'उसके पास हाथरस में कोई काम नहीं था...' : यूपी कोर्ट में केरल के पत्रकार की जमानत याचिका नामंजूर

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2020 में हाथरस कांड में कथित षड्यंत्र के आरोप में अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को नामंजूर कर दी.

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यूपी कोर्ट में केरल के पत्रकार की जमानत याचिका नामंजूर
नई दिल्ली:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2020 में हाथरस कांड में कथित षड्यंत्र के आरोप में अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को नामंजूर कर दी. अदालत ने इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए पिछली दो अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. 

मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव कप्पन को अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था. कप्पन के अनुसार, उस वक्त हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित लड़की की बलात्कार के बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए हाथरस जा रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे.

कोर्ट ने कहा कि कप्पन ने कहा कि वह एक पत्रकार की हैसियत से हाथरस जाना चाहता है, लेकिन आरोप-पत्र और व्यक्तियों के बयानों से यह अमान्य है. जांच में सामने आया है कि आवेदक के पास हाथरस में कोई काम नहीं था. बता दें कि सिद्दीकी कप्पन के वकीलों ने अदालत में दलील दी थी कि वह निर्दोष हैं और उन्होंने कभी भी किसी भी तरह की असामंजस्य फैलाने के लिए किसी मंच का इस्तेमाल नहीं किया. 

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गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस जिले के एक गांव में चार लोगों ने 19 साल की एक दलित लड़की से दरिंदगी की थी, उसे गंभीर हालत में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

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पीड़िता के शव को जिला प्रशासन ने आधी रात में ही कथित रूप से मिट्टी का तेल डालकर जलवा दिया था. लड़की के परिजन ने आरोप लगाया था कि जिला प्रशासन ने उनकी मर्जी के बगैर पीड़िता का अंतिम संस्कार जबरन करा दिया. कप्पन की जमानत याचिका को मथुरा की एक अदालत ने नामंजूर कर दिया था. उसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

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पुलिस ने सिद्दीकी कप्पन पर कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आरोप लगाया है और उन पर प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया या सिमी के आतंकी एजेंडे को फैलाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. 

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