- यूपी में बिजली होने के बावजूद भी कई इलाकों में बिजली सप्लाई नहीं है. यूपी के बिजली मंत्री भी इससे परेशान हैं.
- उनका आरोप हैं कि अधिकारी उनकी रत्ती भर नहीं सुनते हैं. CM ने बिजली को लेकर बिजली विभाग के साथ बैठक की थी.
- इस दौरान सीएम योगी ने अफ़सरों से कहा था कहीं गड़बड़ी हुई या लोगों को परेशानी हुई तो फिर कड़ा एक्शन होगा.
अगर आप बिजली कटौती की मार झेल रहे हैं और अगर आपको ये लगता है कि सिर्फ आप परेशान हैं तो ज़रा रुकिए. सिर्फ आप नहीं, यूपी में तो ख़ुद बिजली मंत्री ही परेशान हैं. ना ना, ऐसा नहीं है कि मंत्री जी को कटौती झेलनी पड़ रही. उनके यहां झमाझम लाइट आ रही है लेकिन असल दिक्कत ये है कि मंत्री जी के अपने अधिकारी उन्हीं की सुन नहीं रहे. उल्टा मंत्री से झूठ बोलकर लटकाने-भटकाने और अटकाने वाला काम कर रहे हैं. चलिए बताते हैं पूरा मामला क्या है.
कभी तेज धूप की गर्मी तो कभी हल्की बारिश के बाद होने वाली उमस ने आम जनता का जीना हराम कर रखा है. रही सही कसर बिजली पूरी कर रही है जो घंटों नहीं आ रही. लोग भर-भर के मंत्री जी को कोस रहे हैं. दस तरह के आरोप लगा रहे हैं. आलम ये है कि लोग सोशल मीडिया पर, गली मुहल्लों में बैठे मंत्री जी को दोषी ठहरा रहे हैं. लेकिन मंत्री जी भी करें तो क्या करें, कोई उनकी सुन जी नहीं रहा. मंत्री जी निर्देश दे रहे, कोई मान नहीं रहा. कुछ पूछ रहे हैं तो झूठ बोलकर टरका दिया जा रहा.
अधिकारी बोल रहे हैं झूठ
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने एक्स पर एक पोस्ट करके बता रहे हैं कि यूपी में बिजली कटौती को लेकर होने वाली बैठकों में अधिकारी उन्हीं से झूठ बोल रहे हैं. एके शर्मा ने मंत्री के बैठकों में दिक्कतों के बारे में बताने के बावजूद अधिकारी उनसे झूठ बोल रहे हैं. अपने पोस्ट में मंत्री एके शर्मा ने लिखा है कि कई गलत, असामयिक और अव्यवहारिक निर्देशों के कारण जनता को परेशानी हो रही है. मंत्री ये भी दावा कर रहे हैं कि उनके निर्देशों के बावजूद बार बार ग़लत फ़ैसले किए जा रहे हैं. यानी मंत्री की कोई सुन नहीं रहा है.
एके शर्मा ने लिखा है कि अनेक ऐसे गलत निर्णय हमारे बार-बार लिखित/ मौखिक रूप से मना करने के बावजूद हुए हैं. उन्होंने अधिकारियों पर फ़ोन ना उठाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि ग्राहक हेल्पलाइन नंबर 1912 की टोल फ्री व्यवस्था या अन्य टेक्नोलॉजी आधारित व्यवस्था मानवीय व्यवस्था की पूरक हो सकती है; विकल्प नहीं. ऐसे में अधिकारियों को फ़ोन उठाकर समस्या का निवारण करने का काम करना चाहिए. लेकिन अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे हैं.
बिजली कटौती से होने की दिक्कतों के बीच अपने इस पोस्ट में मंत्री जी ने एक ऑडियो भी जारी किया है, जिसमें एक रिटायर्ड अधिकारी के बस्ती ज़िले के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर को कॉल करने पर बेतुका जवाब देकर अधिकारी ने मदद करने से मना कर दिया. कुल मिलाकर मंत्री जी ने इस पोस्ट में बता दिया कि बिजलीकर्मी अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे. आम जनता परेशान है लेकिन आम जनता की कौन सुने जब अधिकारी ख़ुद मंत्री की नहीं सुन रहे हैं. हालांकि एक्शन लेते हुए इस ऑडियो क्लिप में जो सुपरिटेडेंट इंजीनियर प्रशांत सिंह हैं उन्हें अब सस्पेंड कर दिया गया है.
आपको बता दें कि यूपी में शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे, तहसील स्तर पर 22 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 18 घंटे बिजली दिए जाने का निर्देश है. बिजली की मांग पर नज़र डालें तो जून महीने में अधिकतम 32,000 मेगावॉट/दिन बिजली की ज़रूरत सामने आई. इस दौरान 16,930 मिलियन यूनिट बिजली की आपूर्ति की गई. सरकार का दावा है कि ना बिजली आपूर्ति की दिक्कत है और ना पैसों की. इन सबके बावजूद आलम ये है कि शहरी इलाक़ों में दस दस घंटे तक बिजली कट रही है.
सीएम योगी ने की बड़ी बैठक
बिजली कटौती की इस गंभीर समस्या को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी बड़ी बैठक की थी. सीएम ने साफ़ साफ़ कहा था कि ट्रिपिंग के नाम पर घंटों घंटों की कटौती का बहाना नहीं चलेगा. उन्होंने भी कहा था कि बिजली आपूर्ति में अगर लापरवाही हुई तो अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई ज़रूर की जाएगी. बिजलीकर्मी तमाम निर्देशों के बावजूद अपने रूख पर क़ायम हैं और जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है. देखना होगा, ऊर्जा मंत्री के इस दर्दभरी पोस्ट के बाद कुछ सुधार आता है या यथास्थिति बनी रहती है.