कचहरी: अमेरिका ने क्‍यों घोषित किया TRF को आतंकी संगठन और कैसे फेल हो गई पाकिस्‍तान की नई चाल?

TRF को आतंकी संगठन घोषित करना एक बड़ा कदम है, लेकिन यह काफी नहीं है. एक तरफ अमेरिका मानता है कि TRF लश्कर का मुखौटा है, लेकिन दूसरी तरफ वह पाकिस्तान को IMF से लोन दिलवाता है और हथियार बेचता है. यह दोहरा रवैया अब नहीं चलेगा.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • अमेरिका ने TRF को आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन घोषित किया है, जो भारत के दावों की पुष्टि करता है.
  • अमेरिका के फैसले के बाद TRF के वित्तीय संसाधनों पर रोक लगाई जा सकेगी और पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा.
  • भारत ने कूटनीतिक प्रयासों से TRF की सच्चाई दुनिया के सामने रखी और आतंक के खिलाफ मजबूत नीति को साबित किया है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्‍ली :

अमेरिका ने आखिरकार उस सच को स्वीकार कर लिया है, जिसे भारत सालों से दुनिया को बता रहा था. TRF यानी The Resistance Front को अंतरराष्‍ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने अपने आधिकारिक दस्तावेज में साफ लिखा है कि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन (FTO और SDGT) घोषित किया गया है. एनडीटीवी के बेहद चर्चित शो कचहरी में शुभांकर मिश्रा ने इसी मुद्दे पर बात की.

TRF वही है, जिसने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में मासूमों का खून बहाया. इस फैसले ने न सिर्फ TRF की हकीकत उजागर की, बल्कि पाकिस्तान की उस साजिश को भी बेनकाब कर दिया, जो वह सालों से आतंकवाद को ‘आजादी की लड़ाई' का नाम देकर छिपाता आ रहा था. भारत का सच, जो वह दुनिया को बता रहा था, अब पूरी दुनिया ने मान लिया है. 

22 अप्रैल 2025 की दोपहर, पहलगाम की खूबसूरत वादियां. पर्यटक प्रकृति का आनंद ले रहे थे, बच्चे हंस रहे थे, परिवार खुशियां बांट रहे थे. लेकिन अचानक गोलियों की आवाज ने सब कुछ बदल दिया. नकाबपोश आतंकियों ने मासूमों को निशाना बनाया, उनकी पहचान पूछी, और सिर्फ हिंदू होने की वजह से 26 लोगों को बेरहमी से मार डाला. यह कोई साधारण हमला नहीं था—यह धर्म के नाम पर सुनियोजित नरसंहार था. TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर उसने अपना बयान वापस ले लिया. क्यों? क्योंकि TRF कोई स्वतंत्र संगठन नहीं, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा है, जिसे पाकिस्तान ने बनाया ताकि आतंकवाद को ‘प्रतिरोध' का नाम दिया जा सके.

TRF: आतंक का नया चेहरा

TRF कोई नया संगठन नहीं है. यह लश्कर-ए-तैयबा और हाफिज सईद की पुरानी साजिश का नया नाम है. पाकिस्तान ने इसे इस तरह पेश किया जैसे यह कश्मीर का स्थानीय संगठन हो, जो ‘आजादी' के लिए लड़ रहा हो. लेकिन हकीकत यह है कि TRF के तार सीधे लश्कर और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं. पाकिस्तान की यह रणनीति पुरानी है. पहले आतंकी संगठनों के नाम खुले तौर पर मजहबी थे—लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिद्दीन. जब दुनिया ने सवाल उठाए कि पाकिस्तान धर्म के नाम पर आतंक फैला रहा है, तो उसने चाल बदली. संगठनों के नाम बदले गए—TRF, Kashmir Tigers जैसे नाम रखे गए, जो सुनने में ‘आजादी' या ‘प्रतिरोध' जैसे लगें. लेकिन भारत ने इस चाल को समझ लिया और दुनिया के सामने सबूत रखे कि TRF लश्कर का ही हिस्सा है. अमेरिका का यह फैसला इस बात का सबूत है कि आतंकवाद की नीयत को कोई नाम नहीं छिपा सकता.

पाकिस्तान की चाल: आतंक की नई पैकेजिंग

पाकिस्तान ने सालों से आतंकवाद को बढ़ावा दिया है. जब दुनिया ने उस पर उंगली उठाई, तो उसने आतंक की पैकेजिंग बदल दी. TRF जैसे संगठन बनाए गए ताकि आतंकवाद को ‘कश्मीरी विद्रोह' का नाम दिया जा सके. यह एक सोची-समझी साजिश थी—नाम नया, मकसद वही. TRF ने न सिर्फ पहलगाम में हमला किया, बल्कि जम्मू-कश्मीर में कई और आतंकी घटनाओं में भी उसका नाम सामने आया. भारत ने इन हमलों के सबूत जुटाए—हथियारों की खेप, फंडिंग के रास्ते, और आतंकियों के पाकिस्तान से तार. इन सबूतों को भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रखा, जिसके बाद अमेरिका को TRF को आतंकी संगठन घोषित करना पड़ा.

अमेरिका के इस फैसले के बाद TRF के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. दो बड़े कदम उठाए जाएंगे.

वित्तीय संसाधनों पर रोक: TRF और इससे जुड़े हर व्यक्ति, संगठन या नेटवर्क के बैंक खाते सीज किए जाएंगे. अगर कोई देश ऐसा नहीं करता, तो उसे आतंक का समर्थक माना जाएगा. यह अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा, जिसके गंभीर परिणाम होंगे.

Advertisement

पाकिस्तान पर शिकंजा: FATF (Financial Action Task Force) और दूसरी वैश्विक एजेंसियां अब TRF की फंडिंग की जांच करेंगी. अगर यह साबित हो गया कि TRF को लश्कर और हाफिज सईद से पैसा मिल रहा है, तो पाकिस्तान फिर से FATF की ग्रे लिस्‍ट में जा सकता है. इसका मतलब है—पाकिस्तान को कोई लोन नहीं, कोई विदेशी निवेश नहीं, और आर्थिक बहिष्कार.

पाकिस्तान ने TRF जैसे संगठनों के जरिए खुद को ग्रे लिस्‍ट से निकाला था, लेकिन अब उसकी चाल उसी पर भारी पड़ रही है.

Advertisement

UNSC में चीन और पाकिस्तान की चाल

पहलगाम हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने बयान जारी किया, लेकिन उसमें TRF का नाम जानबूझकर हटा दिया गया. इसके पीछे पाकिस्तान का दबाव था और चीन ने खुलकर उसका साथ दिया. उस समय पाकिस्तान UNSC का अस्थायी सदस्य था, जिसने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. लेकिन अब अमेरिका के फैसले ने UNSC के उस बयान की सच्चाई को बेनकाब कर दिया. TRF अब उसी लिस्ट में है, जहां अल-कायदा, ISIS और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन हैं. यह भारत की कूटनीतिक जीत है.

भारत की कूटनीतिक ताकत

भारत ने TRF की सच्चाई उजागर करने के लिए लंबी और दमदार लड़ाई लड़ी. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने 32 देशों में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजे. सबूतों के साथ बताया कि TRF कोई स्थानीय संगठन नहीं, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी समूह है. भारत ने अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, और दूसरे मंचों पर TRF के खिलाफ ठोस जानकारी दी. यह भारत की कूटनीति की ताकत है कि उसने न सिर्फ TRF को बेनकाब किया, बल्कि दुनिया को यह भी दिखाया कि आतंकवाद के खिलाफ उसका रुख कितना मजबूत है.

Advertisement

अमेरिका ने अब कदम क्यों उठाया?

पहलगाम हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक दबाव बढ़ाया. अमेरिका पर यह साबित करने का दबाव था कि वह आतंकवाद के खिलाफ दोहरी नीति नहीं अपनाता. यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने भारत के खिलाफ आतंकी हमलों के बाद कार्रवाई की है:

  • 2001: संसद हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को आतंकी संगठन घोषित किया गया.
  • 2010: तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को आतंकी संगठन घोषित किया गया.
  • 2025: अब TRF की बारी आई.

भारत के सबूतों और दबाव ने अमेरिका को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया.

अमेरिका को और करना होगा

TRF को आतंकी संगठन घोषित करना एक बड़ा कदम है, लेकिन यह काफी नहीं है. अमेरिका को अब पाकिस्तान पर सीधा दबाव बनाना होगा. एक तरफ अमेरिका मानता है कि TRF लश्कर का मुखौटा है, लेकिन दूसरी तरफ वह पाकिस्तान को IMF से लोन दिलवाता है और हथियार बेचता है. यह दोहरा रवैया अब नहीं चलेगा. अगर अमेरिका तल्हा सईद को भारत को सौंप सकता है, तो हाफिज सईद को क्यों नहीं? क्या इसलिए कि हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान की सेना और आईएसआई की छत्रछाया में फल-फूल रहा है?

Advertisement

आज दुनिया में आतंकवाद को लेकर दोहरा रवैया है. एक देश जिसे आतंकवादी मानता है, दूसरा उसे राजनीतिक कार्यकर्ता कह देता है. अमेरिका खुद सीरिया में घोषित आतंकियों से बात करता है. कई मुस्लिम देश हमास को आतंकी नहीं मानते. हूती, हिजबुल्लाह, और ISIS जैसे संगठनों को भी कई देश आतंकी नहीं मानते. जब तक दुनिया आतंकवाद की एक स्पष्ट और एकजुट परिभाषा नहीं बनाएगी, तब तक यह दोहरा रवैया आतंकियों को ताकत देता रहेगा. आतंकवाद को किसी धर्म, देश, या राजनीतिक एजेंडे से जोड़ने की बजाय इसे सिर्फ मानवता के खिलाफ अपराध माना जाना चाहिए.

भारत की जीत, आतंक की हार

TRF को आतंकी संगठन घोषित करना सिर्फ एक फैसला नहीं, बल्कि भारत की बड़ी जीत है. यह एक संदेश है कि भारत की बात अब दुनिया सुन रही है. पाकिस्तान की चालें अब कामयाब नहीं हो रही हैं. भारत ने आतंकवाद के खिलाफ शांत, लेकिन प्रभावशाली लड़ाई लड़ी है—कूटनीति के मोर्चे पर, सबूतों के साथ, और नैतिक बल से. अब समय है कि दुनिया इस लड़ाई में भारत के साथ आए, दोहरी नीतियों को छोड़े, और आतंकवाद को हर मंच पर बिना बहाने खारिज करे. क्योंकि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और TRF इसका ताजा और सबसे खतरनाक सबूत है.

Topics mentioned in this article