इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 2016 में चलती ट्रेन में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में दायर स्वत: संज्ञान याचिका में सोमवार को रेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया. आरोपियों ने महिला के साथ गैंगरेप करने के बाद उसे चलती ट्रेन से फेंक दिया गया था.
न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी तथा न्यायमूर्ति बी. आर. सिंह की खंडपीठ ने मऊ में हुई घटना के संबंध में दायर स्वत: संज्ञान याचिका पर सोमवार को यह आदेश पारित किया. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि कुल मुआवजे 4 लाख रुपये में से 2,81,000 रुपये पीड़िता को पहले ही दिए जा चुके हैं.
कोर्ट ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि आखिर क्यों अभी तक मुआवजे की पूरी राशि अभी तक पीडि़ता को नहीं दी गई है? साथ ही पूछा कि ट्रेनों में इस तरह की घटना भविष्य में न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं? कोर्ट ने ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए रेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.
रेल मंत्रालय को इन सवालों का जवाब देने के लिए मार्च के पहले सप्ताह तक का समय दिया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई मार्च के पहले सप्ताह में ही होनी है.
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