह से भारत को रक्षा और समुद्री सुरक्षा का लाभ मिलता है. इसके अलावा उसे फाइव जी, साइबर सुरक्षा, सप्लाई चेन विविधीकरण और सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में भी क्वाड से मदद मिली है. हाल के समय में भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका को बढ़ाया है. इसी के तहत उसने भारत ने आसियान, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन जैसे क्षेत्रीय मंचों में अपनी भागीदारी बढ़ाई है. चीन को साधने के उद्देश्य से ही भारत ने अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी को तैयार किया है.  

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ब्रिक्स में भारत का हित

ब्रिक्स में तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं का संगठन हैं.इसके सदस्य देशों में दुनिया की 40 फीसदी आबादी रहती है. इन देशों की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी करीब एक तिहाई है.ब्रिक्स का उद्देश्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाना है. भारत ब्रिक्स देशों के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत कर भारत अपनी अर्थव्यवस्था को विविधतापूर्ण बनाना चाहता है. ब्रिक्स में शामिल देश स्थानीय मुद्राओं में व्यापार कर डॉलर-आधारित वैश्विक वित्त प्रणाली पर निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहे  हैं. यही बात ट्रंप को परेशान कर रही है.इसके अलावा इसी मंच के जरिए भारत रूस और चीन से अपने संबंधों में संतुलन साधता है.

पिछले साल अक्टूबर में कजान में आयोजित ब्रिक्स की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलते पीएन नरेंद्र मोदी.

क्वाड और ब्रिक्स में भारत की सदस्यता हमारी स्वतंत्र विदेश नीति का प्रमाण है. इन संगठनों में रहकर भारत अपने हितों के मुताबिक संतुलन साधता है.इसी रणनीति के तहत भारत ने ब्रिक्स में चीन के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाए हैं. दोनों देशों ने पिछले काफी समय से चले आ रहे सीमा विवाद को खत्म करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.इसी तरह से अमेरिकी पाबंदियों के बाद भी भारत ने रूस के साथ संबंधों को बेहतर बनाया और उससे तेल खरीदा और रक्षा समझौते किए हैं. 

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