UP : हाईटेंशन तार की चपेट में आने से 5 कांवड़ियों की मौत... दर्जन भर घायल, आक्रोशितों ने किया सड़क जाम

मेरठ के राली चौहान गांव के कांवड़िये शनिवार शाम को कांवड़ लेकर पहुंचे थे. डीजे के धूम-धड़ाके के बीच कांवड़ियों ने जैसे ही गांव में एंट्री की, सड़क किनारे नीचे लटक रही हाईटेंशन लाइन डीजे से टकराई और हाईटेंशन करंट पूरे डीजे और कांवड़ में दौड़ गया.

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इस घटना में एक दर्जन से ज्‍यादा कावड़िए झुलस गए. 
नई दिल्‍ली:

उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक कांवड़ के हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से बड़ा हादसा हुआ है. हरिद्वार से कांवड़ लेकर आये कांवड़ियों का डीजे हाईटेंशन लाइन से टकरा गया, जिससे 5 कांवड़ियों की मौत हो गई. करंट से झुलसे कुल कांवड़ियों की संख्या करीब दर्जन भर है. मेरठ के डीएम दीपक मीणा ने मौतों की पुष्टि की है. इस घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने किला रोड पर जाम लगा दिया और प्रदर्शन करने लगे. उन्‍होंने बिजली अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन भी मौके पर पहुंचा. 

जानकारी के मुताबिक, मेरठ के राली चौहान गांव के कांवड़िये शनिवार शाम करीब 8 बजे गांव में कांवड़ लेकर पहुंचे थे. डीजे के धूम-धड़ाके के बीच कांवड़ियों ने जैसे ही गांव में एंट्री की, सड़क किनारे नीचे लटक रही हाईटेंशन लाइन डीजे से टकराई और हाईटेंशन करंट पूरे डीजे और कांवड़ में दौड़ गया. कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही कांवड़िये एक-एक करके तड़पकर गिरने लगे. चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. किसी ने बिजलीघर फोन करके शटडाउन की गुहार लगाई लेकिन किसी ने नही सुनी. ग्रामीण किसी तरह अपने वाहनों से करंट से झुलसे कांवड़ियों को अस्पताल लेकर भागे. 

करीब आधा दर्जन अस्पतालों में कांवड़ियों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया. गंगानगर के आईआईएमटी अस्पताल पहुंचे मनीष की इलाज मिलने से पहले ही मौत हो गई. आनंद अस्पताल में 4 कांवड़ियों की इलाज के दौरान मौत हुई, जिनमें से दो सगे भाई थे. घायलों को देखने एडीजी राजीव सभरवाल, डीएम दीपक मीणा और एसएसपी रोहित सिंह सजवाण भी पहुंचे. उधर, बिजली विभाग की लापरवाही से हुए हादसे से गुस्साए ग्रामीणों ने गांव के बाहर जाम लगाकर मेरठ-किला रोड मार्ग जाम कर दिया. आधी रात तक पुलिस अफसर जाम खुलवाने का प्रयास करते रहे. ग्रामीणों की मांग थी कि लापरवाह बिजली अफसरों को सजा दी जाए. 

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घायल कांवड़ियों में अभी कई की हालत गंभीर बनी हुई है. प्रशासन के अफसर उनके बेहतर इलाज की कोशिशें करा रहे है. लेकिन सवाल यह है कि जब जिले के सभी विभागों ने कांवड़ यात्रा की तैयारी और उसकी समीक्षा जमीनी तौर पर की थी तो राली चौहान गांव में लटका यह मौत का तार आखिर क्यों छोड़ दिया गया.

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