उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं. हिन्दुत्व की राजनीति के 'टाइगर' कहे जाने वाले योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील में पंचुर गांव में हुआ. सीएम योगी का बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट था, जिन्हें आज दुनिया योगी आदित्यनाथ के नाम से जानती है. सीएम योगी ने सिर्फ बीजेपी के फायरब्रांड नेता हैं बल्कि राजनीति की ऐसी शख्सियत हैं जो देश के दिग्गज नेताओं के बीच खड़े होकर भी एकदम अलग नजर आते हैं.
राजनीति के माहिर खिलाड़ी
सीएम योगी ने न सिर्फ अपनी मेहनत, समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति से उत्तर प्रदेश जैसे विशाल सूबे के मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया बल्कि राजनीति की दुनिया में ऐसी लकीर खींच दी, जिसको पार करना किसी और के लिए आसान नहीं. एक महंत के देश के सबसे बड़े राज्य की बांगडोर संभालना कोई आसान काम नहीं था. यह कहानी न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों की है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे एक बेहद आम पृष्ठभूमि से निकला शख्स आस्था, राजनीति और नेतृत्व के मिश्रण से राजनीति में सफलता की नई इबारत लिख सकता है.
सीएम योगी के जिंदगी के अहम पड़ाव
हम आपके लिए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन के अब तक के सफर की कहानी लेकर आए हैं. आप नीचे जान पाएंगे किस साल अजय सिंह बिष्ट संन्यास अपनाकर योगी आदित्यनाथ बन गए. आप जान पाएंगे कि गणित का तेज तर्रार छात्र के साथ ऐसा क्या हुआ जो वह पहले संन्यासी बने और इसके बाद राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहा. ऐसे ही सवालों के जवाब के लिए नीचे टाइमलाइन में पढ़ें योगी आदित्यनाथ का पूरा बायोडाटा.
- 5 जून 1972: उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश था) के पौड़ी जिला स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचूर गांव के राजपूत परिवार में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था.
- 1977: टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में पढ़ाई शुरू की.
- 1987: टिहरी के गजा स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की.
- 1989: ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की.
- 1990: ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हुए एबीवीपी से जुड़े.
- 1992: कोटद्वार के गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की परीक्षा पास की.
- 1993: गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने गोरखपुर आए. यहां गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की नजर अजय सिंह/आदित्यनाथ पर पड़ी.
- 1994: सांसारिक मोहमाया त्यागकर पूर्ण संन्यासी बन गए, जिसके बाद अजय सिंह बिष्ट का नाम योगी आदित्यनाथ हो गया.
- 1998: योगी आदित्यनाथ सबसे पहले गोरखपुर से चुनाव भाजपा प्रत्याशी के तौर पर लड़े और जीत गए. तब उनकी उम्र महज 26 साल थी.
- 1999: गोरखपुर से दोबारा सांसद चुने गए.
- अप्रैल 2002: योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी बनायी.
- 2004: तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता.
- 7 सितंबर 2008: सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था. इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे.
- 2009: योगी आदित्यनाथ 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे.
- 2014: पांचवी बार एक बार फिर से दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर सांसद चुने गए.
- 2015: 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला था. इसके बाद यूपी में 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए. इसमें योगी आदित्यनाथ से काफी प्रचार कराया गया, लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा.
- 2017: विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ से पूरे राज्य में प्रचार कराया. यहां तक कि इन्हें एक हेलीकॉप्टर तक दे दिया गया था.
- 19 मार्च 2017: उत्तर प्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री का ताज सौंप दिया गया.
- 20 मार्च 2017: योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
महंत अवैद्यनाथ से मिलने के बाद बदली जिंदगी
योगी आदित्यनाथ ने गणित की पढ़ाई की. पढ़ाई के दौरान ही उनका जुड़ाव राजनीति से हो गया. साल 1993 में, 21 साल की उम्र में, अजय सिंह बिष्ट का जीवन तब पूरी तरह बदल गया जब वे गोरखनाथ मठ के महंत अवैद्यनाथ से मिले. महंत अवैद्यनाथ, जो नाथ संप्रदाय के प्रमुख संत और हिंदूवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक थे, उन्होंने उन्हें अपना शिष्य बनाया. साल 1994 में अजय सिंह बिष्ट ने संन्यास ले लिया और तभी से हमेशा के लिए उनका नाम हो गया योगी आदित्यनाथ. महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, जिसके बाद योगी ने गोरखनाथ मठ की धार्मिक जिम्मेदारियों को संभाल लिया.
सीएम योगी का राजनीतिक सफर
सीएम योगी का राजनीतिक सफर 1998 में शुरू हुआ, जब महज 26 साल की उम्र में वे गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर सांसद चुने गए. वे उस समय देश के सबसे युवा सांसदों में से एक थे. इसके बाद के चुनाव में भी उनका जलवा यूंही बरकरार रहा. उनकी हिंदूवादी छवि, दमदार भाषण और क्षेत्र में सामाजिक कार्यों ने उन्हें जनता के बीच अलग पहचान दिला दी. साल 2002 में उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की. साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कई बड़े नाम चर्चा में थे, जिनमें राजनाथ सिंह और केशव प्रसाद मौर्य और मनोज सिन्हा जैसे नेता शामिल थे.
आश्चर्यजनक रूप से, बीजेपी आलाकमान ने यूपी सीएम की गद्दी पर योगी आदित्यनाथ को बैठा दिया. 17 मार्च 2017 को दिल्ली में हुई बैठक में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया, और 19 मार्च 2017 को लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में उन्होंने उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी ने गोरखपुर शहरी सीट से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और धमाकेदार जीत हासिल की. इसके बाद 25 मार्च 2022 को उन्होंने दूसरी बार यूपी मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
बुलडोजर बाबा के नाम से मशहूर
सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कानून-व्यवस्था, बुनियादी ढांचे और निवेश के क्षेत्र में काफी तरक्की की. उनके "बुलडोजर मॉडल" और अपराध के खिलाफ सख्त नीतियों ने उन्हें देशभर में "बुलडोजर बाबा" के नाम से लोकप्रिय बना दिया. कभी यूपी का हिस्सा रहे उत्तराखंड के एक छोटे से गांव से निकलकर योगी आदित्यनाथ ने न केवल गोरखनाथ मठ को संभाला, बल्कि भारत के सबसे बड़े राज्य के नेतृत्व की कमान भी संभाली. सीएम योगी गोरक्षपीठ के महंत से लेकर कुशल राजनीतिज्ञ बनकर उभरे. गोरक्षपीठ के कठिन प्रबंधन की जिम्मेदारी को निभाते हुए माफियाओं पर नकेल कसने और बुलडोजर मॉडल को अपनाकर विकास की राह में आने वाली बाधाओं के चक्रव्यूह को भेदा.