भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 80 बनाम 20 का नारा दिया है, जिसका जवाब समाजवादी पार्टी का गठबंधन 85 बनाम 15 से दे रहा है. 85 में पिछड़े, दलित, मुसलमानों की बात हो रही है. बीजेपी को पिछड़ा विरोधी बताकर चार कद्दावर ओबीसी नेताओं ने पार्टी छोड़ी. इनमें सबसे पहले सरकार से बाहर आए ओपी राजभर, फिर स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी इसी लीग में शामिल हो गए हैं. क्या इस चुनाव में सपा का पिछड़ा कार्ड बीजेपी के हिंदू कार्ड पर भारी पड़ेगा? इस मुद्दे पर सपा गठबंधन के सहयोगी ओपी राजभर ने एनडीटीवी से बातचीत की. इस दौरान राजभर ने खुलकर भाजपा पर वार किया और यहां तक कि अमित शाह व नरेंद्र मोदी दोनों को झूठा तक करार दे डाला.
राजभर ने कहा, "पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे, आज हम नेताओं के गुलाम हैं. हम नेता के खासकर पिछड़ों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता के कहने पर वोट देते हैं, लेकिन उस नेता का अपनी पार्टी में उसकी हिम्मत - औकात नहीं है कि वह अपने पार्टी अध्यक्ष से अपने हक की बात करे. इसी वजह से हमने नारा दिया है गुलामी छोड़ो, समाज जोड़ो. जब भी मंडल कमिशन की बात शुरू होती है, पिछड़ों को आरक्षण देने की बात शुरू होती है, बीजेपी कमंडल लेकर निकल पड़ती है और खुले में आरक्षण का विरोध करती है. सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत आरक्षण पर मुहर लगी थी, लेकिन आज तक दिल्ली में कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की सरकार, सब ने पिछड़ों के साथ धोखा किया."
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बीजेपी से प्रभावित होकर साल 2017 में पार्टी में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "मैं मुद्दों के आधार पर गया था. मुझसे जब अमित शाह ने पूछा कि आप क्या चाहते हैं, तो हमने कहा था कि हम उत्तर प्रदेश में जातिवार जनगणना चाहते हैं, सामाजिक न्याय समिति की जो रिपोर्ट रद्दी की टोकरी में फेंक दी गई है उसे लागू करना चाहते हैं, एक समान अनिवार्य मुफ्त शिक्षा चाहते हैं, गरीबों का मुफ्त इलाज चाहते हैं, उत्तर प्रदेश में अमन चैन चाहते हैं, घरेलू बिजली का बिल माफ करवाना चाहते हैं. उस समय तो बंद कमरे में अमित शाह ने हामी भर दी थी. पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण के बारे में अमित शाह ने कहा था कि 2019 के लोकसभा चुनाव से छह महीना पहले वे इसे भी लागू कर देंगे. मैं यूपी से लेकर दिल्ली तक सबसे लड़ता रहा, लेकिन कुछ नहीं हुआ."
राजभर ने कहा, "अमित शाह ने मुझसे कहा था कि जिसकी लड़ाई आप लड़ते हो यह बिकाउ वोट है, यह दारू मुर्गा में बिक जाता है, तब मैंने भी सोच लिया कि इस बार टिकाउ बनाउंगा और शाह को पैदल करूंगा. आज यूपी में भी दिल्ली की ही तरह डोर टू डोर पर्चा बांट रहे हैं. दिल्ली में दो तिहाई सरकार बनाने का दावा करते थे, लेकिन केवल तीन सीट जीते. अब उत्तरप्रदेश में भी देखना यहां बीजेपी अपनी जमानत बचा ले यही बहुत बड़ी बात होगी."
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बीजेपी में पिछड़ी जाति के नेताओं के बारे में उन्होंने कहा, "बीजेपी इनका इतना सम्मान करती है कि योगी जी और उनके और लोग सोफे पर बैठते हैं, जबकि केशव मौर्य को स्टूल पर बैठाया जाता है. यही सम्मान है कि पिछड़ों का. खुद सोफे पर बैठते हैं, लेकिन पिछड़े नेता प्रदेश के अध्यक्ष सवतंत्र देव पटेल को फाइबर की कुर्सी पर बैठाते हैं. संजय निषाद और अनुप्रिया पटेल का भी अपमान होता है. बीजेपी यूज एंड थ्रो करती है, संजय निषाद रोते हुए आएंगे."
उन्होंने कहा, "उत्तरप्रदेश का चुनाव 85-15 पर होने जा रहा है. इसमें 85 प्रतिशत पिछड़ा दलित वर्ग है और 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग के वो लोग हैं जो चाहते हैं कि मुफ्त शिक्षा मिले, किसानों को इनसे निजात मिले. ये हमें पाकिस्तान का समर्थक बताते हैं. मोदी पाकिस्तान गए बिरियानी खा कर आए, आडवाणी गए मजार में चादर चढ़ा कर आए. जब जब चुनाव आता है तो ये लोग धर्म का चशमा पहनते हैं, और नफरत की बात बोलते हैं. इस बार हिंदू मुसलमान नहीं हो रहा है. बीजेपी ने बंगाल में नारा लगाया था “खेला होबे”, लेकिन 27 अक्टूबर को यूपी में ओपी राजभर ने नारा लगाया कि खदेड़ा होबे और देखिए पश्चिमी उत्तरप्रदेश में खदेड़ा चालू है. जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतरी हिस्सेदारी."